41.Jesus Appears to Mary and the Disciples
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41. यीशु मरियम और शिष्यों पर प्रकट हुआ
शनिवार की रात जब सूरज ढल गया और पहले दो तारे आसमान में दिखाई दिए, तब सब्त खत्म हो गया। मरकुस दर्ज करता है कि जैसे ही अंधेरा छा गया और सब्त खत्म हो गया, मरियम मगदलीनी और मरियम जो याकूब और सलोमी की माँ थी, ने यीशु के शरीर को और अभिषेक करने के लिए मसाले खरीदे (मरकुस 16:1)। क्योंकि उस रात कुछ भी करने के लिए बहुत अंधेरा था, उन्होंने अगली सुबह, रविवार को एक साथ जाने का फैसला किया। लूका हमें बताता है कि महिलाओं ने, निःसंदेह बहुत आँसुओं के साथ, देखा था कि अरमतियाह के यूसुफ और निकुदेमुस ने यीशु को कहाँ दफनाया था (लूका 23:55)। यहुन्ना और लूका दोनों ने लिखा है कि महिलाएँ, जबकि अंधेरा ही था, कब्र के लिए जल्दी ही निकल गईं थीं (यहुन्ना 20:1; लूका 24:1), और केवल रास्ते में ही उन्होंने कब्र में जाने और पत्थर के एक टन वजनी दरवाज़े को हटाने की कठिनाइयों पर विचार किया; "और आपस में कहती थीं, कि हमारे लिये कब्र के द्वार पर से पत्थर कौन लुढ़ाएगा?" (मरकुस 16:3)।
प्रेम कभी कठिनाइयों पर विचार नहीं करता। उनका एकमात्र विचार प्रेम से मसीह का सम्मान करना और निकुदेमुस और युसुफ के पैंतीस किलो मसाले में जोड़ते हुए और अधिक मसाले लाकर अपने प्रेम का इजहार करना था। जैसे ही वे कब्र के पास पहुँचे, मत्ती लिखता है कि एक तेज़ भूकंप आया और प्रभु का एक स्वर्गदूत उतरा, कब्र पर गया, पत्थर को लुढ़काया और उस पर बैठ गया (मत्ती 28:2)। कब्र की रखवाली करने वाले रोमी सैनिक स्वर्गदूत के प्रकट होने पर इतने भयभीत थे कि वे देखते ही ज़मीन पर गिर पड़े, कांप उठे, और ऐसा व्यवहार किया जैसे वे मर गए हों (मत्ती 28:4)।
लूका लिखता है कि, केवल जब महिलाएं कब्र में दाखिल हुईं और देखा कि यीशु का शव वहाँ नहीं था, तब स्वर्गदूत प्रकट हुए;
2और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया। 3और भीतर जाकर प्रभु यीशु की लोथ न पाई। 4जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उनके पास आ खड़े हुए। 5जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुंह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उनसे कहा; “तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हो? 6वह यहाँ नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था। (लूका 24:2-6)
स्वर्गदूतों ने महिलाओं से बात की और उन्हें निर्देश दिया कि वे जाकर शिष्यों को खुशखबरी सुनाएँ कि यीशु मरे हुओं में से जी उठा है। यह संभव है कि महिलाओं के दो समूह थे; "जिन्होंने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उनके साथ की और स्त्रियाँ भी थीं" (लूका 24:10 बल मेरी ओर से जोड़ा गया है)। मरियम का अब भी यह सोच पाना कि प्रभु के शव को किसी ने चुरा लिया था, हमारे समझने के लिए कठिन है, लेकिन हो सकता है, कि वह स्वर्गदूतों के यह बताने से पहले ही कि यीशु मृतकों में सी जी उठा है, तुरंत ही यहुन्ना और पतरस को बताने निकल गई हो।
यहुन्ना प्रेरित बताता कि शिष्यों ने उस दिन की सुबह इस खबर को कैसे लिया, यानी मरियम मगदलीनी के तेज़ी से कमरे में आकर उन्हें यह बताने पर कि किसी ने शव चुरा लिया है; तो पतरस कैसे कब्र की ओर भागा; तब वह दौड़ी और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिससे यीशु प्रेम रखता था आकर कहा, “वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं; और हम नहीं जानतीं, कि उसे कहाँ रख दिया है।” (यहुन्ना 20:2)
उस पुनरुत्थान की सुबह, यहुन्ना क्यों किसी भी अन्य महिला का उल्लेख नहीं करता है? अधिकांश टीकाकारों का मानना है कि यहुन्ना ने अपने जीवन के आखिरी हिस्से में अपना सुसमाचार लिखा था और वह यह जानता था कि अन्य सुसमाचार लेखकों ने क्या लिखा है। यह संभव है कि विशिष्ट लोगों की व्यक्तिगत गवाही के द्वारा उसने कुछ विवरणों को पूरा करने और पुनरुत्थान के विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया, उदाहरण के लिए, पतरस और यहुन्ना (पद 1-10), मरियम मगदलीनी (पद 11-18), शिष्य (पद 19-23) और थोमा (पद 24-29)। जब हम यहुन्ना के लेख को पढ़ते हैं, तो वह व्यक्तिगत गवाही और प्रभु यीशु के साथ बातचीत पर ध्यान केंद्रित करता है।
यहुन्ना और पतरस के कब्र की ओर भाग जाने के बाद, मरियम संभवतः दौड़ने के बाद थक गई होगी, और वह शायद दूसरों के साथ समाचार बाँटने के लिए भी गई होगी। जब उसकी सांस वापस सामान्य हुई होगी, यह समझ पाने के लिए कि क्या हुआ है, वह जल्द वापस कब्र पहुँची। यदि मरियम को स्वर्गदूत ने यीशु के जीवित होने की खुशखबरी सुनाई होगी, तो वह निश्चित रूप से इसे समझ नहीं पाई। जब वह कब्र पर वापस पहुँची, तो यहुन्ना और पतरस पहले ही निकल चुके थे (यहुन्ना 20:10)।
10तब ये चेले अपने घर लौट गए। 11परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते रोते कब्र की ओर झुककर, 12दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी। (यहुन्ना 20:10-12)
हम में से कई लोगों ने पुनरुत्थान के विवरण को इतनी बार सुना है कि यह हमारे लिए बहुत परिचित हो गया है। हमारे लिए यह कल्पना करना कठिन है कि उस पुनरुत्थान की सुबह शिष्यों के लिए यह कैसा रहा होगा। पुनर्जीवित यीशु की अवधारणा ऐसी थी जिसे वे अभी भी समझ नहीं पाए थे, बावजूद इसके कि समय से पहले प्रभु ने उन्हें यह बताने की कोशिशें की थीं कि क्या होगा। मरियम मगदलीनी इस विचार को स्वीकार नहीं कर पाई, शायद इसलिए कि यह विश्वास करने के लिए बहुत अद्भुत था। मनोवैज्ञानिक इस स्थिति को संज्ञानात्मक मतभेद कहते हैं, एक मानसिक परेशानी जो तब होती है जब आपके द्वारा प्राप्त नई जानकारी आपकी मान्यताओं या धारणाओं के विपरीत होती है। जबकि उसने उसे स्पष्ट रूप से क्रूस पर चढ़े देखा था, यीशु जीवित कैसे हो सकता है (मत्ती 27:56)। कोई व्यक्ति कैसे मृत्यु पर हावी हो सकता है? उसका एकमात्र विचार था उसके प्रभु के शव को खोजने की आत्यधिकता। शव अब वहाँ नहीं था, और एकमात्र उचित स्पष्टीकरण यह था कि वह कब्र से चोरी हो गया था!
स्वर्गदूतों द्वारा बात किए जाने पर मरियम चौंकी क्यों नहीं? यीशु सबसे पहले एक महिला, मरियम मगदलीनी, को क्यों दिखा, जिससे उसे सबसे पहले यह खुशखबरी साझा करने का सम्मान मिला? मसीह सबसे पहले एक पुरुष के सामने क्यों नहीं आया?
मरियम मगदलीनी ऐसी महिला थी जिसे प्रभु यीशु ने सात दुष्ट आत्माओं से मुक्त किया था (मरकुस 16:9)। अपने छुटकारे के लिए उसके भीतर उसपर प्रकट यीशु के अनुग्रह, दया और सामर्थ का अत्यंत आभार उमड़ा। जो भी अधिक क्षमा किया जाता है, वह अधिक प्रेम भी करता है। यह एक सुंदर विचार है कि प्रभु एक ऐसी महिला को दिखाई दिया, जो पाप और बुराई की गहराई में थी, लेकिन अब परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ द्वारा बदली गई है। "यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है" (भजन 34:18)। मसीह में विश्वास के अलावा, सभी धर्म महिलाओं को सम्मानित गवाहों के रूप में नहीं देखते, लेकिन यीशु के साथ ऐसा नहीं है। वह परमेश्वर के राज्य में महिलाओं को समरूप नागरिकों के स्थान पर उठाता है (गलतियों 3:28)।
मरियम मगदलीनी उनही लोगों की एक छवि है जिन्हें बचाने मसीह आया है। यीशु ने कहा, “भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है; मैं धमिर्यों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ” (मरकुस 2:1)। मरियम के लिए यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना एक दर्दनाक अनुभव था (मरकुस 15:40), और निस्संदेह उस सप्ताह अंत में कई आँसू बहे होंगे। उस सुबह कब्र के सामने, उसकी भावनाएं एक बार फिर उसपर हावी हो गईं। यहुन्ना हमें बताता है कि वह रोते हुए कब्र के बाहर खड़ी थी (यहुन्ना 20:2)। यह शब्द, "रोना", यूनानी शब्द क्लाईओ है, और यह एक शांत सिसकने की तुलना में अधिक जोर से विलाप दर्शाता है। जब उसने कब्र के अंदर झाँका, तो उसने कफन के कपड़े की पट्टियों की खाली कोकून के सर और पैर पर दो स्वर्गदूतों को बैठे देखा। इस समय तक, दो स्वर्गदूतों को देखकर घबराए रोमी सैनिक चले गए थे, लेकिन मरियम भावनात्मक सदमे में थी और उसके दिमाग में केवल एक ही विचार था; "प्रभु कहाँ है?"
यीशु स्वयं को मरियम मगदलीनी पर प्रकट करता है
तब, स्वर्गदूत मरियम से एक प्रश्न पूछते हैं;
13उन्होंने उससे कहा, “हे नारी, तू क्यों रोती है?” उसने उनसे कहा, “वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहाँ रखा है।” 14यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है। 15यीशु ने उससे कहा, “हे नारी तू क्यों रोती है? किस को ढूंढ़ती है?” उसने माली समझकर उससे कहा, “हे महाराज, यदि तूने उसे उठा लिया है तो मुझसे कह कि उसे कहाँ रखा है और मैं उसे ले जाऊंगी।” 16यीशु ने उससे कहा, “मरियम!” उसने पीछे फिरकर उससे इब्रानी में कहा, “रब्बूनी” अर्थात हे गुरू। (यहुन्ना 20:13-16)
मरियम ने पहले मसीह को क्यों नहीं पहचाना? क्या आपको लगता है कि ऐसे समय रहे हैं जब प्रभु आपके पास आया है लेकिन एक अलग रूप में? यीशु खुद को क्यों छिपाएगा?
ऐसे समय होते हैं जब प्रभु जानबूझकर लोगों से छिपाता है कि वह कौन है, उदाहरण के लिए, लूका 24 में इम्माऊस के मार्ग पर। अज्ञात, यीशु ने चलते-चलते दो शिष्यों के साथ कुछ समय के लिए बात की। जब वे दो शिष्य इम्माऊस की ओर जाने वाले राजमार्ग मार्ग के मोड़ के पास आए, तो उसने ऐसा दिखाया जैसे वह आगे जा रहा हो। यह केवल उनके आग्रह पर था कि यीशु उनके साथ रहा। जब भोजन का समय हुआ, तो उसने रोटी ली और उसे तोड़ा, "तब उनकी आंखे खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया" (लूका 24:28-32)। हम अब दृष्टि से नहीं, बल्कि विश्वास से चलते हैं (2 कुरिन्थियों 5:7)। जब प्रभु चेलों से जब वे गलील के समुद्र में मछली मार रहे थे, मिला, तो उन्होंने उसे नहीं पहचाना (युहन्ना 21:4)। जब यीशु ने उन्हें नाव के दूसरी तरफ अपना जाल डालने के लिए कहा, और उन्होंने ऐसा किया, तो उनका जाल मछलियों से भर गया! यह केवल तभी था कि शिष्यों ने जाना कि वह प्रभु था। अपने मन में प्रभु यीशु को यह सोच कर सीमित न करें कि वह केवल एक निश्चित तरीके से आप तक पहुँचेगा। प्रभु के किसी भी तरह से प्रकट होने के लिए खुले रहें।
कुछ का कहना है कि मरियम अपने गहरे सिसकने और आँसूओं के उसकी दृष्टि को धूमिल करने के कारण यह नहीं पहचान पाईं कि कौन उससे बात कर रहा है। औरों का कहना है कि, शायद, यीशु के पीछे उगते सूरज ने उसका देखना मुश्किल कर दिया था। जब मरियम ने उससे बात की जिसे उसने माली समझा, उसने अभी तक यह नहीं सोचा था कि वह एक शव के साथ क्या करेगी। वह बस इतना जानती थी कि वह अपनी आत्मा के प्रेमी के पास होना चाहती है। जब परमेश्वर का प्रेमी आत्मा में कम महसूस करता है, तो केवल मसीह की उपस्थिति ही काफी होगी। प्रेम अपना मार्ग बना लेता है।
जब यीशु ने अपने घनिष्ठ तरीके से मरियम का नाम पुकारा, तो उसने तुरंत पहचान लिया कि वह कौन था। परमेश्वर की भेड़ें उसकी आवाज़ जानती हैं (युहन्ना 10:4)। इस लेखक ने कई ऐसे लोगों को जाना है जिन्होंने परमेश्वर की सुनाई देने वाली आवाज सुनी है, लेकिन भले ही मैंने अभी तक उसे श्रव्य रूप से नहीं सुना है, एक परिपक्व विश्वासी अपने भीतरी मनुष्यत्व में पहचानता है कि परमेश्वर उससे कब बात कर रहा है। मरियम उसे उसकी आवाज से पहचानती थी। अब, उसके आँसू खुशी के आँसू थे! हम सभी के लिए जो मसीह को जानते हैं, यह कितना अद्भुत होगा जब आखिरकार हम उसे देख पाएंगे जिसकी महिमा देखने और श्रवण आवाज को सुनने के लिए तरस रहे हैं! मैं कल्पना करता हूँ कि मरियम ने उसे अपनी बाहों में लेकर, अपना सर उसके सीने से लगाकर उसे कसकर गले लगाया होगा। वह उसे फिर से जाने नहीं देगी! मैं सोचता हूँ कि उसने इस तरह कितनी
देर तक उसे गले लगाया होगा। यीशु अब उसे एक विशेष कार्य देता है;
17यीशु ने उससे कहा, “मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उनसे कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूँ। 18मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया, कि मैंने प्रभु को देखा और उस ने मुझसे ये बातें कहीं। (यहुन्ना 20:17-18)
अंग्रेजी किंग जेम्स संस्करण ने यीशु को मरियम को "मुझे मत छू" कहते हुए अनुवाद किया है, लेकिन यह जो असल में कहा गया है उसे भ्रमित करता है, क्योंकि, शाम को कुछ घंटे बाद, लूका लिखता है कि यीशु उनके बीच में प्रकट हुआ और कहा, "मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वहीं हूँ; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझमें देखते हो” (लूका 24:39 बल मेरी ओर से जोड़ा गया है)। एन॰ए॰एस॰बी और अधिकांश नवीनतम बाइबल यीशु को मरियम को यह कहते अनुवाद करते हैं, "मुझसे चिपटना बंद करो," या मुझे पकड़े रहना बंद करो। यह संभव है कि मरियम यीशु को देखकर इतनी अभिभूत हो गई कि उसने यीशु के चारों ओर अपनी बाहें डाल दीं और उसे छोड़ा नहीं। लेकिन, यीशु के पास उसके लिए एक विशेष कार्य था कि वह दूसरों को यह खुशखबरी सुनाए। परमेश्वर ने सबसे महान पापियों को सबसे महान सुसमाचार सुनाने वालों के रूप में प्रयोग किया है। प्रभु ने शिष्यों को सबसे पहले यह महान समाचार देने का सम्मान और भरोसा उसे दिया। कुछ ही क्षणों में, मरियम दुःख से निकाल अपरिहार्य आनंद में चली गई थी!
अगर हम इस घटना के अन्य विवरणों को देखें, तो ऐसा लगता है कि ग्यारह को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मसीह जी उठा है। उनके शब्द "उन्होंने उनकी प्रतीति न की" (लूका 24:11)। हो सकता है, उन्हें महसूस हुआ हो कि मरियम को अपनी भावनात्मक स्थिति के कारण मतिभ्रम हो रहा है। कभी-कभी, जब हम दूसरों के साथ सुसमाचार बाँटते हैं, तो हमें लगातार बने रहने की आवश्यकता होती है, क्योंकि संदेश हमेशा तुरंत प्राप्त नहीं होता। जिस संदेश को आप लेकर जाते हैं उसकी सच्चाई पर भरोसा करें और सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने पर निराश न हों। अपने आनंद और मसीह के अपने व्यक्तिगत अनुभव को दूसरों के लिए गवाही बनने दें, और परिणामों को प्रभु के हाथ छोड़ दें।
यीशु की शारीरिक उपस्थिति चालीस और दिनों तक उनसे दूर नहीं जाएगी, अर्थात, पिन्तेकूस्त के दिन पवित्र आत्मा के आने से सात दिन पहले तक। उस समय की अवधि में, प्रभु ने अपने शिष्यों को कई ठोस सबूत दिए कि वह जीवित है, और उसने उन्हें परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखाया (प्रेरितों के कार्य 1:3)। मरियम और अन्य शिष्यों के पास उसके स्वर्ग में उठाए जाने से पहले मसीह के साथ समय मिलेगा, लेकिन अभी के लिए, दूसरों के साथ बाँटने के लिए खुशखबरी या सुसमाचार था। हमें भी, अपने आस-पास के लोगों के लिए सुसमाचार लेकर जाना है। वह जी उठा है!
जब यीशु ने मरियम से शिष्यों को बताने के लिए कहा, तो उसने उन्हें क्या बुलाया, और अब उनके साथ मसीह के संबंध के बारे में नया क्या था? (युहन्ना 20:17)।
क्रूस पर मसीह की प्रायश्चित और छुटकारे की मृत्यु के द्वारा, परमेश्वर ने पर्दा फाड़ दिया है और हमारे लिए उसके संग एक संबंध का आनंद उठाने के लिए मार्ग बनाया है; अब हम उसे पिता कह सकते हैं। यदि हमने अपना जीवन उसे सौंपा है, तो हम उसके परिवार में हैं! प्रभु अब हमें भाई कहता है, अर्थात्, वे सभी जो नई वाचा में लहू के द्वारा परमेश्वर के साथ वाचा के संबंध में हैं। हम सभी जो अन्यजातियों में से हैं, उन्हें विश्वास के जलपाई वृक्ष के साथ कलम से जोड़ दिया जाता है (रोमियों 11:17-21)। दो कलीसियाएं नहीं हैं, यानी, एक अन्यजातियों की और एक यहूदियों की। नहीं, सुसमाचार के शुभ संदेश पर प्रतिक्रिया देने वाले अन्य जाति लोग भी विश्वास में सभी भाई-बहन हैं। यीशु की केवल एक ही देह है, जो सभी विश्वासियों से बनी है। विश्वास में हम भाई-बहन हैं; "यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो" (गलातियों 3:29)।
यीशु स्वयं को शिष्यों पर प्रकट करता है
19उसी दिन जो सप्ताह का पहिला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहाँ के द्वार जहाँ चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।” 20और यह कहकर उसने अपना हाथ और अपना पंजर उनको दिखाए; तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए। 21यीशु ने फिर उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।” 22 यह कहकर उसने उन पर फूंका और उनसे कहा, “पवित्र आत्मा लो। 23जिनके पाप तुम क्षमा करो वे उनके लिये क्षमा किए गए हैं जिनके तुम रखो, वे रखे गए हैं। (यहुन्ना 20:19-23)
उस पुनरुत्थान की पहली संध्या पर, वह दो शिष्य जो इम्माऊस के मार्ग पर प्रभु से मिले थे, साथ इक्कठे हुए शिष्यों के पास वापस पहुँचे (लूका 24:33)। बंद दरवाजों के बीच उस उत्साहित सभा में, यीशु कमरे के बीच में प्रकट हुआ। क्या आप उसे देखने पर उनकी खुशी की कल्पना कर सकते हैं? उनके मन उन्हें बता रहे थे कि प्रभु का यह प्रकट होना असंभव था, लेकिन वह यहाँ था, निकट और व्यक्तिगत। उनके बीच में उनका प्रकट होना साबित करता है कि यीशु के आगमन पर हमें जो पुनरुत्थान के शरीर प्राप्त होंगे वह अब हमारे पास मौजूद शरीर से अलग हैं। यीशु शारीरिक रूप से एक जगह से दूसरी जगह जाने में सक्षम था, जहाँ दीवारें और दरवाजे बाधा नहीं थे। उसी तरह, मृतकों के पुनरुत्थान के समय हमें जो शरीर प्राप्त होंगे, वे बेहतर होंगे। प्रेरित पौलुस ने कहा कि हमारा नया शरीर “अविनाशी रूप में जी उठता है, वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है, स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है।” (1 कुरिन्थियों 15: 42-44)।
मसीह का पुनरुत्थान न केवल अमरता का सबसे अच्छा प्रमाण है, बल्कि हमारे पास इसके सिवाय अमरता का कोई निश्चित प्रमाण है भी नहीं। मसीह के जी उठने के बाद मृत्यु की ही मृत्यु हो गई। विश्वासी के लिए, मृत्यु अब एक शत्रु नहीं है, लेकिन यीशु के क्रूस पर इसके ऊपर विजय प्राप्त कर ली गई है। पुनरुत्थान विश्वासियों के लिए प्रमाण है कि परमेश्वर ने अपने बुलाए हुए लोगों (कलीसिया) की ओर मसीह के बलिदान को स्वीकार कर लिया है। क्रूस पर मसीह के सम्पन्न कार्य पर भरोसा करने वाले सभी लोगों का मेल-मिलाप पिता के साथ करा दिया गया है।
37परन्तु वे घबरा गए, और डर गए, और समझे, कि हम किसी भूत को देखते हैं। 38उसने उनसे कहा, “क्यों घबराते हो और तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं?” 39मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वहीं हूँ; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।” 40यह कहकर उस ने उन्हें अपने हाथ पांव दिखाए। 41जब आनन्द के मारे उनको प्रतीति न हुई, और आश्चर्य करते थे, तो उसने उनसे पूछा, “क्या यहाँ तुम्हारे पास कुछ भोजन है?” 42उन्होंने उसे भूनी मछली का टुकड़ा दिया। 43उसने लेकर उनके सामने खाया। (लूका 24:37-43)
उपर्युक्त खंड में, लूका 24:38 में, यीशु प्रेम से उन्हें यह कहते हुए चुनौती देता है, “क्यों घबराते हो और तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं?” आपको क्या लगता है कि उनके मनों को क्या संदेह परेशान कर रहे होंगे? आपके मन को क्या संदेह परेशान करते हैं? यीशु ने उनकी उपस्थिति में कुछ क्यों खाया?
यह साबित करने के लिए कि उसका शरीर वास्तविक था और वह भूत नहीं था, यीशु ने उनके सामने खाया।
यीशु ने स्वयं को थोमा पर प्रकट किया
प्रेरित युहन्ना अब पुनरुत्थान के एक अंतिम गवाह और उसके यीशु के जीवित होने के विश्वास में आने की कहानी के विषय में लिखता है।
24परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो उनके साथ न था। 25जब और चेले उससे कहने लगे कि हमने प्रभु को देखा है, तब उसने उनसे कहा, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ, और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूँ, और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूँ, तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा। 26आठ दिन के बाद उसके चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उनके साथ था, और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, “तुम्हें शान्ति मिले”। 27तब उसने थोमा से कहा, “अपनी उंगली यहाँ लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।” 28यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!” 29यीशु ने उससे कहा, “तूने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया।” (यहुन्ना 20:24-29)
उस रात थोमा यीशु को देखने से कैसे चूक गया? इससे पहले कि हम बहुत कठोर रूप से उसका न्याय करें, हमें स्वीकार करना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से त्रासदी और दर्द से निपटता है। शायद, थोमा ने संगति के बजाय एकांत की खोज में पीछे हटते हुए खुद को अलग कर दिया होगा। एक समय हर किसी को एकांत की आवश्यकता होती है, लेकिन जब एक विश्वासी आत्मा में कम महसूस करता है, तो अन्य विश्वासियों के साथ और प्रोत्साहन को खोजना बुद्धिमानी है। जब हम खुद को अलग-थलग कर लेते हैं, तो हमें इस बात की जानकारी नहीं होती कि हम कितने कमजोर हो सकते हैं और हम क्या आशीष पाने से चूक सकते हैं। थोमा ने अन्य शिष्यों को बड़े उत्साह के साथ यीशु की उपस्थिति के बारे में बात करते हुए सुना, लेकिन उसने खुद इसपर विश्वास नहीं किया।
थोमा के प्रति प्रभु कितना कृपालु था! वह निकट आया और उसे स्वयं प्रमाण की जाँच करने के लिए आमंत्रित किया ताकि वह विश्वास कर सके! यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि, जब थोमा को प्रभु यीशु के प्रकट होने के बारे में बताया गया था, जबकि प्रभु वहाँ नहीं था, वह विश्वास करने में उसके इनकार को सुन रहा था। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हमारे मुख से जो कुछ भी निकलता है, वह सब सुना जाता है। परमेश्वर के ध्यान से कुछ भी नहीं बचता है, और हर निष्क्रिय शब्द और कार्य दर्ज किया जाता है (मत्ती 12:36)।
थोमा विश्वास से चलने के लिए तैयार नहीं था। वह केवल उस पर भरोसा कर रहा था जो वह अपनी इंद्रियों के माध्यम से देख और अनुभव कर सकता था। चेले यीशु के साथ एक नए संबंध में प्रवेश कर रहे थे, एक ऐसा संबंध जिसमें उन्हें विश्वास से चलना होगा, न कि दृष्टि से। इससे पहले कि वह विश्वास करे, थोमा पहले देखना और महसूस करना चाहता था कि मसीह वास्तव में जी उठा है। जब प्रभु ने अपने हाथों में कीलों के निशान महसूस करने के लिए थोमा को आमंत्रित किया, तो वह यह कहते हुए अपने घुटनों पर गिर गया, "हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!"
थोमा के श्रेय के लिए, एक बात एक बार उसने यीशु को देख लिया, तो वह पीछे नहीं रहा, लेकिन तुरंत उसकी आराधना की। अंतत: उसने उस आशीष और आनंद में प्रवेश किया जिसे अन्य शिष्यों ने अनुभव किया था। सभी विश्वासियों के पास उनकी इंद्रियों द्वारा अनुभव किए गए प्रमाण नहीं होंगे। थोमा की तरह, कुछ लोग मसीह में विश्वास रखने से पहले पूर्ण प्रमाण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ लोग विश्वास का कदम इसलिए नहीं उठाएंगे क्योंकि वे प्रभु से एक अलौकिक संकेत या एक भविष्यवाणी के वचन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ अवसर पर, परमेश्वर असामान्य रूप से एक व्यक्ति को प्रमाण दे सकता है, लेकिन हमें परमेश्वर के वस्तुनिष्ठ वचन और अपने अंदर पवित्र आत्मा की गवाही पर विश्वास में कदम बढ़ाने चाहिए। हमें विश्वास से जीना चाहिए न कि दृष्टि से। यीशु ने थोमा से कहा, “तूने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया” (युहन्ना 20:29)। यदि आप एक विश्वासी हैं, तो यीशु आपके बारे में कह रहा था!
सी.एस. लुईस की पुस्तक द स्क्रूटेप लेटर्स में, एक अनुभवी वरिष्ठ दुष्ट-आत्मा और एक युवा दुष्ट-आत्मा के बीच एक काल्पनिक प्रशिक्षण सत्र चल रहा है। युवा दुष्ट-आत्मा को नए मसीही के विश्वास को भंग और नष्ट करने की कोशिश करने के लिए अपने पहले कार्य पर सलाह की आवश्यकता होती है। सी.एस. लुईस एक नए मसीही के दृष्टि के बजाए विश्वास से चलने को सीखने में दिलचस्प अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं;
वह [परमेश्वर] उन्हें चलना सिखाना चाहता है और इसलिए उसे अपना हाथ हटा देना होगा; और वह वास्तव में लड़खड़ाने से भी प्रसन्न है यदि हम उनमें चलने की इच्छा है। धोखा मत खाओ, वर्मवुड। हमारा कारण कभी इससे ज़्यादा खतरे में नहीं होता है जब एक मानव हमारे शत्रु की इच्छा को पूरा करने की अब कोई इच्छा नहीं रखते हुए, अभी भी पूरा करने का इरादा रखता है; इस ब्रह्मांड पर चारों ओर देखते हुए जहाँ उसे उसके (परमेश्वर का) हर निशान गायब प्रतीत होता है, और वह यह पूछ कि उसे क्यों छोड़ दिया गया है, फिर भी आज्ञाकारी रहता है।
जिन लोगों ने पाँच इंद्रियों से अनुभव न करने के बावजूद भी विश्वास किया है, वह उस प्रकार का विश्वास व्यक्त करते हैं जिसकी खोज परमेश्वर को है। अफ्रीकी मृग हमें अपने चेतना ज्ञान और विश्वास के बीच अंतर का एक आदर्श चित्रण देता है। जबकि यह जानवर दस फीट से अधिक की ऊँची छलांग मार सकते हैं और एक ही छलांग में तीस फीट से अधिक की दूरी तय कर सकते हैं, इस मृग को केवल तीन फीट ऊंची दीवार वाले एक बाड़े में रखा जा सकता है। जब तक वे यह नहीं देख सकते कि उनके पैर जमीन पर कहाँ टिकेंगे, वे छलांग नहीं मारते। विश्वास उसपर भरोसा करने की वह क्षमता है जिसे हम देख नहीं सकते हैं, लेकिन फिर भी उन सब बाधाओं के पार छलांग लगाते हैं जो हमें अपनी इंद्रियों के दायरे में बांधकर रखती हैं। थोमा उन कुछ लोगों में से अंतिम है जिन्हें यहुन्ना आपको और मुझे मसीह में विश्वास और भरोसा करने में मदद करने के लिए एक गवाही के रूप में प्रस्तुत करता है।
30यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के सामने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए। 31परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है; और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ। (यहुन्ना 20:31-32)
यहुन्ना लिखता है कि कई अन्य चिन्हों को प्रदर्शित किया गया था, लेकिन इन सभी चिन्हों को दर्ज नहीं किया गया है। हमारी तरह ही, उन्हें भी अपने विश्वास पर भरोसा करना होगा न कि अपने वर्तमान अनुभव या इंद्रियों पर। शायद, आप खुद को ऐसी ही स्थिति में पाते हैं। याद रखें कि कठिनाइयों के बावजूद जब आप उसके वचन को थामे रहते हैं तो प्रभु आपसे कैसे प्रसन्न होता है। जबकि आप उसकी उपस्थिति महसूस नहीं करते हैं और जब यह संसार राज्य के संदेश के विपरीत लगता है, तो हम जानते हैं कि हम उसके हैं, और वह हमारे विश्वास से प्रसन्न है।
प्रार्थना: धन्यवाद पिता, मसीह के पुनरुत्थान के लिए, जो हमारे लिए मसीह के प्रतिस्थापन कार्य को स्वीकार करने के प्रमाण कि स्वीकृति है। हमें अपनी इंद्रियों के प्रमाण के बजाय विश्वास से चलने में हमारी सहायता करें। हम उस दिन का इंतजार करते हैं जब हमें विश्वास से चलने की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन हम तुझे तेरी सम्पूर्ण महिमा में देखेंगे (अय्यूब 19:25-27)।
कीथ थोमा
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