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2. The Parable of the Ten Virgins

2. दस कुंवारियों का दृष्टान्त

शुरुआती प्रश्न: क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने अपने आप को गलती से अपनी कार, घर, आदि में बंद कर लिया हो? यदि नहीं, तो क्या आप किसी ऐसे समय के बारे में सोच सकते हैं जब आपको यह महसूस हुआ हो कि आपको दरकिनार कर दिया गया हो? संक्षेप में अपने अनुभव को साझा करें।

 

यीशु के पास कहानियों या दृष्टान्तों को बताने का एक ऐसा तरीका था जो लोगों के हृदयों को मोहित कर लेता और लोगों को उनके अस्तित्व की गहराईयों में हिलाकर रख देता, खासकर तब, जब वह कहानी को पलट सुनने वालों पर लागू कर देता था। उसने शमौन जो फरीसी था, उसके साथ ऐसा तब किया जब शमौन ने व्यभिचार में पड़ी स्त्री को अपने पैरों पर रोने और उन आँसुओं को बालों से पोंछने की अनुमति देने पर यीशु की आलोचना की थी (लूका 7: 41-43) मसीह के दृष्टान्त उनके सुनने वालों के हृदयों को प्रकट करते थे। ओहदे या लिंग के बावजूद, उसके शब्द उन तक पहुँचते थे, यहाँ तक ​​कि आत्म-धर्मी और वह लोग भी जो यह समझते थे कि वो धार्मिकता की राह पर ठीक चल रहे हैं। यीशु अपने शब्दों के साथ एक तस्वीर रच देता जो सुनने वालों को एक निष्कर्ष निकालने पर विवश कर देती, और फिर उनपर यह प्रकट होता कि वे स्वयं उस कहानी का एक हिस्सा हैं! यह लोगों को स्वयं को एक नई रोशनी में देखने पर मजबूर करता।

 

पुराने नियम के भविष्यवक्ता ने इसी तरह से बात की थी। प्रभु किसी बात को समझाने के लिए सुनने वालों को एक कहानी या सादृश्य बताते जो उन्हें एक राय बनाने के लिए उत्तेजित करतीं। उदाहरण के लिए, भविष्यवक्ता नातान ने राजा दाऊद को उस छोटी सी भेड़ की कहानी सुनाकर जिसे उसके उस स्वामी से चुरा लिया गया था जो उससे अत्यंत प्रेम करता, सुनाने के द्वारा किया था (2 शमूएल 12: 1-10) इस कहानी ने दाऊद को अपने जीवन को परमेश्वर के दृष्टिकोण से देखने पर विवश किया। परमेश्वर ने योना के साथ उस रेंड़ के पेड़ की कहानी के द्वारा भी ऐसा ही किया। परमेश्वर ने योना को दिखाया कि उस भविष्यवक्ता को उन लोगों की चिंता के बजाए जिन्हें परमेश्वर चेतावनी का सन्देश देना चाहता था, कहीं अधिक चिंता उस रेंड़ के पेड़ से थी (योना 4: 5-11) असल में योना इसलिए नाराज़ हो गया था क्योंकि परमेश्वर ने करुणा दिखाने का चुनाव किया!

 

मुझे यकीन है कि हम सभी सोचते हैं कि अगर परमेश्वर ने किसी पर करुणा दिखाने का चुनाव किया तो हम कभी भी नाराज़ नहीं होंगे। लेकिन एक क्षण ठहर जाइए। क्या आपने कभी किसी के लिए यह चाहा है वह देख पाए कि उसे “अपनी करनी का फल मिले?” देखिये, जब परमेश्वर हमारे हृदयों के गुप्त स्थानों में ज्योति बिखेरता है, तो हम अक्सर जो प्रकाशित होता है उससे आश्चर्यचकित रह जाते हैं। वह ऐसा हमारे लिए अपनी महान करुणा के कारण करता है। हम जिस कहानी पर विचार करने जा रहे हैं, उससे वह हम में से हर एक से बात करना चाहता है कि हम इस बारे में सोचें कि हम इस कहानी में कौन सा पात्र हैं। यह दृष्टान्त दूल्हे के आगमन और अनंत काल के आरम्भ पर सभी विश्वासियों की निरंतर तैयारी पर केंद्रित है।

 

 

1तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। 2उन में पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। 3मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया। 4परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। 5जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गईं। 6आधी रात को धूम मची, ‘कि देखो, दूल्हा रहा है, उस से भेंट करने के लिए चलो।7तब वे सब कुंवारियाँ उठकर अपनी अपनी मशालें ठीक करने लगीं। 8और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं।9परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया किकदाचित यह हमारे और तुम्हारे लिये पूरा हो; भला तो यह है, कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।10जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गईं और द्वार बन्द किया गया। 11इसके बाद वे दूसरी कुंवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।12उसने उत्तर दिया, ‘कि मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।13इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम उस दिन को जानते हो, उस घड़ी को।(मत्ती 25:1-13)

 

मध्य पूर्वी क्षेत्र के विवाह (पद 1)

 

सबसे पहले, हमें इस दृष्टान्त के संदर्भ को देखने की आवश्यकता है। यीशु अपने शिष्यों से अपनी वापसी और उस समय के विषय में विस्तार से बात कर रहा था जब वह अपने राज्य को स्थापित करेगा और उसकी दुल्हन से उसका विवाह होगा (मत्ती 24) असल में, जब मत्ती ने इस सुसमाचार को लिखा था तो उसमें कोई अध्याय विभाजन नहीं था, इसलिए हमें इस दृष्टान्त को पिछले अध्याय से जुड़ा हुआ देखना चाहिए। यह उसके दूसरे आगमन पर हृदय की तैयारी और हृदय की प्रतिक्रिया के विषय पर और आगे बढ़ता है। याद रखें, कि पिछले दृष्टान्त में, यीशु ने उस व्यक्ति का उल्लेख किया था जो विवाह समारोह में विवाह के वस्त्र के बिना था। तो हम इन कहानियों को एक समान विचारधारा में बताया हुआ पाते हैं।

 

उन दिनों की विवाह प्रथाएं आज की हमारी पश्चिमी संस्कृति से जिसके हम आदि हैं बहुत अलग थीं। यह मध्य पूर्व क्षेत्र में एक सामान्य विवाह उत्सव है। आमतौर पर, दूल्हा अपने करीबी मित्रों के साथ, दुल्हन के घर जाता जहाँ सब उत्सव होते। इसके बाद नए घर की ओर एक जुलूस जाता, जहाँ जोड़ा राजा और रानी की तरह होते और एक सप्ताह के लिए उत्सव मनाया जाता (उत्पत्ति 29:27) दुल्हन की करीबी सहेलियाँ दस कुंवारियाँ होतीं, जिनका कार्य मार्ग को प्रकाशित करना और दूल्हे और उसके करीबी दोस्तों का दुल्हन के घर में स्वागत करना था। वे उसके बाद दूल्हे के विवाह और उत्सव में प्रवेश करतीं। जब वह दूल्हे के मित्रों को यह पुकारते सुनतीं, कि देखो, दूल्हा रहा है, उस से भेंट करने के लिए चलो!” तब उन सहेलियों को पता चल जाता कि अब जाकर मार्ग को प्रकाशित करना है।

 

यहाँ पाठक इस धारणा के साथ चलता है कि दूल्हा और दुल्हन एक ही शहर से नहीं हैं, और इसलिए, दूल्हे के आने का समय अनिश्चित है। समय जो भी होता, सहेलियों को तैयार रहना आवश्यक था। दृष्टान्त में दुल्हन का कोई उल्लेख नहीं किया गया है; हमें इस दृष्टान्त को ज़रूरत से ज्यादा समझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इजराइल और आज के समय में कलीसिया के लोगों को कुछ बुद्धिमान और कुछ मूर्ख कुंवारियों के रूप में वर्णित किया गया है जो दूल्हे की प्रतीक्षा कर रही हैं, जो प्रभु यीशु की तस्वीर है। यही इस खंड का केंद्र है।

 

विवाह के स्थल का मार्ग दिखाने में मदद करने के लिए, सहेलियों (कुंवारियों) को इस पुकार को सुनते ही कि दूल्हा निकट है अपनी मशाल/ लालटेन को तुरन्त ठीक करना होता। मशाल/ लालटेन को ठीक करने का अर्थ उसकी बाती के जले हुए भाग को काट देना था ताकि वह फिर से समान रूप से जले। फिर, वे मशाल/ लालटेन के अंदर से और बाती खींच लेतीं जिसके कारण प्रकाश और ज़्यादा उजागर हो जाता। बेशक, इसका मतलब था कि वह लाई हुईं कुप्पियों में से उसमें और तेल डाल लें (पद 4) तब वह दूल्हे और उसके मित्रों का स्वागत करतीं और उनके साथ विवाह में चलीं जातीं। अल्फ्रेड एडर्सहैम हमें इसकी एक तस्वीर बना पाने में मदद करते हैं:

 

"‘लालटेन’, – न कि 'मशालें', जो दस कुंवारियों के पास थीं, उच्चतम निर्माण के थे .... उनमें बाती या तेल के लिए गोल पात्र था। यह गहरी तश्तरी के एक खोखले प्याले में रखा होता था, जिसे नुकीले छोर पर एक लम्बी लकड़ी के खम्भे पर लगा दिया जाता था। यहूदी अधिकारियों के अनुसार, पूरब में दुल्हन के जुलूस को ले जाने के लिए इस तरह की दस लालटेन होने की एक प्रथा थी, दस किसी भी कार्यालय या समारोह में उपस्थित होने के लिए आवश्यक संख्या थी, जैसे कि विवाह समारोह के साथ आने वाली मंगलकामनाएं।1

 

यह उन कुंवारियों की अपनी लालटेन होती थी। दृष्टान्त का जोर इस बात पर है कि उनमें से प्रत्येक को दूल्हे के आगमन पर तैयार रहने के लिए विशेष ध्यान और तैयारी करने की आवश्यकता थी। उन्हें दूल्हे के आगमन से पहले उस अंधेरी रात में ज्योति होने के लिए तैयार होना था। दुर्भाग्य से, उनमें से पाँच दूल्हे के रात को देर से आने की उम्मीद नहीं कर रहीं थीं, और उन्होंने देर रात तक अंधेरे का सामना करने के लिए तैयारी नहीं की। जिस तरह से यीशु ने दृष्टान्त के बारे में बताया, वह संकेत दे रहा था कि वह भविष्यवाणी कर रहा था कि उसके आने का इंतजार लंबे समय तक का होगा। 5जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई। (मत्ती 25:5)

 

कुछ लोग कहते हैं कि कलीसिया को रात के लिए तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रभु अंधकार होने से पहले उनके लिए आएंगे। क्या आप कहेंगे कि दुनिया भर में कलीसिया रात्रि के अंधकार के लिए तैयार है? आज के विश्वासियों को अंधकार की शुरुआत के लिए कैसे तैयारी करना चाहिए?

 

सभी दस कुंवारियाँ उन सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करतीं हैं जो विश्वासी होने का दावा करते हैं, लेकिन केवल कुछ ही लोगों के पास जीवन की ज्योति है जबकि अन्य के पास नहीं। कुछ लोग खाली लालटेन के समान हैं जो मसीह के जीवन की ज्योति को वहन नहीं करते। किसी भी कलीसिया में, कुछ अच्छे अभिनेता और ढोंगी होते हैं। शिष्यों के झुण्ड में, यहूदा ने एक शिष्य होने का नाटक किया, लेकिन उसने वास्तव में कभी पश्चाताप नहीं किया - वह एक पाखंडी था, जीवन के मंच पर एक अभिनेता (यूहन्ना 12:4-6, यहुन्ना 6:70-71)। केवल उन्ही लोगों ने जिन्होंने वास्तव में पश्चाताप किया हैं (पाप से मुँह मोड़ लिया है) और मसीह को और उसके आत्मा के प्रावधान को प्राप्त किया है वास्तव में संसार में ज्योति हैं (मत्ती 5:14)। हम शरीर, प्राण और आत्मा से बने त्रिपक्षीय प्राणी हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:23), लेकिन जब तक हम प्रभु के जीवन और ज्योति की भेंट प्राप्त नहीं करते हमारी आत्मा मृत है (इफिसियों 2:1 और 5)मनुष्य की आत्मा यहोवा का मशाल/ लालटेन है; वह मन की सब बातों की खोज करता है। (नीतिवचन 20:27) यीशु ने कहा, जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।” (यहुन्ना 8:12) पाँच बुद्धिमान कुंवारियाँ वास्तविक विश्वासियों का प्रतीक हैं। उनके दीपकों में तेल उन में वास करने वाले पवित्र आत्मा का प्रतीक है, असल में तो, पवित्र आत्मा के बिना तो कोई भी विश्वासी हो ही नहीं सकता:

 

और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी। (इफिसियों 1:13)

 

अंधेरे में प्रतीक्षा करते समय सभी दस कुंवारियाँ सो गईं। जबकि हमारा शत्रु मनुष्य के प्राणों पर अन्धकार के साए को बढ़ाता है, हम उसकी योजनाओं के बारे में सब कुछ नहीं जानते, लेकिन हमारा काम संसार में अपने आस-पास के लोगों को ज्योति के लिए तैयार, जागरूक, सतर्क और केन्द्रित करना है। हमारे समय में अन्धकार पहले से इस स्तर तक अत्यंत घंघोर हो गया है कि इस समय के कई लोग कह रहे हैं कि जो लोग परमेश्वर की सच्चाई की ज्योति को थामे रहते हैं, वे मूर्ख हैं। यह एक आम विचार है कि जो लोग खुद को मसीही कहते हैं, वे आज की वास्तविकता की ताल से दूर हैं और हमें ऐसे विचारों को छोड़ देना चाहिए कि मसीह कभी आएगा और चीज़ों को सही करेगा। जो लोग आत्मिक रूप से जागरूक हैं उन्हें संसार द्वारा वापस सो जानेकी सलाह दी जाती है।

 

3और यह पहले जान लो, कि अन्तिम दिनों मे हंसी ठट्ठा करनेवाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे। 4और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहाँ गई? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था? (2 पतरस 3:3-4)

 

वह कुछ बातें क्या हैं जो कलीसिया की आत्मिक सुस्ती को अनुभव करने का कारण बनाती हैं?

 

पाँच बुद्धिमान कुंवारियाँ

 

सबसे अन्धकार के समय में, मध्य रात्रि को (मत्ती 25:6), जब नींद अपनी सबसे गहराई में थी, तो अचानक की गई पुकार ने सभी को चौंका कर उठाया। उन्होंने अग्रदूत को पुकारते हुए सुना कि दूल्हा आ रहा था। वे तुरंत उस से मिलने के लिए उठीं। जो बुद्धिमान थीं उन्होंने अपनी कुप्पियों में से अपने साथ लाए लालटेन में और तेल भर उसे तैयार कर लिया (पद 5), अपनी बातियाँ काट लीं, और दूल्हे से मिलने चली गईं। आइए, अब परमेश्वर के वचन में सबसे अद्भुत वाक्यों में से एक पर विचार करें। हमें बताया जाता है कि,दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गईं और द्वार बन्द किया गया।” (मत्ती 25:10) हाँ, दूल्हा आएगा। आपमें से जो लंबे समय तक इंतजार कर रहे हैं और विश्वश्योग्य रहे हैं वे विवाह में आने की पुकार को सुनेंगे।

 

10वें पद से चार महत्वपूर्ण विचार:

 

1) पहली बात, हम देखते हैं कि दूल्हे के आगमन पर विवाह में एक तत्कालीन प्रवेश है। जब हम पुकार सुनने के क्षण के विषय पर सोचते हैं तो हम किसी कल्पित दंतकथा को नहीं सुन रहे हैं। पहले कुछ समय के कष्ट के स्थान के होने की भ्रान्ति के विचार को ग्रहण न करें। नहीं, यह उसके आगमन पर तत्काल हो जाएगा। यदि आप एक विश्वासी हैं, तो आपका आनंद महान होगा। जब आप पृथ्वी के अन्धकार के मध्य में उसके आगमन निहारेंगे, तो आपका मुख उज्ज्वल हो जाएगा। आप में से जो बीमार हैं और मर रहे हैं, यदि मृत्यु आपको मसीह के आने से पहले बुला लेती है, तो आप उठकर उन लोगों से पहले जाएंगे जो अब भी जीवित और उस दिन पृथ्वी पर शेष हैं।

 

13हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञानी रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाई शोक करो जिन्हें आशा नहीं। 14क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा15क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे16क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। 17तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे18सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो। (1 थिस्सलुनीकियों 4:13-18)

 

आपमें से जो पहले से ही मसीह में किसी प्रियजन को मृत्यु की नींद में खो चुके हैं, इस बात में आश्वस्त रहिए कि यदि उनकी मृत्यु मसीह में हुई है, तो वह पहले से ही महिमा में मसीह के साथ हैं:

 

इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। (2 कुरिन्थियों 5:8)

 

क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूँ; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जाता रहूँ, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है। (फिलिपियों 1:23)

 

उनकी देह भले ही दफ़नाई या आग में भस्म कर दी गईं हों, लेकिन उनकी आत्माएं दूल्हे के आगमन के साथ वापस आएँगी वह जिन्हें उनके शरीरों से अलग कर दिया गया है, वह उसके आगमन पर नई महिमामय देह धारण करेंगे (1 कुरिन्थियों 15:51-53) और सभी विश्वासियों के साथ स्वर्ग के उत्सव भवन में एकत्रित होंगे। बाइबिल बताती है कि, क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।(1 थिस्सलुनीकियों 4:14) उसके आगमन और विवाह उत्सव के प्रवेश के बीच कोई अंतराल नहीं है। वो जो मूर्ख रहे और तेल मोल लेने चले गए इस बात से चौंक गए कि द्वार बंद किया जा चुका है।

 

2) दूसरा, ध्यान दीजिये कि समारोह में प्रवेश एक अति घनिष्ट अनुभव था क्योंकि यह उसके साथ था। कितना अद्भुत विचार, कि यीशु स्वयं, दूल्हा, हमारा हाथ पकड़े हमें अपने पिता की उपस्थिति में विवाह के उत्सव में लेकर जाएगा। मसीह के आगमन पर हम सदा के लिए उसके साथ विवाह की वाचा में बांध दिए जाएंगे।

 

क्योंकि मैं तुम्हारे विषय मे ईश्वरीय धुन लगाए रहता हूँ, इसलिए कि मैंने एक ही पुरूष से तुम्हारी बात लगाई है, कि तुम्हें पवित्र कुंवारी की नाई मसीह को सौंप दूँ। (2 कुरिन्थियों 11:2)

 

उस दिन हम क्या ही अद्भुत वस्त्र पहने होंगे! हम उसके स्वरुप में रूपांतरित किये जाएंगे और उसकी महिमा प्रदर्शित करेंगे (2 कुरिन्थियों 3:18)। जब हम उसके सुन्दर मुख की ओर ताकेंगे और वह हमारे लिए अपने अनंत प्रेम की घोषणा करेगा, तो इससे अद्भुत क्या और कुछ हो सकता है?

टाइम्स ऑफ जीसस मस्सायाह, हैन्द्रक्ससन पब्लिशर्स, पृष्ठ 788

 

7आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें! क्योंकि मेम्ने का ब्याह पहुँचा: और उस की दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है। 8और उस को शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया, क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है। (प्रकाशितवाक्य 19:7-8)

 

स्वर्ग और अनंतकाल के विषय में वह क्या है जो आपको सबसे ज़्यादा भाता है?

 

हम सदा उसके साथ होंगे। उस दिन कोई भी हमारे विरोध में एक शब्द तक न बोलेगा और वहाँ पिता के सम्मुख हमपर दोष लगाने वाला कोई नहीं होगा क्योंकि उसके लहू में सब पाप क्षमा कर दिए गए हैं। क्रूस पर हमारे स्थान पर मसीह की मृत्यु के द्वारा अलौकिक न्याय सम्पूर्ण किया जा चुका है वह जो तैयार थे उसके संग विवाह समारोह में प्रवेश कर गए

3) मैं इस बात पर केन्द्रित होना चाहता हूँ कि यह प्रवेश कितना आनंदमय होगा। यह उसके विवाह का गवाह होने के लिए प्रवेश नहीं है; यह उससे विवाहित होने के लिए है। यह पृथ्वी पर एक विवाह समारोह नहीं है, यह स्वर्ग में एक विवाह है। यह आपके द्वारा देखे गए किसी भी विवाह से कई गुणा अद्भुत होगा, और मैं आपको फिर याद दिला दूँ, अगर आप मसीह में विश्वासी हैं, आप दुल्हन हैं! आप एक दिन उसे आप से विवाह की सदा रहने वाली प्रतिज्ञाएँ करते सुनेंगे। जैसा पौलुस ऊपर कुरिन्थियों की कलीसिया को समझाता है, इस समय पर, स्वर्ग की इस ओर, हमें केवल उसके साथ विवाह की मंगनी या प्रतिज्ञा में बाँधा गया है(2 कुरिन्थियों 11:2) जब दूल्हा आएगा, तब विवाह समारोह होगा। अगली बार जब आप पृथ्वी पर किसी विवाह समारोह में जाएं, आप उसे एक धुंधली तस्वीर के रूप में देख सकते हैं, उस दिन की एक परछाई जिस दिन वो आपको विवाह में लेने आपके द्वार आएगा। वह जो तैयार थे उसके साथ विवाह समरोह में भीतर चले गए। बिना किसी बुराई, किसी परीक्षा वाला, यह कितना ही आशीष भरा समय होगा। और आँसू न होंगे, क्योंकि परमेश्वर के पुत्र के विषय में कहा गया है, और वह उन की आंखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु रहेगी, और शोक, विलाप, पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।(प्रकाशितवाक्य 21:4)

 

4) एक और विचार है जिसे मैं जाने नहीं दे सकतावो यह है कि द्वार बंद है। यह इस बात को दर्शाता है कि इस सब में हमारा यह नया अनुभव अनंत है। जो परमेश्वर आपके जीवन में करता आया है, केवल उस दिन के लिए एक तैयारी है, लेकिन जब वो दिन आएगा, वह अनंत होगा, और यह जानना कितना अद्भुत है कि हम मसीह के संग भीतर बंद हैं (मत्ती 25:10) स्वाभाविक रूप से, कोई भी स्वर्ग के आनंद के लिए तैयार नहीं है; कोई पुरुष या स्त्री कभी इसके योग्य नहीं ठहर सकता यहाँ एक उंढेला जाना है, आपके आत्मा में परमेश्वर के जीवन का एक अलौकिक संचार हर एक को इस भीतरी बदलाव से होकर गुज़रना है। यीशु ने कहा, “तुम्हें नए सिरे से जन्म लेने की आवश्यकता है” या उपर से जन्म लेने की (यहुन्ना 3:3) यहाँ पर यूनानी शब्द जिसका अनुवाद नए सिरे से किया गया है, का एक अर्थ “उपर से” भी हैजब हम वाकई में पश्चाताप करते हैं (अपने पाप से मुँह मोड़ कर आज्ञाकारिता में प्रभु यीशु की ओर मुड़ना) और परमेश्वर के वरदान को ग्रहण करते हैं, जो मसीह में अनंत जीवन है, उस समय से हमारे नाम मेमने की जीवन की पुस्तक में लिखे गए हैं (प्रकाशितवाक्य 21:27)। जितना ही पीड़ादायक यह बाहर छूट गए लोगों के लिए है, उतना ही सुखद: आनंद हम में से उनके लिए है, जो केवल परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा, विवाह समारोह में द्वार के भीतर हैं।

 

पाँच मूर्ख कुंवारियाँ

 

मूर्ख कुंवारियों ने क्या गलतियाँ की थीं? जिस संसार में हम जीते हैं, वहाँ यह कैसे लागू होता है?

 

जब मैं एक युवा मसीही था और अपने पिता की मछली पकड़ने की नाव से गिर गया था, तब परमेश्वर ने मेरे जीवन में हस्तक्षेप कर मेरे जीवन को बचायाउस दिन हमने अपने जाल में कम से कम दो या तीन टन मछली पकड़ी थीं, और उन्हें नाव में भीतर खींचने के लिए, हमें नाव को इस तरह लगाना था कि जाल नाव के किनारे में जाए। इसका मतलब यह था कि नौका कक्ष में मेरे पिता को इंजन को उल्टा चलाना था। जब वे ऐसा करते, तब मेरे काम जाल को नाव के पिछले भाग की ओर के कटहरे के नीचे दबाना था। मैं जब जाल कसने लगा, तो उसमें फंस नाव की पिछली ओर से नीचे गिर गया, जहां मेरे पिता मुझे नहीं देख सकते थे।

 

यह सर्दी का समय था और ठंड का झटका मुझे जोर से लगा। मैंने ऐसे लंबे जूते पहने थे जो जांघों तक थे। वे जल्दी से पानी से भर गए और मुझे नीचे खींचने लगे। उसके ऊपर से, मेरे पिता को यह नहीं पता था कि मैं वहाँ नीचे था और अब वह उल्टा जा रहे थे, जिससे मैं मोटर के पंखे की चक्की में खिंचा चला जा रहा था। मैं हड़बड़ाने लगा और ढीले हुए जाल को पकड़ लिया जिससे वह पानी में खिंचने लगा। बेशक, यह सब इतनी जल्दी हुआ और अब मैं मौत का सामना कर रहा था।

 

शुक्र की बात यह है कि पास की ही दूसरी नौकाओं में से एक ने देखा कि क्या हुआ है और मेरे पिता को इंजन को बंद करने के लिए रेडियो पर सन्देश दिया। वह नाव के पीछे की ओर दौड़े, अपने पैरों से ढीले जाल दबाया, और नीचे पानी में मुझे देख कर कहा, "तुम वहाँ भला क्या कर रहे हो?" सांस के लिए हाँफते हुए, मैंने और नीचे जाने से बचने के लिए जाल को जकड़े रखा, क्योंकि समस्या यह थी कि मैं तैरना नहीं जानता था। मैं हमेशा से तैरना सीखना चाहता था, लेकिन कभी इसे करने तक नहीं पहुँचा, और अचानक मुझे यह जानना आवश्यक हो गया था कि पानी पर ऊपर कैसे बने रहें। उस दिन मेरे पिता ने मुझे बचाया। पिताजी ने मुझे बाहों में डालने के लिए एक रस्सी फेंकी और घिरनी का उपयोग कर मुझे पानी से बाहर खींच लिया।

 

मेरी गलती एक ऐसी चीज़ को बाद की तारीख के लिए टालना था जिसे मुझे सीखने की ज़रूरत थी। कहने की आवश्यकता नहीं, अब मैंने तैरना सीख लिया है! यह एक बड़ी गलती है जिसे पाँच मूर्ख कुंवारियों ने की। वे हमेशा से अपने जीवनों को ठीक करने और खुद को ज्यादा तेल के साथ तैयार करने की मंशा रखती थीं। लेकिन उन्होंने इस संभावना के लिए तैयारी करने के लिए कुछ भी नहीं किया था कि अंतत: उन्हें अपनी मशाल जलाने की आवश्यकता होगी। यह दृष्टान्त का मुख्य जोर है – दूल्हे के आगमन के लिए तैयारी करने के लिए इंतजार न करें। तैयार रहें और हमेशा हर घड़ी सतर्क रहें, क्योंकि आप दिन या घड़ी नहीं जानते (मत्ती 25:13)

 

नरक ऐसे लोगों से भरा हुआ है जो अच्छी मंशा रखते थे। उन्होंने मसीह के विषय में सुना होगा और उसके साथ अपने जीवन को सही करने की मंशा रखते होंगे, और फिर अचानक एक समय आएगा जब उन्हें उसे जानने की आवश्यकता होगी और तब बहुत देर हो चुकी होगी। वे दरवाज़े पर आएंगे और उसे बंद पाएंगे, और दरवाजे पर खड़ा स्वामी उन्हें बताएगा कि वह उन्हें नहीं जानता है। जब वे मसीह के कहे अनुसार द्वार बंद पाएंगे, तब मैं उनके चेहरे की कल्पना भी नहीं करना चाहता। आप मसीह के दावों के विषय में निर्णय लेने के लिए उस दिन तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते। कई ऐसे लोग होंगे जो हमेशा से अपने जीवन को मसीह की ओर मोड़ने की मंशा रखते होंगे, लेकिन उन्हें अनन्त आनंद से बाहर कर दिया जाएगा।

 

उन्होंने यह सोचने में भी बड़ी गलती की थी कि जब समय आएगा तब एक और अवसर होगा। वही गलती न करें। दूल्हा एक ऐसे समय में आएगा जब आप उसके आने की उम्मीद नहीं कर रहे होंगे। वे दूल्हे के इतनी देर रात से आने की उम्मीद नहीं कर रहे थे। मूर्ख कुंवारियों ने उनकी वापसी के समय के विषय में कुछ धारणाएं बना लीं थीं। उन्होंने सुना था कि वह जल्दी आ रहा था, और उन्होंने इसपर विश्वास किया! वे अंधकार के समय को सहन करने के लिए तैयार नहीं थीं।

 

एक और गलती जो उन्होंने की थी वो यह सोचने की थी कि वे बाद में आ सकती हैं और तब भी द्वार को खुला पाएंगी। जब वे बाद में आईं, तो यह जान के चौंक गईं कि अब कोई प्रवेश नहीं था। आज कुछ बाइबिल शिक्षक हैं जो कहते हैं कि कलीसिया के निकाले जाने के बाद, एक दूसरा मौका होगा – इस पर विश्वास न करें! अपने मन में ऐसे किसी भी विचार को जड़ पाने की अनुमति न दें, कि जब यीशु प्रकट हो अपनी कलीसिया को लेने आएगा, तब भी भीतर आने का मौका होगा। मैं यहाँ दूल्हे के आने और द्वार के बंद किए जाने के बीच कोई समय नहीं देखता हूँ। यीशु इस दूसरे स्थान पर दूसरा मौका न होने की चेतावनी के बारे में कहता है:

 

26जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। 27जिस दिन तक नूह जहाज पर चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते- पीते थे, और उन में ब्याह- शादी होती थी; तब जल- प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया। 28और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते- पीते लेन- देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे। 29परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया (लूका 17:26-29 बल मेरी ओर से जोड़ा गया है)

 

उद्धार का द्वार दोनों ही मौकों पर उसी समय में बंद किया गया जब न्याय हुआ। दोनों ही मौकों पर बाद में बचाए जाने का कोई अवसर नहीं था। पाँच मूर्ख कुंवारियों को इस बात की बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि दूल्हा अंधकार के समय में आने वाला होगा। वे रात के अंधकार के समय में बचे रहने के लिए अपनी व्यक्तिगत पूर्ति की तैयारी के साथ नहीं आईं। मैं चाहता हूँ कि आप उन लोगों के हृदयों की पीड़ा के विषय में सोचें जिन्होंने परमेश्वर के साथ अपने जीवन को सही करने की आवश्यकता को टाल दिया है। शायद वे खिड़कियों से आपके आनंद की एक झलक देखेंगे। शायद वे गीत गाए जाना सुनेंगे और हृदय की पीड़ा में चिल्लाएंगे, हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।’ (मत्ती 25:11) हम में से वो जो मसीह के साथ चल रहे हैं, इसे हमें प्रार्थना में अपने घुटनों पर आने के लिए विवश करना चाहिए। क्या आपके पति या पत्नी, बेटे और बेटियाँ, या रिश्तेदार हैं जो अभी बाहर हैं और अब भी उस दिन के बारे में और क्या होगा इस विषय में चिंतित नहीं हैं? जैसे आपका आनंद अनन्त होगा, उसी तरह उनका दर्द भी अनन्त होगा। मैं उन लोगों को कोई उम्मीद नहीं दे पाउँगा जो अभी भी उसके ज्ञान के बाहर हैं।

 

आप कह सकते हैं, "बुद्धिमानों ने अपना तेल क्यों नहीं बाँटा? यह तो अच्छे ‘मसीही’ जैसी बात नहीं है!" कुछ चीजें उधार नहीं ली जा सकतीं। विलियम बार्कले ने कहा, "कोई व्यक्ति परमेश्वर के साथ संबंध उधार नहीं ले सकता। यह उसका स्वयं का होना आवश्यक है। एक व्यक्ति किसी चरित्र को उधार नहीं ले सकता; उसे वह पहने होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने का समय है कि आप तैयार हैं।"

 

एक नास्तिक [एक व्यक्ति जो मसीह में विश्वास नहीं करता] की कहानी बताई गई है, जो शैतान को अपना खेत विरासत में देकर मर गया। इसने न्यायालय को कुछ चकरा दिया, लेकिन कई महीनों के विमर्श के बाद यह निर्णय दिया गया: "यह तय हुआ है कि मृतक की इच्छा पूरी करने का सबसे अच्छा तरीका है कि खेत में झाड़ उगने दिए जाएँ, मिट्टी को नष्ट होने की, घर और खलिहान को सड़ने की अनुमति दी जाए। हमारी राय में, शैतान को सब कुछ सौंपने का सबसे अच्छा तरीका कुछ नहीं करना है।" इसमें एक सच्चाई है। हम में से कुछ ही ऐसे बेवफाई को कभी स्वीकार करेंगे, लेकिन बहुत से लोग जीवन के बड़े निर्णयों को टालते और स्थगित करते रहेंगे और अपनी इच्छा से अपने प्राण को शैतान के हाथों में दे बैठेंगे।1

 

 

क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी उद्धार का दिन है। (2 कुरिन्थियों 6:2)

 

प्रार्थना: पिता, मैं अंगीकार करता हूँ कि मेरे जीवन में कई बार ऐसे समय आए हैं जब मैंने महत्वपूर्ण निर्णयों को टाल दिया है, लेकिन आज मैंने जो पढ़ा है, मैं उसके बारे में कुछ करना चाहता हूँ। मैं सर्वस्व से अपना जीवन आपको देता हूँ। मैं अपने मूर्ख जीवन से मुड़ आपकी ओर रुख करता हूँ। उस ग्लानी और निंदा से जिसके योग्य मेरे पाप हैं, पूर्णत: दोषमुक्ति के प्रस्ताव के लिए धन्यवाद। मैं आज परमेश्वर के उपहार को ग्रहण करता हूँ, मसीह में अनन्त जीवन। कृपया मेरा नाम मेम्ने की जीवन की पुस्तक में लिखें। मैं तेरे साथ एक सम्बन्ध में नए सिरे से जन्म लेना चाहता हूँ। आमिन!

 

कीथ थॉमस

नि:शुल्क बाइबिल अध्यन के लिए वेबसाइट: www.groupbiblestudy.com

-मेल: keiththomas7@gmail.com

 

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