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3. The Parable of the Ten Minas

3. दस मुहरों का दृष्टान्त

शुरुआती प्रश्न: यदि मैं आपको 100,000 डॉलर सोने में दूँ जिसे आप वर्तमान समय के लिए खुद और अपने परिवार के लाभ के लिए निवेश कर सकते हैं और आपके पास इतिहास में किसी भी समय में वापस जाने के लिए एक मशीन है, तो आप कहाँ जाएंगे और कैसे जाएंगे उस पैसे का निवेश कैसे करेंगे?

 

आप में से कितने लोगों ने रोनाल्ड गेराल्ड वेन के बारे में सुना है? मुझे नहीं लगता बहुतों ने सुना है। वह एप्पल कंप्यूटर की शुरुआत में स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक के साथ एक संस्थापक थे और उन्होंने नए उद्यम में मुख्य प्रशासनिक निरीक्षण प्रदान किया। 1976 में इन तीन लोगों के ऐप्पल की शुरुआत से पहले उन्होंने अटारी में स्टीव जॉब्स के साथ काम किया। वेन ने पहला ऐप्पल लोगो बनाया और साझेदारी समझौते और एप्पल 1 निर्देशिका को लिखा। उनके पास कंपनी का 10% स्वामित्व था, लेकिन एप्पल के साथ केवल दो हफ्ते रहने के बाद 2,300 अमेरिकी डालर के लिए उन्होंने नई कंपनी का अपना हिस्सा छोड़ दिया। उसी साल में कुछ समय बाद, उन्होंने कंपनी में अपनी कोई भी भागीदारी या दावा छोड़ने के अपने समझौते के लिए 1,500 अमेरिकी डॉलर का चेक प्राप्त किया। अपने परिचालन के पहले वर्ष में कंपनी की आय 17,400 डॉलर थी, और अगले वर्ष, 1977 में, कंपनी ने 27 लाख अमेरिकी डॉलर की बिक्री की थी। अगले वर्ष यह 78 लाख तक पहुँच गई और 1980 में इसमें 1,170 लाख डॉलर की बिक्री हुई। 1982 तक एप्पल की सालाना बिक्री एक अरब डॉलर की थी। सितंबर 2012 तक, एप्पल बाजार पूंजीकरण में विश्व में सबसे बड़ा सार्वजनिक कारोबार बन गया, जिसका अनुमानित मूल्य 626 अरब डॉलर था।

 

आज, वेन 2-कमरे के घर में रहते हैं, जो लास वेगास के बाहर 60 मील की दूरी पर है और बमुश्किल 150,000 डॉलर मूल्य का है, और वह 2002 निर्मित शेवी मालिबू गाड़ी चलाते हैं। यदि रोनाल्ड वेन ने अपने 10% हिस्सेदारी को थामे रखा होता, तो आज यह 35 बिलियन अमरीकी डॉलर होता! अचरज करता हूँ कि रोनाल्ड वेन ने कितनी बार पीछे देख यह कामना की होगी कि काश उन्हें कंपनी में रहने और अपने हिस्से का बुद्धिमानी से निवेश करने का पूर्वज्ञान होता। अगर वह कंपनी के साथ बस कुछ ही समय तक रहते, तो मैं कल्पना करता हूँ कि उनकी ज़िंदगी कैसी बदल जाती। जिस खंड में हम अध्ययन कर रहे हैं, हम एक ऐसे दृष्टान्त को पढ़ते हैं जो तीन लोगों की परमेश्वर के राज्य में निवेश के विषय में कहानी बताता है। जब हम इस दृष्टान्त को पढ़ते हैं, मैं चाहता हूँ कि हम इस जीवन में किए गए निवेश से उत्पन्न अनन्त लाभ पर ध्यान केंद्रित करें।

 

11जब वे ये बातें सुन रहे थे, तो उस ने एक दृष्टान्त कहा, इसलिये कि वह यरूशलेम के निकट था, और वे समझते थे, कि परमेश्वर का राज्य अभी प्रगट होने वाला है। 12सो उसने कहा, एक धनी (राजसी घराने का) मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर फिर आए। 13उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं, और उनसे कहा, मेरे लौट आने तक लेन- देन करना। 14परन्तु उसके नगर के रहनेवाले उससे बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे 15जब वह राजपद पाकर लौट आया, तो ऐसा हुआ कि उसने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन-देन से क्या-क्या कमाया। 16तब पहिले ने आकर कहा, हे स्वामी तेरे मोहर से दस और मोहरें कमाई हैं। 17उसने उससे कहा; धन्य, हे उत्तम दास, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासी निकला अब दस नगरों का अधिकार रख 18दूसरे ने आकर कहा; हे स्वामी तेरी मोहर से पाँच और मोहरें कमाई हैं 19उसने कहा, कि तू भी पाँच नगरों पर हाकिम हो जा 20तीसरे ने आकर कहा; हे स्वामी देख, तेरी मोहर यह है, जिसे मैंने अंगोछे में बान्ध रखा था। 21क्योंकि मैं तुझसे डरता था, इसलिये कि तू कठोर मनुष्य है: जो तूने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तूने नहीं बोया, उसे काटता है 22उसने उससे कहा; हे दुष्ट दास, मैं तेरे ही मुँह से तुझे दोषी ठहराता हूँ: तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूँ, जो मैंने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैंने नहीं बोया, उसे काटता हूँ। 23तो तूने मेरे रूपये सर्राफों के पास क्यों नहीं रख दिए, कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता? 24और जो लोग निकट खड़े थे, उसने उनसे कहा, वह मोहर उस से ले लो, और जिस के पास दस मोहरें हैं उसे दे दो। 25उन्होंने उससे कहा; हे स्वामी, उसके पास दस मोहरें तो हैं 26मैं तुम से कहता हूँ, कि जिसके पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं, उससे वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा। 27 परन्तु मेरे उन बैरियों को जो नहीं चाहते थे कि मैं उन पर राज्य करूँ, उनको यहाँ लाकर मेरे सामने घात करो (लूका 19:11-27)

 

चेलों की अपेक्षा

 

यीशु ने यरीहो से यरूशलेम को 17 मील की चढ़ाई शुरू की थी, जो 3,600 फुट की चढ़ाई थी। जब वे पूर्व से यरूशलेम के निकट पहुँच रहे थे, उन्हें जैतून पर्वत के चारों ओर से घूम कर जाना पड़ा। हमें ग्यारह अध्याय में बताया गया है कि उसके साथ के लोगों ने सोचा था कि जब वे चढ़ाई कर ही रहे होंगे तो राज्य किसी भी समय प्रगट हो जाएगा। मुझे यकीन है कि उसके साथ चल रहे लोगों के बीच उत्साह था क्योंकि उन्हें इस बात का यकीन था, जैसा कि हमें है, कि यीशु ही मसीहा था और है। चूंकि यीशु के साथ यात्रा करने वालों का मानना ​​था कि वह वही है जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी, वही जो अपने लोगों को बचाएगा, इस समय वे अपेक्षाओं से भरे हुए होंगे। जैसे-जैसे वे जैतून के पर्वत की ओर पहुँच रहे थे, शायद उन्होंने पुराने नियम में ज़कर्याह की भविष्यवाणी को याद किया हो:

 

 

4और उस समय वह जैतून के पर्वत पर पाँव धरेगा, जो पूरब की ओर यरूशलेम के सामने है; तब जैतून का पर्वत पूरब से लेकर पच्छिम तक बीचोबीच से फटकर बहुत बड़ा खड्ड हो जाएगा; तब आधा पर्वत उत्तर की ओर और आधा दक्षिण की ओर हट जाएगा। 5तब तुम मेरे बनाए हुए उस खड्ड से होकर भाग जाओगे, क्योंकि वह खड्ड आसेल तक पहुँचेगा, वरन तुम ऐसे भागोगे जैसे उस भुईडौल के डर से भागे थे जो यहूदा के राजा उज्जियाह के दिनों में हुआ था। तब मेरा परमेश्वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे। (ज़कर्याह 14:4-5)

 

यह भी संभावना है कि वह जो उसके साथ थे जानते थे कि वह दिन जब वह यरूशलेम में प्रवेश कर रहा था, वही दिन था जिसके विषय में दानिय्येल 9: 24-25 में कहा गया है। भविष्यवक्ता दानिय्येल ने, परमेश्वर की प्रेरणा में, भविष्यवाणी की थी कि, यरूशलेम के पुन: निर्माण के लिए निकले आदेश के समय से, 476 वर्ष या 173,880 दिन होंगे, और फिर मसीह आ जाएगा। यीशु एक गधे पर सवार हुए यरूशलेम में ठीक उसी दिन आया जिस दिन की दानिय्येल ने भविष्यवाणी की थी। वचन हमें बताता है कि लोगों ने सोचा था कि परमेश्वर का राज्य तुरंत प्रकट होने वाला था। कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने राजा के रूप में उसका स्वागत किया और जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया तो उन्होंने उसके सम्मुख अपने वस्त्रों को फैलाया! (मत्ती 21:4-11) चेलों ने सोचा कि जब वे यरूशलेम से जैतून के पर्वत की ओर आ रहे थे, पवित्र स्वर्गदूत इजरायल के शत्रुओं से लड़ने के लिए होंगे। यह भविष्यवाणी आने वाले समय में पूरी होगी, लेकिन वह समय अभी नहीं था। चेलों को वास्तविकता समझाने के लिए, मैं यीशु को चढ़ाई करने से विश्राम लेने का चित्रण करता हूँ, जहाँ वो चेलों के साथ बैठकर उनका ध्यान एक महत्वपूर्ण सत्य पर केंद्रित कर रहा है जिसे वो उन्हें दस मुहरों के इस दृष्टान्त के द्वारा व्यक्त करता है।

 

यह कहानी अनोखी है क्योंकि यीशु एक वास्तविक कहानी को संदर्भित करता है। दृष्टान्त का एक हिस्सा एक ऐतिहासिक घटना पर आधारित है। यह ऐसी कहानी थी जो उस समय सामान्य ज्ञान थी। मसीह ने अपने सुनने वालों के हृदयों को आर्किलेउस की कहानी बताने के द्वरा जकड़ा, जो महान राजा हेरोदेस के बेटों में से एक था, उस रोमी राज्य का अधीनस्थ एक राजा जो यहूदिया पर शासन कर रहा था। जब राजा हेरोदेस की मृत्यु हुई, तब उसका राज्य बाँट दिया गया और आर्किलेउस को आधा हिस्सा दिया गया, लेकिन राजा की उपाधि उसे नहीं दी जा सकी। इस उपाधि की कमी ने अर्केलॉस को विचलित कर दिया।

 

यहूदी इतिहासकार जोसिफस हमें बताता है कि उसके अहंकार ने मांग की कि राजा की उपाधि उसे प्रदान की जाए। आर्केलउस ने रोम जाकर कैसर से शीर्षक की माँग करने का फैसला किया। यह उसके लिए आश्चर्यजनक रहा, कि जब वो रोम पहुँचा तब तक उसके अपने परिवार का एक प्रतिनिधिमंडल पचास यहूदियों और सामरियों के साथ, एक अलग मार्ग से यात्रा कर राजा की उपाधि के लिए आर्केलउस के अनुरोध का विरोध करने वहाँ पहुँच गए थे। पचास के साथ रोम में रहने वाले 8,000 प्रवासी यहूदी भी जुड़ गए। उन्होंने एक साथ उस समय के कैसर को बताया कि आर्केलउस ने फसह के दौरान 3,000 यहूदियों को मार डाला था, और दूसरों को यातना देने से पहले उनके शरीरों का ढेर मंदिर में लगा दिया था। उसने जो कुछ किया वह केवल यह साबित करने के लिए था कि वह भी अपने पिता के समान शक्तिशाली था।

 

जो लोग रोम में इकट्ठे हुए थे, उन्होंने कैसर से अनुरोध किया। वे नहीं चाहते थे कि यह आदमी उन पर शासन करे! विवाद के दोनों पक्षों को सुनने के बाद, कैसर का फैसला आर्केलउस को आधा राज्य देना था, लेकिन उसने उससे यह वादा करते हुए कि अगर वह स्वयं को उस उपाधि के योग्य साबित करेगा तो उसे राजा बना दिया जाएगा, और उसे राजा के बजाय राजपाल की उपाधि दे दी।

 

यीशु, बिना आर्केलउस की सराहना किए, दो स्तरों पर बात कर रहा था। यीशु ने एक राजसी घराने के व्यक्ति के बारे में बताया, वह स्वयं वो राजसी घराने का व्यक्ति था, जिसे एक दूर देश, स्वर्ग में जाना है, और एक श्रेष्ठ शक्ति, उसके पिता से अपना शासन प्राप्त करना है। दृष्टान्त दो प्रकार के लोगों पर केंद्रित है। कुछ लोग ऐसे हैं, जो यीशु के शासन का विरोध करते हैं, जबकि अन्य दास हैं जिन्हें जब वो गया हुआ है, जो उन्हें दिया गया है उसे निवेश करना है।

 

निश्चित रूप से हमारा प्रभु यीशु मसीह एक राजसी घराने का व्यक्ति है। सबसे पहले, वह दाऊद का पुत्र है, जो एक यहूदी के लिए सबसे राजसी बात है। लेकिन उसका राजसी होना इतना इस बात से हासिल नहीं होता कि वो दाऊद का वंशज है, बल्कि उसके चरित्र से। वह वो सबसे राजसी व्यक्ति हैं जिससे हम कभी मिले हों। उस जैसा कौन है? वह सबसे दयालु, सबसे उदार, अनुग्रहकारी मनुष्य है जो कभी जीवित रहा है! हम में से प्रत्येक जो राजसी होने के उसके मानकों पर जीने की कोशिश करते हैं बहुत पीछे रह जाते हैं। यदि आपने कभी भी सुसमाचार में अध्ययन कर स्वयं को उसमें डुबा दिया है, तो आप इस व्यक्ति के साथ अटूट प्रेम में कैसे नहीं पड़ सकते हैं?

 

यद्यपि यह राजसी घराने का व्यक्ति अपने दासों द्वारा बहुत अत्यंत प्रेम किया जाता है, ऐसे कई लोग हैं जो उससे नफरत करते हैं और नहीं चाहते कि वह उनपर शासन करे। वे कहते हैं, "हमारा कोई राजा नहीं, बस कैसर है।" बाइबल यह स्पष्ट करती है कि आप इन शब्दों को एक या दूसरे व्यक्ति के रूप में पढ़ते हैं। या तो आप परमेश्वर के दुश्मन हैं या मसीह के दास हैं। और कोई रास्ता नहीं है।

 

जो मेरे साथ नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है। (मत्ती 12:30)

 

दस मुहरों का दृष्टांत तोड़ों के दृष्टांत के समान लगता है, लेकिन एक अंतर है। तोड़ों के दृष्टान्त में (मत्ती 25:14-30), एक को पाँच तोड़े दिए जाते हैं, दूसरे को दो, और एक और को एक। तोड़ा वजन की एक इकाई थी। नए नियम के समय में, एक तोड़ा लगभग 130 पौंड के वजन का था। आमतौर पर यह सोने या चांदी का वजन होता था। हम इन तोड़ों को अपने खुद के वरदान, क्षमता, ज्ञान और पूँजी के प्रतीक के रूप में देख सकते हैं – संक्षिप्त में, हमारे कुल संसाधन। कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक प्रतिभाएं और क्षमताएं दी जाती हैं और वे उसके लिए जो उन्होंने प्राप्त किया है, परमेश्वर को जवाबदेह हैं। मुहरों का दृष्टांत अलग है। दस नौकरों में हर को एक समान राशि दी गई थी। प्रत्येक को केवल एक मीना दिया गया था, जो कि आज के समय में तीन महीने के वेतन के बराबर या 6,500 डॉलर था। इस कहानी में जो ज़ोर दिया गया वह उपहार पर नहीं है बल्कि निवेश के विषय पर है।

 

(इन मुहरों से) लेन-देन करना

 

यदि हम सभी को समान राशि दी गई है, तो आप क्या सोचते हैं कि मुहर किस चीज़ का प्रतीक है?

 

इस वाक्य का क्या अर्थ है, “(इन मुहरों से) लेन-देन करना?” (लूका 19:13)

 

कुछ लोग कहेंगे कि मुहर इस बात को दर्शाती है कि हम सभी को आत्मिक चीज़ों में निवेश करने के लिए एक दिन में समान मात्रा में घंटे दिए गए हैं। समय एक ऐसी वस्तु है जो पश्चिम देशों में हमारे पास कम-से-कम हो रही है। यदि हम वास्तव में बैठकर इस बात को जाँचते हैं कि हम अपना समय कैसे व्यतीत करते हैं, तो यह जान पाएंगे कि जो समय हमारे स्वामी ने हमें दिया है, उसमें से कितना कम हमने निवेश किया है। हालांकि, मेरा व्यक्तिगत मानना यह है कि मुहर उस चीज़ का प्रतीक है जो हम सभी को बराबर मात्रा में दी गई है, सुसमाचार के संदेश का भंडारी होना।

 

क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करनेवाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है। (रोमियों 1:16)

सुसमाचार इस ग्रह पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली बात है। धरती पर ऐसा और कुछ भी नहीं है जो यीशु मसीह के सुसमाचार के समान एक जीवन रूपांतरित कर दे। जहाँ भी क्रूस पर मसीह के द्वारा पूर्णत: हासिल कार्य के संदेश का प्रचार किया जाता है, उसका सामना विरोध से होता है। इसका कारण यह है कि हमारा एक शत्रु है जो अपने दासों को पाप के दासत्व के चंगुल से छुड़ाए जाना पसंद नहीं करता है। भले ही दासों को परमेश्वर के शत्रुओं से किसी भी विरोध का सामना करना पड़े, हमें इस पवित्र प्रयास में स्वयं को लगाए रखना है- सुसमाचार को सारी पृथ्वी में फैलाने की जिम्मेदारी। हमारे स्वामी ने कहा, "राज्य के इस सुसमाचार को सारी दुनिया में प्रचार किया जाएगा और फिर अंत आ जाएगा" (मत्ती 24:14)। हम ऐसे सेवक नहीं हैं जो अपनी मुहर अपने आराम पर खर्च करते हैं- हमें एक कार्य दिया गया है, परमेश्वर की महिमा करना और शैतान के दासत्व से मनुष्यों को मुक्त कराना। सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए परमेश्वर का प्रेम, करुणा और अनुग्रह का संदेश एक पवित्र विश्वास है जो सभी विश्वासियों को दिया गया है।

 

पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं; और इसमें मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जाँचता है, प्रसन्न करते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 2:4)

 

उपरोक्त पद में शब्द ‘योग्य’ यूनानी शब्द डोकिमाज़ो है। इसका अर्थ किसी बात की इस विषय में परख करना है कि क्या उसे योग्य या अनुमोदित गिना जाए या नहीं। परमेश्वर हमें परख की अग्नि परीक्षा से इसलिए गुजरने की अनुमति देता है ताकि हम सुसमाचार के पवित्र भरोसे को दूसरों तक पहुँचा सके। परमेश्वर ने सुसमाचार हमें, उसके दासों को सौंपा है। परमेश्वर हमारे हृदयों को इसलिए परखता है ताकि हमें सच्चाई के विश्वासयोग्य वाहक के रूप में निखार सके।

 

स्वामी ने इस विषय में निर्देश क्यों नहीं दिए कि वे लेन-देन कैसे करें?

 

ध्यान दें कि राजसी घराने के स्वामी ने उनमें से एक को दूसरे पर ऊँचा नहीं ठहराया। इसके लिए सभी को स्वयं का विस्तार खोजना था कि वह अपने स्वामी के धन को कैसे उपयोग करें कि इससे सबसे अधिक लाभ मिले। हम कह सकते हैं कि यह जिम्मेदारी पादरी या सुसमाचार के प्रचारक पर ही नहीं टिकी थी। जब स्वामी वापस लौटेगा, तब सभी मसीह लोगों को इस बात का लेखा-जोखा देना होगा कि उन्होंने स्वामी के संसाधनों के साथ क्या किया है। स्वामी ने (इस कहानी में, राजसी घराने का व्यक्ति) प्रत्येक को बिना किसी निर्देश के एक ही राशि सौंपी थी। वह उनके सर पर नहीं खड़ा था, लेकिन उसने उन्हें यह निश्चित करने के लिए कि वह धन से कैसे लेन-देन करेंगे, पूरी-पूरी आज़ादी दी थी। यह स्वामी द्वारा दी गई एक परीक्षा थी। हमें इस परीक्षा के बारे में अवगत होना चाहिए और यह पता होना चाहिए कि परमेश्वर यह देख रहा है कि उसने जो कुछ हमें दिया है, हम उसके साथ कितने विश्वासयोग्य हैं।

 

सो हममें से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा। (रोमियों 14:12)

 

प्रत्येक मसीही जन की एक ज़िम्मेदारी है हर तरह से सुसमाचार को बढ़ावा देने और प्रचार करने की। हम इसे अपने तक नहीं रख सकते। यूनानी शब्द जिसका अनुवाद(इन मुहरों से) लेन-देन करना या व्यवसाय करना किया गया है, वह प्रगमेटीयुमई है। इसका अर्थ पूँजी पर लाभ कमाने के लिए व्यापार करना, निवेश करना या लेन-देन करना है। यह दिलचस्प है कि हमें इस यूनानी शब्द से प्रेग्मैटिक शब्द मिलता है। प्रेग्मैटिक का अर्थ किसी चीज़ के साथ समझदारी और वास्तविकता से निपटना है। हम बैठ कर उन तरीकों को सोचने के लिए जिम्मेदार हैं जिनके द्वारा हम व्यावहारिक रूप से अपने संसाधनों को ऐसे तरीके से निवेश कर सकते हैं जिससे परमेश्वर के राज्य के लिए अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।

 

जब मैं अपने पिता के साथ इंग्लैंड के पूर्वी तट पर एक व्यावसायिक मछुआरे के रूप में काम कर रहा था, तो पकड़ने के लिए मछली ढूंढना एक सब कुछ लगा देने वाला कार्य था, और जब हम उन्हें ढूंढ लेते, तो अपने समय और कौशल का सबसे अधिल लाभ उठाने के लिए इस तरह का जाल बिछाते कि वह उस प्रकार की मछली पकड़ने के लिए सबसे बड़े आकार की जाली वाला जाल होता। जितनी तेजी से हम पानी में से से जाल को खींच सकें, उतनी कम मछली बच के निकल पाएंगी। हमारा शिकार सबसे मूल्यवान मछली थी, स्वादिष्ट और मूल्यवान डोवर सोल। हमारी सभी योग्यताएं इस शिकार में सक्रीय थीं।

 

यह अपने स्वर्गीय पिता के साथ काम करने से लिए अलग नहीं है जहाँ अब मैं उसके जाल के साथ काम कर रहा हूँ! उसके लिए आत्माएं बहुत अधिक मूल्यवान हैं, और उन्हें पकड़ने के लिए हमारी सभी योग्यताओं का सक्रीय होना आवश्यक है। हमारे स्वर्गीय पिता के लिए हर एक जीवन बहुमूल्य और मूल्यवान है। हमारा कार्य बैठकर व्यावहारिक रूप से यह सोचना है कि सुसमाचार के जाल को किस प्रकार फैलाया जाए कि उससे अधिकतम अनमोल लोगों को पकड़ पाएं। मनुष्यों को पकड़ने की तुलना में पृथ्वी ग्रह पर उससे और बड़ा कार्य कोई नहीं है। “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुमको मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊंगा।”(मत्ती 4:19) इस वेबसाइट, www.groupbiblestudy.com के माध्यम से मैं यही करने का प्रयास कर रहा हूँ। एक बात जो इस में मेरे लिए बहुत विशेष है वो यह है कि राजसी घराने का व्यक्ति विश्वासयोग्यता की तलाश में था। दो चीजें हैं जो दासों के हृदय को प्रकट करती हैं। पहली, यह राजसी व्यक्ति के बारे में उनके विचार और उनके संबंधों के बारे में बताती हैं, और दूसरी, इससे जीवन में उनकी प्राथमिकताएं प्रकट होती हैं।

 

जब हम सुसमाचार पर विश्वास कर अपने जीवन में मसीह का अनुग्रह प्राप्त करते हैं, तो हम दूसरों के साथ यह बाँटने के लिए कि हमारे जीवन को किस चीज़ ने बदला है, अपनी प्रतिभाओं और क्षमताओं को साझा करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। हमें इसे दूसरों तक पहुँचाने के लिए वह सब करना है जो हम कर सकते हैं। जहाँ भी संभव हो, हमें अपने समय, ऊर्जा और धन को स्वर्ग के राज्य को बढ़ावा देने के लिए निवेश करना हैं।

 

क्या आप एक ऐसे उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं जब आपने किसी और के जीवन में समय का निवेश किया हो और उस व्यक्ति के जीवन में अंतर देखा? यह आपके मित्र, परिवार के सदस्य या अन्य कोई हो सकते हैं जिसकी आपने अपने जीवन में किसी समय पर सहायता की हो। अगर दिमाग में कोई भी नहीं आता है, तो क्या आपको लगता है कोई है जिसे आपका समय चाहिए?

 

24 वचन में, वह मुहर जो अंगोछे में बाँध कर रखी गई थी उस व्यक्ति को दे दी गई थी जिसने दस कमाई थीं। ज़ाहिर है, कि स्वामी ने उस व्यक्ति को 10 मुहरें भी दे दी होंगी ताकि अब उसके पास 11 हो गईं। इस राजसी घराने के व्यक्ति को पैसे की आवश्यकता नहीं थी। इस अध्याय से यह स्पष्ट है कि स्वामी के निवेश पर होने वाले वृद्धि के साथ-साथ दोनों व्यक्तियों ने नगरों के अधिकार का इनाम भी पाया। जिसने कुछ नहीं किया था, उसे न कोई नगर मिला और न निवेश के लिए दी गई मुहर। इस खंड के अनुसार निवेश न करने के लिए कोई अन्य जुर्माना या सज़ा नहीं था। मुझे लगता है कि उसे केवल खेद था कि उसने कुछ भी नहीं किया। जिस आदमी ने कुछ भी नहीं किया वह हमारे लिए उस प्रकार के विश्वासी का उदाहरण है जो स्वर्ग तो पहुँच जाएगा, लेकिन अपनी "घर वापसी" के लिए स्वर्ग में उसके पास खज़ाना नहीं है। (1 कुरिन्थियों 3: 12-15)

 

19अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा करो; जहाँ कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 20परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहाँ तो कीड़ा, और काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 21क्योंकि जहाँ तेरा धन है वहाँ तेरा मन भी लगा रहेगा। (मत्ती 6:19-21)

 

राजसी घराने के व्यक्ति की रुचि मुहरों में नहीं थी; 17 वचन में इसे "बहुत ही थोड़े" कहता है 17। एक राजा के लिए, एक आम कर्मचारी के तीन महीने का वेतन क्या है? जो कुछ उन्हें दिया गया था उसके उपयोग में उनकी विश्वासयोग्यता के स्तर को देखने की यह सिर्फ एक परीक्षा थी। वह जानना चाहता था कि उसके दासों में से कौन अपने प्रभु के धन का बुद्धिमता और विश्वसनियता के साथ प्रबंधन करेगा। जो बहुत ही थोड़े में विश्वासयोग्य हैं, उसके लौटने पर उनपर अधिक ज़िम्मेदारी के साथ भरोसा किया जा सकता है।

 

क्योंकि जिस किसी के पास है, उसे और दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; परन्तु जिस के पास नहीं है, उससे वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा। (मत्ती 25:29)

 

जब हम ये शब्द पढ़ते हैं, तो वे उचित नहीं लगते। हालांकि, यह सिद्धांत सही साबित होता है, और हम प्रतिदिन ऐसा होते देखते हैं। क्या आप ऐसे कुछ उदाहरणों के बारे में सोच सकते हैं जहाँ यह सत्य होता है?

 

यह एक प्राकृतिक नियम है, जिसे टाला नहीं जा सकता। यदि आप अपने शरीर को बिल्कुल भी व्यायाम नहीं कराते हैं, तो यह कमजोर हो जाएगा। कोई व्यक्ति बार-बार दोहराने और अभ्यास के बिना किसी खेल या गतिविधि में श्रेष्ठता नहीं हासिल कर सकता, चाहे वह संगीत की क्षमता हो, नृत्य या लेखन हो। यदि कोई अपनी कला को विकसित नहीं करता, तो उसकी क्षमता कम हो जाएगी और उसका पूर्ण उपयोग नहीं किया जाएगा। यदि कोई विदेशी भाषा बोलना जानता है, लेकिन उसका कभी भी उपयोग नहीं करता, तो वो उस भाषा में बातचीत करने की अपनी क्षमता भी खो सकता है। तो इसी तरह, उनके पास जो है वो भी ले लिया जाएगा। जबकि यदि इस क्षमता को बढ़ा इसका उपयोग किया जाता है, तो यह संभवतः कई तरीकों से प्रयोग होते हुए विकसित होगी।

 

इसी तरह से, जब हम स्वयं को आत्मिक बातों की खोज में लगा देते हैं, तो हमारी आत्मिक योग्यताएँ विकसित होती हैं। स्वयं को आराधना, परमेश्वर का वचन, प्रार्थना और दूसरों की सेवा में दे देने से अधिक आत्मिक भूख और आत्मिक फल उत्पन्न होगा। अगर हम अपने आत्मिक जीवन की उपेक्षा करते हैं, तो आत्मिक बातों के लिए हमारी भूख मर जाती है, और हम ज्यादा फल नहीं उत्पन्न करते। तो, यह हमारा चुनाव है। यह एक ऐसी बात है जिसमें परमेश्वर हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि वह हमारी इच्छा, हमारे चुनाव देखना चाहता है। उसने अपने धन को मिट्टी के पात्रों में रखा है (2 कुरिन्थियों 4: 7)। उसने अपने खजाने को हम में रखा है! उनके पास कोई अन्य "योजना" नहीं है। जब हम जो कुछ उसने हमें दिया है उसे विकसित करेंगे तो यह देख हैरान हो सकते हैं कि वह क्या करेगा। यह उसके अनुग्रह के द्वारा हमारी अपनी सामर्थ से हासिल की जाने वाली चीज़ों को कल्पना से बाहर गुणा करने का अद्भुत तरीका है।

 

दास का इनाम

 

जो दास अपने निवेश पर 1000% लाभ लाता है, स्वामी उसके लिए प्रसन्न और प्रशंसा से भरा हुआ प्रतीत होता है। उसने उस से कहा, "धन्य, हे मेरे उत्तम दास!" (लूका 19:17)

 

जो इनाम दिया गया उसके विषय में आपके क्या विचार हैं? तीन महीने के वेतन और सम्पूर्ण नगरों के मूल्य के बीच एक विशाल अंतर है!

 

भारत में दस शहरों की संयुक्त आय क्या होगी? यह तो दस मुहरों के मूल्य से बहुत ही अलग राशि लगती है। एक शहर का उपयोग शायद, पहले दो लोगों द्वारा निवेश के लिए लगे ऊर्जा, समय और पैसे के लिए प्राप्त पुरस्कार की असामनत को दिखाने का एक तरीका है। मेरा मानना है कि परमेश्वर हमें दिखा रहा है कि:

 

परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आँख ने नहीं देखा, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।(1 कुरिन्थियों 2:9 बल मेरी ओर से)

 

आप कह सकते हैं, "यह बहुत काम लगता है! मैं तो बरमूडा या हवाई में आराम कर अपने दिन बिताना चाहूँगा। दस शहरों का कार्यभार संभालने जैसा कोई इनाम मैं तो नहीं चाहूँगा!" मैं इस इनाम को विश्वास और चरित्र के पुरस्कार के रूप में देखता हूँ। यह स्वामी के साथ रिश्ते की निकटता की बात करता है। किसी भी प्रमुख कंपनी के सीईओ किसके साथ समय बिताते हैं? किसी भी स्वस्थ संगठन में, यह उसके शीर्ष अधिकारी होंगे। उसी तरह से, हम भी अपने स्वामी, प्रभु यीशु मसीह की निकटता में काम करेंगे। यह क्या ही आनंद होगा! एक शहर के विचार से मेरे लिए तात्पर्य है कि स्वर्ग के राज्य में जब हम उसके शासन के भागीदार होंगे, वहाँ जिम्मेदारी और अधिकार होगा। शहर का विचार केवल हमारी समझ में हमारी सहायता करता है। उपरोक्त खंड में कहा गया है कि हमारा चित्त यह सोच भी नहीं सकता कि परमेश्वर ने उन लोगों के लिए क्या योजना बनाई है जो उससे प्रेम करते हैं। जब हम इस शब्द "इनाम" के बारे में सोचते हैं, तो तुरंत हमारा खुद का एक विचार आता है कि इनाम का अर्थ क्या होगा। परमेश्वर का इनाम हमारी कल्पना से बहुत अधिक विशाल है। वह बहुत अधिक उदार है क्योंकि उसकी उदारता उसकी बहुतायत से आती है।

 

ऐसा लगता है कि जिसने अपने निवेश पर दस गुना प्राप्त किया, वह अपने पूरे हृदय से उसमें लग गया। उस दिन बहुत से लोग होंगे जो कहेंगे, "मैंने वास्तव में मायने रखने वाली बातों में स्वयं को अधिक क्यों नहीं लगाया?" हम पीछे मुड़कर, उन चीजों को देखेंगे जो वास्तव में परमेश्वर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हैं। आइये उस सबक को हम अभी सीख लें जब उसके इस्तमाल का मौका हमारे पास है। परमेश्वर के राज्य में महत्वपूर्ण क्या है? इसके उत्तर के लिए यीशु के जीवन को देखें। उसने लोगों में निवेश कर अपना जीवन व्यतीत किया। हम हमेशा परिणाम नहीं देख पाएंगे, इस जीवन में हमारे परिश्रम के फल, परन्तु मुझे विश्वास है कि अनंत काल के श्रेष्ठ स्थान से अपने जीवन के प्रभाव को पूरी तरह से जान पाएंगे। कई चीजें हैं जो स्थायी रूप में सदा रहने वाली हैं: ज्ञान, बुद्धि और वह परमेश्वर का वचन जिसे हमने अपने हृदयों में रख लिया है, और वह लोग जिनकी आत्माएं सनातन हैं।

 

मैं चार्ल्स हैडोन स्पर्जन, एक प्रसिद्ध बाइबिल शास्त्री के शब्दों से समाप्त करना चाहता हूँ जिन्होंने एक समय इस खंड पर बात की थी। उन्होंने अपनी कलीसिया से यह शब्द कहे:

 

यीशु ने हमें राजा और याजक बना दिया है- और हम अपने सिंहासन के लिए प्रशिक्षण में हैं। क्या होगा यदि इस कलीसिया में मैं दुनिया के असंख्य लोगों से अपने स्वामी की महिमा का प्रचार करना सीख रहा हूँ! हो सकता है कि शायद वही प्रचारक जो यहाँ विश्वासयोग्य ठहरे, आने वाले समय में अपने प्रभु की महिमा के विषय में तारामंडलों को बताए। कैसा होगा अगर वह जो इन दो दीर्घाओं और इस कक्ष में प्रचार करने के बजाय एक केंद्रीय तारे पर खड़ा हो संसारों पे संसारों को मसीह का प्रचार करे? क्यों नहीं?

 

किसी भी दर पर, यदि मुझे कभी लाखों मील की दूरी तक सुने जाने वाली ज़ोर की आवाज़ मिले, तो मैं परमेश्वर के उन गौरवशाली सत्यों के अलावा और कुछ न कहूँगा, जो प्रभु ने यीशु मसीह में प्रकट किये हैं! अगर हम यहाँ विश्वासयोग्य हैं, तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि इसके बाद हमारा स्वामी हमें उच्च सेवा सौंपेगा! हमें केवल यह निश्चित करना है कि हम परीक्षा को पार करने में सक्षम हैं और प्रशिक्षण से लाभ ले रहे हैं। अगर हमारे खाते में अभी बहुत कम है, उसी के समान हमारे साथ अनंत काल के विशाल पैमाने पर भी होगा। यह इस निचले क्षेत्र में हमारे कार्य पर एक और नज़रिया डालता है। दस शहरों में शासक! पाँच शहरों में शासक! भाईयों और बहनों, यदि आप जो कुछ थोड़ा प्रभु ने आपको इस दुनिया में दिया है, उसमें आप अच्छी रीती से उसकी सेवा नहीं कर सकते, तो आप इतनी प्रतिष्ठा के योग्य नहीं। यदि आप यहाँ पूर्णत: उसके लिए जीते हैं, तो आप उस अनमोल महिमा के लिए तैयार होंगे, जो सभी अलग की गई, चुनी हुई आत्माओं का इंतजार कर रही है। आइए हम सर्वस्व से एक समर्पित जीवन को चुनें! समय इतना कम है और जिन चीज़ों का हम सामना करते हैं वे तुलना में कितनी छोटीं हैं! हम जल्द ही समय के अन्तराल से बाहर आएंगे - और जब हम इस अन्तराल से निकल अनंतकाल में प्रवेश कर अपने आलौकिक उद्देश्यों की विशालता को देखेंगे, तो हम हमें मिलने वाली सेवा से पूरी तरह से चकित हो जाएंगे – वह जो की गई सेवा का पुरस्कार होगा। हे प्रभु, हमें विश्वासयोग्य बना!

 

प्रार्थना: प्रभु; कृपया मुझे अपने जल्द आने वाले राज्य से अवगत करा मुझे उन चीजों में अपने जीवन का निवेश करने के लिए ज्ञान और अनुग्रह दें जो वास्तव में मायने रखती हैं - राजा और उसके लोग। मुझे यीशु की तरह जीने में सहायता कर। आमीन!

 

कीथ थॉमस

नि:शुल्क बाइबिल अध्यन के लिए वेबसाइट: www.groupbiblestudy.com

-मेल: keiththomas7@gmail.com

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And this gospel of the kingdom will be proclaimed throughout the whole world as a testimony to all nations, and then the end will come.
Matthew 24:14

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