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7. The Parable of the Weeds
7. जंगली बीज का दृष्टान्त
24यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया: “स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया। 25पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया। 26जब अंकुर निकले और बालें लगी, तो जंगली पौधे भी दिखाई दिए। 27इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उससे कहा, ‘हे स्वामी, क्या तूने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उस में कहाँ से आए?’ 28उसने उनसे कहा, ‘यह किसी बैरी का काम है।’ दासों ने उससे कहा ‘क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उनको बटोर लें?’ 29उसने कहा, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए तुम उनके साथ गेहूं भी उखाड़ लो। 30कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूँगा; पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उन के गट्ठे बान्ध लो, और गेंहूँ को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो।’” (मत्ती 13:24-30)
यहाँ हम एक ऐसी समस्या के बारे में पढ़ते हैं जिसका सामना ऐसे किसान करते थे जिन्हें अपने व्यावसायिक लेन-देन में अनुचित या रूखा जाना जाता था। कोई शत्रु उनके खेत में जंगली बीज बो जाता, जिसेसे छुटकारा पाने में, यदि यह संभव होता भी तो वर्षों लग जाते। जिस शब्द का अनुवाद जंगली बीज के रूप में किया गया है वो यूनानी शब्द ज़िनाज़िओन है। यह एक ऐसा पौधा है जो बढ़ने के समय दिखने में और हरे-पन में बिलकुल गेहूँ के समान होता है, लेकिन पूर्णत: बढ़ने और पकने के बाद, उसकी बालें ज्यादा लम्बी होती हैं और यह काला और विषैला दाना उत्पन्न करता है। अगर दाने को पूरी तरह पकने दिया जाता है, तो बीज मिट्टी में गिर कर अगले वर्ष फिर यही समस्या उत्पन्न करते हैं।
जब कटनी का समय नज़दीक ही था, तब खेत में काम कर रहे दास इस बात पर गौर करने लगे कि जैसे-जैसे पौधे अपनी विकास के अंतिम चरण में पहुँच रहे थे, कुछ पौधों की बालें गेहूँ से ज्यादा बड़ी हो रहीं थीं और अलग दिख रहीं थीं। उन्होंने खेत के गृहस्थ और स्वामी को यह बताने में तत्परता दिखाई कि उन्हें दाने के बनने से पहले ज़िनाज़िओन को बटोरने में जुट जाना चाहिए। लेकिन समस्या यह थी कि जंगली पौधे उसी भूमि में उगे थे जिसमें गेहूँ था, और जंगली पौधों को उखाड़ने से गेहूँ को भी नुकसान पहुँचता। इस समस्या का हल स्वामी के कटनी तक रुक कर उस समय गेहूँ और जंगली पौधों को अलग-अलग करने के निर्णय द्वारा हुआ।
जंगली बीज का दृष्टान्त बीज बोने वाले के दृष्टान्त के बिलकुल बाद दिया गया है (मत्ती 13:3-23)। यह दृष्टान्त एक व्यक्ति को परमेश्वर के राज्य में फल्वंत होने में परमेश्वर की सामर्थ को रोकने में शैतान के कार्य के विषय में था। जो बीज बोया गया था वो एक व्यक्ति के हृदय में परमेश्वर के वचन का प्रतीक था और उसी के विषय में उसका प्रतिउत्तर। चेले इस जंगली बीज के दृष्टान्त से कुछ उलझे हुए थे क्योंकि यह भी बीज बोने वाले के दृष्टान्त के समान प्रतीत हो रहा था। जब उन्होंने यीशु को भीड़ से कुछ अलग पाया, तब उन्होंने उसको (उसी उपदेश में दिए) राई के बीज के दृष्टान्त या खमीर के दृष्टान्त 31-35 पद को समझाने के लिए नहीं कहा, लेकिन जंगली बीज के दृष्टान्त के बारे में कुछ ऐसा था जिसने उन्हें विशेष रूप से आकर्षित किया। आइये उसकी व्याख्या को पढ़ें:
36तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “खेत के जंगली दाने का दृष्टान्त हमें समझा दे।” 37उसने उनको उत्तर दिया, “कि अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है। 38खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य के सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं। 39जिस बैरी ने उनको बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है: और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं। 40सो जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा। 41मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे। 42और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे, वहाँ रोना और दांत पीसना होगा। 43उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाई चमकेंगे; जिस के कान हों वह सुन ले।” (मत्ती 13:36-43)
यीशु क्या कहता है कि इस दृष्टान्त में अलग-अलग चीज़ें किसका प्रतीक हैं? यह इसी अध्याय के पहले भाग में दिए बीज बोने वाले के दृष्टान्त से भिन्न कैसे है?
बीज बोने वाले के दृष्टान्त में, बीज बोने वाला किसी भी ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है जो मसीह के संपन्न कार्य के विषय में सुसमाचार (शुभ सन्देश) को बाँटता है। भूमि या मिट्टी परमेश्वर के वचन को सुनने वाले लोगों के हृदय का प्रतीक है, और बीज परमेश्वर का वचन है। जंगली बीज के दृष्टान्त में हम इतना ही फर्क देखते हैं कि बोने वाला स्वयं प्रभु यीशु मसीह है (मत्ती 13:37) और संसार भूमि है (पद 38)। अच्छा बीज उन सभी लोगों का प्रतीक है जिन्होंने मसीह पर विश्वास और भरोसा किया है, जबकि जंगली बीज दुष्ट की संतान हैं, और जो शत्रु उन्हें बोता है वो शैतान है (पद 39)। कटनी का समय आने वाले अंत के दिनों का प्रतीक है जहाँ कटनी करने वाले स्वर्गदूत हैं। यह दृष्टान्त दो विपरीत ताकतों के बीच के संघर्ष के बारे में है: परमेश्वर का राज्य और शैतान का राज्य।
1900 के शुरुआती वर्षों में, यू.एस.ए और यूरोप की कलीसियाओं में अग्वों के प्रचलित विचार यह थे कि कलीसिया समूचे संसार को “मसीही” बना देगा, क्योंकि पूरे संसार भर में मिशनरियों को भेजा जा रहा था। विचारधारा यह थी कि सभी को मसीह के निकट ला देने से कलीसिया संसार में से बुराई को ख़त्म कर देगी। जबकि यह घटनाक्रम में अद्भुत मोड़ होगा, यह सत्य नहीं है। जितना नज़दीक हम समय के अंत की ओर आ रहे हैं और शैतान के पौधों की सच्चाई सामने आ रही है, संसार उतना ज्यादा ही बुरा और भ्रष्ट होता चला जा रहा है। उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। (मत्ती 7:16)
जैसा कि हमने पहले कहा है, इस पृथ्वी ग्रह पर केवल दो ही राज्य हैं जो आपस में युद्ध में हैं। भले ही कई राष्ट्र और कई धर्म हों, लेकिन सभी भिन्न-भिन्न विचारधाराओं और धर्मों के पीछे, एक न दिखने वाला शत्रु है जो मसीह के कार्य को उलट-पलट कर देना चाहता है। यह हाथ में त्रिशूल लिए कोई छोटे कद का लाल आदमी नहीं है। वो शक्तिशाली, न दिखने वाला, रचा हुआ प्राणी है जिसके पास मानवता के इतिहास को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाली आत्मिक प्राणियों की सेना है।
क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। (इफिसियों 6:12)
न दिखने वाले स्वर्गीय स्थानों से जो इस ग्रह को प्रभावित करते हैं, मनुष्य के मन पर नियंत्रण करने के लिए युद्ध लड़ा जा रहा है। हमारा शत्रु एक मनुष्य के समान सीमित जीवनकाल से बंधा नहीं है; वो अदन की वाटिका के समय से युद्ध कर रहा है। वो वहीं अदन की वाटिका में था कि परमेश्वर ने शैतान या सर्प पर न्याय की आज्ञा दी थी। परमेश्वर ने उससे कहा:
और मै तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा। (उत्पत्ति 3:15)
शैतान के पास हमेशा अपने लोग होते हैं जिन्हें वह परमेश्वर के राज्य के विरोध में प्रयोग करता है। फिरोन के इजराइल के नवजात शिशुओं को जन्म के समय मारने की कहानी है (निर्गमन 1:22)। फिर हेरोदेस ने यीशु को बचपन में ही मारने की आशा में बेतलेहेम में तीन वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को मारने की कोशिश की (मत्ती 2:16)। हमान ने एस्तेर की पुस्तक में यहूदी कुल को नाश करने की कोशिश की (एस्तेर 3:5-6)। हम उन लोगों के बारे में बात कर सकते हैं जो यीशु की सेवकाई के विरोध में थे, वो उसे क्रूस पर चढाने के लिए दृढ़ और अडिग थे। उसने उन्हें एक समय पर कहा:
43“तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिये कि तुम मेरा वचन सुन नहीं सकते। 44तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है।” (यहुन्ना 8:43-44)
शत्रु द्वारा बोए बीज कौन हैं?
आप क्या सोचते हैं कि जंगली बीज के दृष्टान्त मैं शत्रु क्या हासिल करना चाह रहा था?
कोई शत्रु जंगली बीज बोकर एक अच्छे-भले खेत को क्यों उजाड़ना चाहेगा? संसार के शब्दों में, यहाँ निश्चित ही खेत के स्वामी के लिए नफरत का विचार है, उसकी कटनी को नुक्सान पहुँचाने का, या फिर खेत पर नियंत्रण की लालसा।
जैसे परमेश्वर के पास इस पृथ्वी पर वह हैं जिन्हें वो अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रयोग करता है, वैसे ही शैतान, हमारा शत्रु भी अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए लोगों की खोज में रहता है। शत्रु परमेश्वर के समान रचने में सक्षम नहीं; इसीलिए, वह तो केवल असली की ही नक़ल कर उसकी जाली प्रति ही बना सकता है। क्योंकि हम जानते हैं कि परमेश्वर के पास स्वर्गदूतों और प्रधान्ताओं का उच्चतम संगठित बीड़ा है, और साथ ही अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए स्त्री और पुरुष, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि शैतान भी इसी तरह के अधिकार संरचना की नक़ल करता है।
देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ्य दिखाए। (2 इतिहास 16:9)
अगर प्रभु सजग और सक्रीय रूप से उन लोगों को खोज रहा है जिनके हृदय उसकी इच्छा करने के लिए उसकी ओर हैं, क्या आप सोचते हैं कि शत्रु भी ऐसा ही कर रहा होगा? परमेश्वर की योजनाओं को नष्ट करने का उसका सबसे प्रभावशाली तरीका घुसपैठ कर, धोखा देना, और अंतत: नाश करना ही है। वो अपना यह काम सबसे अच्छी रीती से तब कर सकता है जब इसे भाँपा न जा सके (जिसके बारे में मेरा विचार है कि इसे सोने के प्रतीक के साथ जोड़ा जा सकता है)। वो सबसे ज्यादा प्रभावी तब होता है जब वो ज्योति के दूत के रूप में प्रतीत होता है। वो कुछ ऐसा प्रस्तुत करता है जो सच्चा प्रतीत होता है, लेकिन है नहीं। लेकिन, एक बात है जो वह नहीं कर सकता। वो अच्छा फल नहीं उत्पन्न नहीं कर सकता। अंत में, जब फल की सच्चाई सामने आएगी तब उसका छल प्रकट हो जाएगा। उसके कार्य की एक उपज और परिणाम है, और यह बुरी फसल उत्पन्न करेगा।
विलियम बर्कले ने मत्ती की पुस्तक की समीक्षा में जंगली पौधों की उत्पत्ति के विषय में कुछ रोचक टिप्पणियाँ की हैं:
जंगली पौधे और गेंहूँ इतने एक समान थे कि यहूदी लोग जंगली पौधों को “जारज गेंहूँ” कहा करते थे। जंगली पौधों के लिए यहूदी शब्द ज़ूनिम है, जिससे यूनानी ज़ीज़ानिओन आता है; ज़ूनिम का नाता ज़ानाह शब्द से माना जाता है, जिसका अर्थ व्यभिचार करना है; और प्रसिद्ध कहानी यह है कि जंगली पौधों की उत्पत्ति जल-प्रलय से पहले फैली दुष्टता में हुई, क्योंकि उस समय सम्पूर्ण सृष्टि, पुरुष, स्त्री, जानवर और पौधे, सभी भटक गए और उन्होंने व्यभिचार किया और स्वाभाविक से विपरीत उत्पन्न किया। इनके शुरुआती चरणों में, बढ़ते हुए गेंहूँ और जंगली पौधे को सकुशल अलग नही किया जा सकता, लेकिन अंतत: इन्हें अलग करना ही होता था, क्योंकि इस दढ़ियल कण का दाना कुछ विषैला होता है। इससे चक्कर और बीमारी आती है और हर अपने असर में यह नशीले होते हैं, और इसकी बहुत कम मात्रा भी कड़वी और स्वाद में अप्रिय होती है।
यह हमेशा से शत्रु की रणनीति रही है, घुसकर, घुल-मिल के, घुसपैठ कर के न केवल संसार का नियंत्रण करना, लेकिन मनुष्य का भी नियंत्रण करना। यहाँ पर जंगली पौधों और गेंहूँ की जड़ की संरचना के परस्पर मिश्रण का विचार उत्पन्न होता है।
इस संसार में जंगली पौधों के कार्य की जाँच करने के लिए, और यह देखने के लिए कि कैसे शत्रु ने इतिहास में संसार को भ्रष्ट किया है, हमें वापस उत्पत्ति की पुस्तक में जाना होगा:
1फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियाँ उत्पन्न हुई, 2तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं; सो उन्होंने जिस-जिस को चाहा उनसे ब्याह कर लिया। 3और यहोवा ने कहा, मेरा आत्मा मनुष्य से सदा यों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है : उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी। 4उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात् जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्पन्न हुए, वे पुत्र शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है। (उत्पत्ति 6:1-4)
इब्रानी शब्द जिसका अनुवाद "परमेश्वर के पुत्रों" ब-नाई हा-एलोहीम है, एक शब्द जो पुराने नियम में स्वर्गदूतों के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। यह वही शब्द है जिसे अय्यूब की पुस्तक में प्रयोग किया जाता है जब स्वर्गदूतों (न्यू इंटरनेशनल वर्जन – एन.आई.वी), या परमेश्वर के पुत्रों (किंग जेम्स वर्जन – के.जे.वी) ने स्वयं को परमेश्वर के सम्मुख तब प्रस्तुत किया जब शैतान उनके बीच में था और अय्यूब पर उसकी धार्मिकता के विषय में गलत मंशा रखने का आरोप लगा रहा था (अय्यूब 1:6-10;2:1)। यह बात याद रखने योग्य है कि आदम को, एक सृजा हुआ प्राणी होते हुए भी, परमेश्वर का पुत्र कहा गया था (लूका 3:38)। हनोक की अप्रमाणिक/ एपोकिर्फल पुस्तक में भी स्पष्ट रूप से प्राणियों के स्वर्गदूतों के रूप में आने की बात की गई है। इस किताब को वचन के सिद्धांतिक भाग का हिस्सा नहीं माना गया था, लेकिन लगभग 200 ईसा पूर्व से 200 ईसा बाद तक रब्बी और शुरुआती मसीही पासबानों, विद्वानों और शिक्षकों ने इस अवधि की स्वीकृत मान्यताओं का अध्ययन करने के लिए इसे मान्यता दी। हनोक धरती पर आने वाले स्वर्गदूतों को “पहरेदार” कहता है। हनोक ने लिखा है:
"और मैं हनोक महिमा के प्रभु और युगों के राजा को आशीष दे रहा था, और देखो! मुझे पहरेदारों ने बुलाया - हनोक लिखनेवाला - और कहा, "हेनोक, तू धर्म का लेखक है, जाकर आकाश के पहरेदारों को बताओ, जो पवित्र स्वर्ग को छोड़ आए हैं, उस पवित्र अनन्त स्थान को, और स्त्रियों से अपने को अपवित्र कर दिया है, और वैसा ही किया जैसा पृथ्वी की संतान करते हैं, और अपने लिए पत्नियां ले लीं: तुमने धरती पर बहुत विनाश किया है; और तुमहें कोई शांति और न ही पाप की क्षमा मिलेगी, और जितना वे अपने बच्चों [नेफिलीम] में प्रसन्न होते हैं, वे अपने प्रियजनों की हत्या देखेंगे, और अपने बच्चों के विनाश पर वे विलाप करेंगे, और अनन्तकाल तक प्रार्थना करेंगे, परन्तु दया और शांति तुम न पाओगे "(हनोक 10:3-8)।
हनोक ने उल्लेख किया कि इन शक्तिशाली स्वर्गदूतों में से दो सौ ने "स्वर्ग के ऊँचे स्थान" को छोड़कर स्त्रीयों को प्रयोग करने के द्वारा मानवीय अस्तित्व में प्रवेश किया।
इंटरलीनियर हिब्रू बाइबिल (IHN) हमें एक रोचक अनुवाद देती है। जबकि किंग जेम्स बाइबल इस प्रकार से कहती है, "परमेश्वर के पुत्रों ने पुरुषों की पुत्रियों को देखा कि वे निष्पक्ष थीं," IHN अनुवाद इसे इन शब्दों में बताती है, "[ब-नाई हा-एलोहीम] ने आदम की पुत्रियाँ देखीं, कि वे उपयुक्त व्याप्तियाँ होंगी" (बल मेरे द्वारा जोड़ा गया है)। यह संभव है कि मूसा (उत्पत्ति की पुस्तक का लेखक), पवित्र आत्मा की प्रेरणा में, यह समझा रहा है कि पहरेदार स्वर्गीय प्राणी भी अपने आनुवंशिक गुणों को शुद्ध मानवीय गुणों के साथ मिश्रित कर मानवीय जाति को मिश्रित अनुवांशिक गुणों से भ्रष्ट कर के हमारे स्तर मैं यह जानते हुए प्रवेश कर सकते हैं कि परमेश्वर ने निम्नलिखित बात कही थी:
और मै तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा। (उत्पत्ति 3:15) (NIV अनुवाद)
और मै तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे बीज और इसके बीज के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा। (उत्पत्ति 3:15) (KJ अनुवाद)
इन बुरे गिरे हुए स्वर्गदूतों ने शायद (यदि सिद्धांत सही है) यह सोचा कि, यदि वे होमो सेपियन्स (मनुष्यों) के डी.एन.ए को भ्रष्ट कर सकते हैं, तो मसीहा, स्त्री का बीज, एक योग्य व्यक्ति नहीं होगा, जिसके द्वारा परमेश्वर का पुत्र शैतान के बुरे स्वर्गदूतों के अधीन अंधकार के बंधन में पड़ी मानवीय जाती को उद्धार दिलाने के लिए जन्म ले।
शैतान और बुराई में गिरे स्वर्गदूत मानवीय जाती को क्यों भ्रष्ट करना चाहेंगे?
इस समय पर, एक सवाल है जिसे पूछना ही पड़ेगा: शैतान और स्वर्गदूतों का एक समूह स्वर्ग को त्याग परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह क्यों करेंगे? यह एक संभावना है कि उन्हें परमेश्वर द्वारा दिया उसकी सृष्टि के सबसे अद्भुत सृजन - मनुष्य की देखभाल करने का कार्य पसंद नहीं आया हो। शैतान को परमेश्वर के इस वचन के बारे में भली-भाँती पता था जो उसने मरुस्थल में मसीह की तीसरी परीक्षा में उसे कहा था:
9तब उसने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उससे कहा; “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहाँ से नीचे गिरा दे। 10क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें। 11और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे।” (लूका 4:9-11)
भजन 91:11 में यह प्रतिज्ञा क्या मानव जाति के लिए थी या सिर्फ मसीह के लिए? मेरा मानना है कि यह एक प्रतिज्ञा है कि अदृश्य राज्य में स्वर्गदूत परमेश्वर के लोगों पर पहरा देंगे, (अर्थात वह, जिन्होंने परमेश्वर के साथ वाचा में प्रवेश किया है)। हमें बताया गया है कि स्वर्गदूतों को उद्धार के वारिसों की सेवा करनी थी (अर्थात वह, जो कि मसीह में विश्वास के द्वारा वाचा के संबंध में प्रवेश करते हैं)।
क्या वे सब सेवा टहल करनेवाली आत्माएं नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (इब्रानियों 1:14 बल मेरी ओर से दिया गया है)
पहली सदी के इतिहासकार, जोसिफस फ्लेवियस भी एक ही समय कई स्वर्गदूतों के स्वर्ग छोड़ने वाले इस नज़रिए का समर्थन करते हैं, शायद उसी समय जब आदम ने शैतान की आज्ञा मानी और शैतान ने मनुष्य पर प्रभुत्व हासिल की। जोसिफस गिरे हुए स्वर्गदूतों के बारे में लिखते हैं:
उन्होंने परमेश्वर को अपने शत्रु बना लिया; परमेश्वर के कई स्वर्गदूत महिलाओं के साथ हो लिए, और उनके पुत्रों का जन्म हुआ, जो अन्यायपूर्ण साबित हुए, और जो कुछ भला था वह उससे घृणा करते थे, क्योंकि उनका विश्वास उनकी ताकत में था, क्योंकि परंपरा यह है कि इन लोगों ने जो काम किये वो वही थे जिन्हें यूनानी लोग दानव कहते थे
जोसिफस ने बाइबिल में उल्लेखित प्राचीन अमोरियों का उल्लेख भी किया जो हेब्रोन के आसपास रहते थे। "हेब्रोन में अब भी दानवों के कुल के कुछ बचे थे, जिनके शरीर इतने बड़े थे, और अन्य पुरुषों से पूरी तरह से अलग दिखने वाले थे, कि वे देखने में आश्चर्य चकित करने वाले और सुनने में भयानक थे। इन लोगों की हड्डियों को अभी भी देखा जा सकता है"(जोसेफस एंटीक्विटीज़ 5.2.3)।
पुरुषों की पुत्रियों, बेनॉथ एडम, का शाब्दिक अर्थ है, "आदम की पुत्रियाँ।" यहाँ ऐसी मानवीय महिलाओं का संदर्भ है जिन्हें पहले संदर्भित किया गया है जो मानवीय नहीं थीं वरन उनसे अलग थीं।
वापस उत्पत्ति 6 में आएं, तो पद 4 उन दिनों में नेफिलीम के पृथ्वी पर होने की बात करता है। अंग्रेजी किंग जेम्स अनुवाद में नेफिलीम को दानवों के रूप में अनुवादित किया गया है। नफीलिम शब्द इब्रानी शब्द नेफ़ाल से आया है, गिरना, तो इसका शाब्दिक अर्थ है, “गिरे हुए”। जब पुराने नियम का अनुवाद मसीह से तीसरी शताब्दी पूर्व यूनानी (सेप्ट्यूगिएंट) में किया गया था, तब इब्रानी शब्द नेफिलीम को गीग्न्ट्स या “पृथ्वी पर जन्मे” के रूप में अनुवादित किया गया था।
ध्यान दें कि मनुष्य के बीज के इस मिश्रण के परिणाम के बारे में बाइबल क्या कहती है, (अर्थात, होमो सैपियंस की पुत्रियों के साथ गिर चुके स्वर्गदूतों के बीज का विलय)।
5और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। 6 और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ। 7 तब यहोवा ने सोचा, कि मै मनुष्य को जिसकी मै ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूँगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाला जंतु, क्या आकाश के पक्षी, सबको मिटा दूँगा; क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूँ। 8परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही। 9नूह की वंशावली यह है। नूह धर्मी पुरूष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा। 10और नूह से, शेम, और हाम, और येपेत नाम, तीन पुत्र उत्पन्न हुए। 11उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी। 12और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा, कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपना अपना चाल चलन बिगाड़ लिया था। 13 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मै उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूँगा। (उत्पत्ति 6:5-13)
परमेश्वर 8 व्यक्तियों और एक नाव भर जानवरों को छोड़ अपनी बाकी की सारी सृष्टि का नाश क्यों करना चाहेगा?
9वें वचन में, हम पढ़ते हैं कि नूह धर्मी और खरा था। यह शब्द जिसका अनुवाद खरा किया गया है इब्रानी शब्द तमीयम है। इसका अर्थ है, "निर्दोष, कुशल, स्वस्थ, बेदाग़ और अछूता।" इसका उपयोग किसी भी प्रकार के शारीरिक दोष के न होने का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग यह सुझाव देता है कि नूह में वह आनुवांशिक अंतर नहीं था जो पृथ्वी की अधिकांश आबादी में था। नूह में गिरे हुए दूतों द्वारा मानव जाति में आक्रमण या घुसपैठ करने के द्वारा आया कोई कलंकित अनुवांशिक परिवर्तन नहीं हुआ था। वचन में परमेश्वर की सृष्टि पर गिरे हुए स्वर्गदूतों द्वारा किए गए इस हमले का वर्णन करने वाले कुछ और खंड हैं:
19उसी में उसने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया। 20जिन्होंने उस बीते समय में आज्ञा न मानी जब परमेश्वर नूह के दिनों में धीरज धरकर ठहरा रहा, और वह जहाज बना रहा था, जिस में बैठकर थोड़े लोग अर्थात् आठ प्राणी पानी के द्वारा बच गए। (1 पतरस 3:19-20)
6 फिर जो र्स्वगदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्धकार में जो सदा काल के लिये है बन्धनों में रखा है। 7जिस रीति से सदोम और अमोरा और उनके आस पास के नगर, जो इन की नाई व्यभिचारी हो गए थे और पराए शरीर के पीछे लग गए थे आग के अनन्त दण्ड में पड़कर दृष्टान्त ठहरे हैं। (यहूदा 1:6-7)
4उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात् (भी)... (उत्पत्ति 6:4)
हमें बताया गया है कि नेफिलिम (मानवीय महिलाओं और स्वर्गदूतों के जन्मे वंशज) धरती ओर नूह के दिनों में ही नहीं बल्कि जल प्रलय के बाद भी रहे।
आपको क्यों लगता है कि मूसा (उत्पत्ति की पुस्तक का लेखक) इन शब्दों को क्यों जोड़ता है, और इसके पश्चात् (भी)... वो किस बात का ज़िक्र कर रहा था?
यह एक सोच है कि शायद, यूनानी पौराणिक देवता, जैसे कि टाइटन, हरक्यूलिस, पोसीडॉन, हर्मीस, यूरोपा, ज़ीउस, इत्यादि ये नेफिलीम थे जिनका पवित्रशास्त्र में उल्लेख किया गया था। सिर्फ एक बाइबिल आधारित दृष्टिकोण से, हमारे पास वचन में असाधारण आकार के पुरुषों के कई विवरण हैं। उदाहरण के लिए, ओग, बाशान के राजा का उल्लेख है, जो रफ़ीयों में से एकमात्र बचा हुआ था (व्यवस्थाविवरण 3:11)। उसका बिस्तर लोहे का बना हुआ था और वह पलंग तेरह फुट लंबा और छह फुट चौड़ा होना था, निश्चित रूप से यह इस बात का सुझाव दे रहा था कि वह सामान्य आकार का मानव नहीं था। फिर गत के आदमी का उल्लेख है जो कि “एक बड़ी डील-डौल वाला रपाईवंशी पुरूष था, जिसके एक-एक हाथ पाँव में, छे-छे उंगली, अर्थात् गिनती में चौबीस उंगलियां थीं।” (2 शमूएल 21:20) बेशक, गोलियत का भी उल्लेख है, जिसे दाऊद ने एक गोफन से मार डाला था। वचन में कहा गया है कि वह भी गत शहर ही का था और उसकी ऊंचाई छह हाथ और एक बित्ता थी (1 शमूएल 17:4)। उसके आकार की सही गणना करने के लिए, हमें इसका मूल्यांकन करना होगा कि उस समय एक हाथ और एक बित्ता कितना होते थे। दाऊद के पुत्र, सुलैमान के समय, एक हाथ 25.2 इंच होता था, जो गोलियत को 12 '9 "फुट लंबा करता है। यह वास्तव में उसे अमानवीय बनाता है!
जब इस्राएलियों के पुत्र मिस्र से बाहर निकले, परमेश्वर इस नए राष्ट्र को कनान देश में ले गया, लेकिन जब वे सीमाओं पर पहुँचे, तो उन्होंने भूमि को देखने के लिए भेदी भेजे। बारह भेदियों में से दस बुरे विवरण के साथ वापस लौटे और कहा,
31पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, “उन लोगों पर चढ़ाई करने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान् हैं।” 32और उन्होंने इस्त्राएलियों के सामने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि “वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों को निगल जाता है; और जितने पुरूष हमने उसमें देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं। 33 फिर हमने वहाँ नपीलों को, अर्थात् नपीली जातिवाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके सामने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे।” (गिनती 13:31-33)
परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है, कि आनेवाले समयों में कितने लोग भरमानेवाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे। (1 तीमुथियुस 4:1)
जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। (लूका 17:26)
वे कौन हैं जिन्हें फसल की कटनी तक एक साथ बढ़ना चाहिए? उपरोक्त वचन में यीशु किससे बात कर रहा है? क्या आज भी सत्ता के पदों पर ऐसे लोग हो सकते हैं जो परमेश्वर के राज्य के विकास का विरोध करने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं?
तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे। (2 तीमुथियुस 2:19)
21 सितंबर 1987 को, राष्ट्रपति रीगन संयुक्त राष्ट्र के महासभा से एक एकजुट प्रयास की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे थे जो कि विश्व के राष्ट्रों को एक साथ लेकर लाएगा। उन्होंने एक “विदेशी खतरे” के बारे में बात की है। उन्होंने यह कहा:
"इस बंधन को पहचानने के लिए शायद हमें किसी बाहरी, सार्वभौमिक खतरे की आवश्यकता है। मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि यदि हम इस दुनिया के बाहर से किसी विदेशी खतरे का सामना कर रहे होते तो विश्वभर में हमारे मतभेद कितनी जल्दी गायब हो जाएंगे। पर फिर भी, मैं आप से पूछता हूँ, क्या हमारे बीच में पहले से एक विदेशी ताक़त नहीं है?"
मैं राष्ट्रपति रीगन के साथ सहमत नहीं हूँ। जिन विदेशी ताक़तों के बारे में वह बात कर रहे थे वे दुष्ट आत्माएं हैं जो मानवीय दुनिया को नियंत्रित करने के अपने स्वयं के मकसद के लिए कुछ लोगों का उपयोग कर रहे हैं। उनकी पत्नी, नैंसी, दुनिया के अभिजात वर्ग के कई अन्य लोगों के जैसे, जादू-टोने की विश्वासी थीं। हालांकि, कटनी का समय आगे है, और वह इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। ऐसा समय आने वाला है जब मानव जाति के असली दुश्मन स्पष्ट हो जाएंगे। बाइबल बताती है कि वे जंगली पौधे कौन हैं जिन्हें शैतान ने बोया है:
तेरे व्यापारी पृथ्वी के प्रधान थे, और तेरे टोने से सब जातियाँ भरमाई गई थी। (प्रकाशितवाक्य 18:23)
9पाताल के नीचे अधोलोक में तुझसे मिलने के लिये हलचल हो रही है; वह तेरे लिये मुर्दों को अर्थात पृथ्वी के सब सरदारों को जगाता है, और वह जाति जाति से सब राजाओं को उनके सिंहासन पर से उठ खड़ा करता है। 10वे सब तुझ से कहेंगे, क्या तू भी हमारी नाई निर्बल हो गया है? क्या तू हमारे समान ही बन गया? (यशायाह 14:9-10)
विलियम बार्कले यह मुख्य बातें कहते हैं:
1) यह तय करना हमारे लिए कितना कठिन है कि राज्य में कौन है और कौन नहीं है – सावधान रहें, परमेश्वर न्याय करेगा।
2) न्याय तो होगा। इस जीवन में, यह प्रतीत हो सकता है कि बुरे लोग भुगतने से बच जाते हैं, परन्तु एक जीवन आने को है। पुराने के संतुलन को सुधारने के लिए एक नया संसार है।
3) अंत में, न्याय करने के लिए योग्य केवल एकमात्र परमेश्वर ही है, और यह एक चेतावनी है कि अंत में परमेश्वर का न्याय आएगा।
हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब हम चीजों को होते देखना शुरू करेंगे। अंधकार और गहरा होने वाला है। ज्योति और उज्ज्वल चमकेगी। फल अधिक स्पष्ट होगा; वहाँ दो गुटों में चुनाव हो जाएगा। यह सब फसल के कटने के समय तक बढ़ता जाएगा। फिर से, मैं वचन से बाटूँगा:
1उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है। 2देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा। (यशायाह 60:1-2)
प्रार्थना: पिता, आपकी इस प्रतिज्ञा के लिए धन्यवाद कि हम, जो गेहूँ हैं, इन अंतिम दिनों में आपके खत्तों (मैथ्यू 13:30) में इकट्ठा किये जाएँगे। धन्यवाद, इसलिए भी, कि आपने हमें अकेला नहीं छोड़ा है, लेकिन आप हमारे साथ हैं, यहाँ तक कि समय के अंत तक (मत्ती 28:20)। हमें दुष्ट से बचाएँ, संसार में उन लोगों के लिए ज्योति होने के लिए हमें प्रयोग करें जो अब भी अन्धकार में हैं। आमीन!
कीथ थॉमस
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