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3. What Lies Beyond Death's Door?

3. मृत्यु के द्वार के आगे क्या है ?

मृत्यु के निकट अनुभव?
वर्ष १९८६, में जब मैं इंग्लैंड से एशिया जाने की तैयारी कर रहा था मैंने इस बात को जाना कि मुझे कुछ टीके लगवाने थे विभिन्न बीमारियों के विरुद्ध में जो भारत में और अन्य देशों में जहां मैं जाने वाला था आम थीं। जिस डॉक्टर ने मुझे टीके लगाए उन्होंने मुझे कम से कम २४ घंटों के लिए शराब पीने को मना किया। बाद में उसी रात मैंने कुछ बेवकूफी की (कृपया इसे घर पर न करें) मैंने डॉक्टर की सलाह नहीं मानी। अब मैं ऐसा कह सकता हूँ, ३४ साल पहले जब से मैं मसीह का शिष्य बना,  जितना मैं बुद्धिमान था अब मैं उससे कहीं ज्यादा हूँ, लेकिन मेरे किशोरावस्था और शुरुआती बीसवें शतक के जीवन में मेरा जीवन बेकार निर्णयों से भरा हुआ था। इस उम्र में मैं बहुत ज्यादा भांग, चरस आदि का सेवन किया करता था, एक रात भी ऐसी नहीं जाती थी कि जिसमें मैं यह सब चीजों का  उपयोग न करता।
 डॉक्टर से मिलने के बाद मैंने अपने लिए शाम की योजना पहले ही बना ली थी। मैं अपने दोस्तों से एक शराब खाने में मिलने वाला था जो मुझे, मेरी यूरोप और एशिया की यात्रा से पहले विदा करने के लिए एकत्रित थे। बाहर जाने से पहले डॉक्टर की चेतावनी के कारण मैंने अपने आप को बताया मुझे पीना नहीं है। यह एक बुद्धिमानी का निर्णय था। लेकिन फिर मैंने सोचा  "निश्चित तौर पर थोड़ी सी हशीश से कुछ नुकसान नहीं होगा"। जो भी हशीश मेरे पास था उसका सिगरेट की तरह सेवन करने में बहुत देर लग जाती इसलिए मैंने वह खा लिया और फिर अपने मित्रों  से मिलने शराबखाने की ओर चल पड़ा। जैसे ही मैं पहुँचा मेरे दोस्त ने मेरे लिए एक गिलास बियर खरीद दी। मैंने सोचा यह तो थोड़ी सी है, इतनी थोड़ी से मुझे कोई नुकसान नहीं होगा। इसके अलावा मैं अपने दोस्तों को चोट नहीं पहुँचाना चाहता था।
जो हशीश मैंने खाया था उसका सचमुच मेरे सोचने की शक्ति पर असर पड़ा था। जैसे ही मैंने शराब पी, मैं अस्वस्थ महसूस करने लगा। मेरे अंदर जो चल रहा था मैं उस पर नियंत्रण न रख सका। क्योंकि मैंने टीके लगवाए थे वो हशीश और शराब मेरे लिए  अत्यधिक हो गई और मैं डॉक्टर की चेतावनी के बारे में सोचने लगा। मैं यह जानते हुए शराबखाने से बाहर निकला कि मेरे साथ कुछ बहुत बुरा हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मुझे वापस अपने घर जाना है। किसी तरह से मैं इस बात को जानता था कि मैं मृत्यु के निकट था। मैं लड़खड़ाते हुए अपने कमरे में पहुँचा, सोफे पर लेटा और फिर कुछ बहुत अजीब सा हुआ, कुछ ऐसा जिसने  सब कुछ बदल दिया जिस पर मैं उस समय तक यकीन किया करता था। मैंने सचमुच में अपना शरीर त्याग दिया था और कमरे की दूसरी ओर छत से समानांतर हवा में लटका था और अपने शरीर को देख रहा था। यह कोई दर्शन या स्वपन नहीं था। यह सच्चाई थी। मेरा शरीर सोफे पर था लेकिन मैं उस में नहीं था। मैं परमेश्वर   को पुकारने लगा कि वह मुझ पर दया करें। इस समय तक मै पूर्ण तरह से नास्तिक था जिसके कोई मसीह सम्बंधी मित्र नहीं थे।  मैं सोचता था मैं परमेश्वर में  विश्वास नहीं करता लेकिन अचानक से मैं ऐसे प्रार्थना कर रहा था जैसे कि यही मेरे लिए एक आखरी उपाय हो।
मेरा ऐसा विश्वास था कि मृत्यु ही अन्त है। लेकिन एकदम से मेरी धार्मिक धारणायें बदल गईं- मैं ऐसे ईश्वर को पुकार रहा था जिसमें मैं विश्वास नहीं करता था। मैंने उससे वादा किया कि यदि वह मुझे जीने देगा तो मैं अपना जीवन उसे दे दुँगा। वह जो भी मुझसे चाहेगा मैं करूँगा। जीवन बहुत बेशकीमती हो गया क्योंकि मैं निश्चित तौर पर नहीं जानता था कि मैं कहाँ जाऊंगा यदि यह आखिरी अनुभव मेरे लिए आखिरी अनुभव था।

 

अचानक से वह अनुभव खत्म हो गया और मै परमेश्वर के अनुग्रह से जीवित अपने शरीर में लौट आया।
 शुरुआती प्रश्न:-  क्या आपने कभी मृत्यु के निकट का अनुभव किया या आपको किसी करीबी जन को अलविदा कहना पड़ा? एक  दूसरे के साथ अपना अनुभव बांटे।
 मृत्यु के साथ मेरा सामना मेरे जीवन की दिशा बदलने वाला अनुभव था। हालांकि  मैंने अपना जीवन मसीह को देने का वादा किया था। परमेश्वर कौन था या उसे कैसे ढूंढे इस विषय में बिल्कुल समझ न होने के कारण अगले दिन मै अपनी प्रतिज्ञा से पीछे हट गया। उस समय जो कुछ मैं जानता था या विश्वास करता था वह था कि इस  उपग्रह पर जीवन  से भी बढ़कर कुछ और था। मैं इस बात को जान गया था कि जीवन केवल इस मांस की देह तक सीमित नहीं है। मुझे मृत्यु के बाद जीवन में रुचि होने लगी यह समझने की कोशिश करते हुए की मृत्यु के पश्चात क्या होता है। मुझे ध्यान है कि मैं एक अध्यात्मवादी कलीसिया में गया, यह जानने के लिए कि वह क्या विश्वास करते थे लेकिन मैं वहां अंदर न जा सका। यह इस प्रकार से था जैसे कि दरवाजे के विरोध में कोई अदृश्य रुकावट है और हर बार में भीतर जाने का प्रयत्न करता मेरा हृदय तेजी से धड़कने लगता और मैं अंदर प्रवेश नहीं कर पाता। मुझे अध्यात्मवादी और तंत्र-मंत्र  से बचाने में  परमेश्वर बहुत विश्वास योग्य था।
जब मैं समझ के लिए उस खोज पर था मुझे एक पुस्तक मिली जो उस  डॉक्टर द्वारा लिखी गई थी जो अपने कुछ मरीजों को मृत्यु के निकट के अनुभवों से वापस ले आया था। पुस्तक का नाम था  जीवन के पश्चात जीवन  (Life after death ) जो कि  रेमण्ड ए. मूडी एम. डी द्वारा लिखी गई थी। १९७० के दौरान होश में लाने  के बहुत से नए यंत्र बहुत ज्यादा उपलब्ध होने लगे जिससे बहुत से लोग उन दुर्घटनाओं से भी बचने लगे जो सामान्य रूप से घातक साबित होते। उनके कुछ मरीजों ने उन्हें अपनी मृत्यु के निकट के अनुभव बताए। इन मरीजों ने जो बाँटा उस से डॉक्टर मूडी बहुत उत्साहित  होकर दूसरे डॉक्टरों से बातचीत करने लगे और उन्होंने उन लोगों की एक फाइल बनाई जो मर गए थे और होश में लाए जाने के बाद जीवित हो गए। उन लोगों की बहुत सी रोचक कहानियां उनकी पुस्तक में लिखी हुई हैं। इन १५० लोगों के वर्णनों में एक ध्यान देने वाली समानता है। इंसान विवरणों के आधार पर उन्होंने एक ठेठ  सिद्धांतों वाली तस्वीर पेश की, इस बारे में कि कोई मृत्यु के निकट क्या अनुभव करेगा:
 एक मनुष्य मर रहा है और जैसे ही वह अधिकतम शारीरिक पीड़ा के निकट पहुंचता है वह सुनता है कि उसके डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया है। वह तकलीफदेह शोर सुनने लगता है, वह बहुत तेज घंटी बजने की, और एक लंबी अंधेरी से जाते हुए महसूस करता है। इसके बाद, वह अचानक से अपने आप को अपनी शारीरिक देह से बाहर पाता है लेकिन फिर भी अपने आसपास के भौतिक वातावरण को और वह खुद के शरीर को दूर से ऐसे देखता है जैसे वह एक दर्शक हो। वह इस आसाधारण खास जगह से अपने आप को होश में लाने की प्रक्रिया को देखता है और बहुत ही भावनात्मक संकट की दशा में होता है।
कुछ देर बाद अपने आप को संभालता है और अपनी विचित्र सी दशा का और आदि हो जाता है। वह ध्यान देता है कि उसके पास अभी भी शरीर है लेकिन जो शारिरीक देह उसने पीछे छोड़ी है उससे बहुत अलग स्वभाव और बहुत ही अलग ताकतों के साथ। जल्द ही कुछ और बातें होने लगती हैं।  दूसरे जन उससे मिलने और उसकी मदद करने को आते हैं। वह  उन रिश्तेदारों और मित्रों की आत्मा को देख पाता है जो पहले मर चुके हैं। और एक प्रेम और स्नेह से भरपूर आत्मा जिसका सामना उसने पहले कभी नहीं किया जो ज्योति का स्वरूप है उसके सामने आता है। यह स्वरूप बिना बोले उससे एक सवाल पूछता है कि वह अपना जीवन जांचे और उसके जीवन में गुजरी मुख्य घटनाओं की झलक दिखा कर उसकी मदद करता है। किसी स्थान पर वह अपने आप को किसी तरह के अवरोध या सीमा की तरफ बढ़ता हुआ पाता है। जो स्पष्ट तौर पर सांसारिक जीवन और अगले जीवन के बीच की सीमा को दर्शाता है। फिर भी, उसे लगता है कि उसे वापस पृथ्वी पर जाना चाहिए क्योंकि उसकी मृत्यु का समय अभी तक नहीं आया। इस समय पर वह रुकने की कोशिश करता है और वापस लौटना नहीं चाहता। वह आनंद, प्रेम और शांति की महान भावनाओं से सराबोर महसूस करता है। अपने आचरण के बावजूद वह किसी तरह अपनी शारीरिक देह से मिल जाता है और जीता है।
बाद में वह दूसरों को बताने की कोशिश करता है पर ऐसा करने में उसे तकलीफ होती है। पहले तो उसे पर्याप्त मानव्य शब्द नहीं मिलते इन असांसारिक घटनाओं को बताने के लिए। वह यह भी पाता है कि दूसरे लोग ठट्टा करते हैं तो वह औरों को बताना बंद कर देता है। फिर भी यह अनुभव उसके जीवन पर बहुत असर डालता है, विशेषकर उसकी मृत्यु के बारे में सोच और जीवन के साथ उसके संबंध पर।
मैं नहीं जानता कि जिस समय रेमंण्ड मूडी यह पुस्तक लिख रहे थे वह एक मसीही थे या फिर उनका कोई दूसरे आत्मिक विश्वास था। वह इस बात को स्पष्ट नहीं करते कि वह सारे लोग जिन्होंने यह अनुभव बनाए थे विश्वासी थे या नहीं। उनमें से कुछ थे, परंतु उनकी पुस्तक के पीछे यह वजह नहीं थी। यह  पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मृत्यु के अनुभव को देखना था।
हाँ,  हमें जीवन के पश्चात के विषय में पुस्तकों को  संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए क्योंकि यीशु ने हमें बताया कि अंत के दिनों में बहुत से झूठे भविष्यवक्ता दिखाई देंगे। (मत्ती २४:-११)-१९९२ में  बेट्टी एडी दावा करती हैं कि उन्हें शरीर से बाहर का अनुभव हुआ और उदाहरण के लिए अपनी पुस्तक  ‘एम्ब्रेस्ड बाए द लाईट’  में  वह दावा करती है कि उन्हें बताया गया कि हवा परीक्षा में नहीं पड़ी थी  परंतु उसने  परमेश्वर के समान बनने के लिए जानबूझकर यह निर्णय लिया। फिर,  एक पुस्तक है  "हेवन इज फॉर रियल" वज्लेयन  पासवान टोड बुर्पो हमें अपने बेटे कोल्टन के स्वर्ग जानें और वहां से वापसी की यात्रा के बारे में बताता है। वह दावा करता है कि परमेश्वर हमें जिबराईल  की तरह दिखाई देता है- बस और बड़ा, नीली आंखें, पीले बाल और बहुत बड़े पंखों के साथ, यीशु जिसकी आंखें समुद्री हरी-नीली हैं, भूरे बाल, कोई पंख नहीं लेकिन एक इंद्रधनुषी रंग के घोड़े के साथ और  पवित्र आत्मा जो नीले रंग का है  लेकिन मुश्किल से दिखाई देता है। मसीह होने के साथ हमें इस तरह के दावों को सच नहीं मान लेना चाहिए।
 व्यक्तिगत तौर पर मैं इस प्रकार की पुस्तकें नहीं  पढ़ता क्योकिं परदे कि दूसरी ओर जब मैं वचन में पढ़ता हूं कि लोग यीशु को  देखते थे तो जो उसे देखते हैं वे आदर से भर जाते हैं और मुर्दे  के समान उसके चरणों में गिर जाते हैं। ऐसा ही अनुभव प्रकाशितवाक्य की पुस्तक, अध्याय १, पद सत्रह में प्रेरित यहुन्ना का था।  केवल बाइबल ही वह पुस्तक है जिस पर  अनंत काल की  बातों के लिए हम भरोसा कर सकते हैं। जो वचन  में स्पष्ट है वह मैं आपको सिखाने की कोशिश करूंगा।

 

अनन्त्ता  का विषय हमारे लिए समझने के लिए बहुत विशेष है क्योंकि हमारे प्राणों का बैरी घबराहट उत्पन्न करने के लिए मृत्यु के भय का इस्तेमाल करता है जिससे कि हमारे चुनाव करने के निर्णय पर असर पड़े। मसीह का परिपक्व शिष्य होना इस बात पर निर्भर करता है कि आप आधारभूत वचन आधारित सच्चाईयों को ग्रहण करें जो आपके मसीही जीवन के आरंभ में ही डाली जानी चाहिए। उसमें से दो आधारभूत सच्चाई हैं जिसकी आशा हम करते हैं कि आप अपने जीवन में अपनाएंगे, उसके परिणाम स्वरूप, जो आप अगले कुछ हफ्तों में सीखेंगे इस प्रकार से हैं:
१.इसलिए आओ मसीह की शिक्षा की आरंभ की बातों को छोड़कर, हम सिद्धता की ओर आगे बढ़ते जाएं, और मरे हुए कामों से मन फिराने, और परमेश्वर पर विश्वास करने।
२.  और बपतिस्मा और हाथ रखने, और मरे हुओं  के जी उठने, और अंतिम न्याय की शिक्षा रूपी नेव, फिर से न डालें। (इब्रानियों ६: १-२) (जोर मैने दिया है)
जो आपने सीखा है यदि उसे आप लागू करेंगे उन्हें गंभीरता से लेंगे तो यह आरंभिक शिक्षाएं आपकी मदद करेंगी  कि आप मसीह में परिपक्व हो जाएं  कुछ बातें जो हम देखेंगे मुश्किल होंगी क्योंकि हम देखेंगे कि यीशु  ने नर्क और स्वर्ग के बारे में क्या सिखाया। यीशु ने जीवन के पश्चात की ओर बहुत संकेत किया इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि जो उसने सिखाया हम उसके बारे में पूरी समझ प्राप्त कर सकें ताकि हम अपने आपको उस दिन के लिए तैयार कर सकें जब हम उसके सम्मुख खड़े होंगे। आज बहुत से लोग इन बातों का जिक्र करने के लिए अनइच्छुक हो गए हैं क्योंकि हम ऐसे संस्कृति में रह रहे हैं जहां भौतिकवाद राज करता है। केवल वह चीजें जिन्हें हम छू और देख सकते हैं सच मानी जाती हैं, और हर वह चीज संदेह से देखी जाती है जो तोली, मापी, छुई या देखी नहीं जा सकती। जो हम देख नहीं सकते उसमें विश्वास कैसे कर सकते हैं? यीशु ने अपना जीवन बिल्कुल अलग रीति से जिया। वह  हमें चुनौती देता है कि हम अपनी आत्मिक आंखों को खोलें और जो जीवन आने वाला है उस में छिपे खजाने को देखें  यदि हम स्पष्ट रीति से देख सकें और शक की परछाई से आगे जान लें  कि हम इस जीवन को आने वाले जीवन की तैयारी के लिए जी रहे हैं तो यह जीवन हमारे निर्णय को बिल्कुल से बदल देगा। हम बुद्धिमान होंगे यदि हम अभी इन बातों पर ध्यान दें जब हमारे पास समय है फर्क लाने का, न केवल अपने जीवनों के लिए परंतु उनके लिए भी जो हमारे आसपास है। यह जीवन काफी समय तक बना रहता है लेकिन  अनंत काल की तुलना में एक क्षण है और जैसे स्टीफन हॉकिंग ने एक बार कहा " अनंत काल एक बहुत ही लंबा समय है, विशेषकर अंत की ओर"
१. इस मृत्यु के निकट के अनुभवों के बारे में जो आपने   पढ़ा उस विषय में कौन सी बात आपका ध्यान खींचती है?
२. आप क्या सोचते हैं कि आपका जीवन कैसे बदल जाता यदि आप का मृत्यु के निकट का इस तरह का अनुभव करते और आपको अनुमति दी जाती है कि आप अपना शेष जीवन जी लें?

 

क्या बाइबल सिखाती है कि प्राण सोता है?

कुछ लोग विश्वास करते हैं कि जब एक मसीही मरता है तो उसका प्राण सो जाता है और वह तब तक बेसुध रहता है जब तक यीशु कलीसिया के रैपचर के लिए उसे लेने न आए। बाइबिल में कुछ ऐसे भाग हैं जहां यीशु  एक मसीही जन की मृत्यु को  नींद’  बताता है। लाजर  के संदर्भ में मसीह ने उसे मरे हुए में से जिलाया तो कब्र की ओर जाने से पहले जानबूझकर 2 दिन और ठहर गया। (यहुन्ना ११:६) क्या आपने कभी सोचा है कि इससे पहले कि वह यरूशलम की यात्रा पर, लाजर को जिलाने के लिए जाए यीशु क्यों ठहर गया? यहूदियों की एक प्रथा थी की एक व्यक्ति का प्राण मरने के तीन दिन बाद तक भी शरीर के आसपास रह सकता था। यीशु  जानबूझकर ठहरा रहा ताकि  वह संदेश करने वालों को यह साबित कर सके कि उसके पास मृत्यु  के ऊपर अधिकार है। लाजर कब्र में सो नहीं रहा था, वह मर गया था।

11. उसने यह बातें कहीं, इसके बाद उनसे कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परंतु मैं उसे जगाने जाता हूं। 12. तब चेलों ने उस से कहा, हे प्रभु, यदि वह सो गया है,  तो बच जाएगा। 13. यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था: परंतु वह समझे कि उसने नींद में सो जाने के विषय में कहा है। (यहुन्ना ११:११-१३)
25.  यीशु ने उससे कहा, पुनरुत्थान और जीवन में ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जिएगा। 26.  और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है,  वह अनंत काल तक न मरेगा,  क्या तू इस बात पर विश्वास करती है? (यहुन्ना ११:२५-२६)

"सो रहेका इस्तेमाल मृत्यु की जगह भी किया था जब उसने यायरस की पुत्री को मरे हुए में से जीवित किया।

49.  वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय  के सरदार के यहां से आकर कहा, तेरी बेटी मर गई:  गुरु को  दुख न दे। 50.  यीशु ने  सुनकर उसे उत्तर दिया, मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी। 51. घर में आकर उसने पतरस और यहुन्ना और याकूब और लड़की के माता-पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया। 52. और सब उसके लिए रो पीट रहे थे, परंतु उसने कहा; रो मत; वह मरी नहीं परंतु सो रही है। 53. वह यह जानकर, कि मर गई है, उसकी हंसी करने लगे। 54. परंतु उसने उसका हाथ पकड़ा,  और पुकार कर कहा, हे लड़की उठ! 55. तब उसके प्राण फिर आए और वह तुरंत उठी; फिर उसने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने के लिए दिया जाए। 56. उसके माता-पिता चकित हुए, परंतु उसने उन्हें चिताया, की यह जो हुआ है, किसी से न कहना।। ( लुका ८:५९-५६)
३) इस भाग से हम मृत्यु के विषय में क्या सीख सकते हैं? क्या चीजें आपको स्पष्ट दिखाई देती हैं?

 

मसीह में विश्वास करने वाला कभी नहीं मरता। वह अपने शरीर से अलग हो जाता है, एक दशा जिसको यीशु  नींद  कहता है। जब यीशु ने बेटी का हाथ पकड़ा और उसको उठने के लिए कहा तो उसके प्राण लौट आए। वह छोटी लड़की कहां रही थी? उसका शरीर मृत था और प्रभु और उसके तीन शिष्यों के सामने पलंग पर पड़ा था लेकिन वास्तविक जन, उसकी आत्मा कहीं और थी। क्या आप नहीं जानना चाहते कि उसने क्या अनुभव किया? प्रभु यीशु के अनुसार एक व्यक्ति केवल तब तक मृत है जब वह मसीह के साथ संबंध में नहीं आया। (इफिसियों २:१-५)  वचन में आत्मा और प्राण  आपस में दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त होते प्रतीत होते हैं। पुराने नियम में,  (१ राजा १७:१७) एक छोटे लड़के ने सांस लेना बंद कर दिया ( एन. आई वी. अनुवाद) इब्रानी भाषा में,  यह वस्तुतः यह कहता है कि उसके प्राण (इब्रानी) चले गए। उसी भाग में २२ पद में हमें बताया गया कि अहिल्या की प्रार्थना के बाद लड़के का प्राण उसमें  वापस आ गया। जो इब्रानी शब्द प्रयोग किया गया है वह है " नेफ़ेश" जो वस्तुत: यह बताता है कि लड़के का प्राण वापस आ गया।


 हमें बताया गया कि इस क्षण सिद्ध किए हुए धर्मियों  की आत्माएं स्वर्ग में हैं (इब्रानियों १२:२३) और दूसरे स्थान में जब मसीह रैप्चर के समय अपनी कलीसिया के लिए लौटेगा "परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।" ( १ थिस्लुनीकियों ४: १४) उनके शरीर कब्र में थे पर वे स्वंय हमारे स्वभाव का न दिखने वाला भाग, हमारी आत्मा और प्राण,  प्रभु के साथ थे। हम बाद में इस भाग को और नजदीकी से देखेंगे।

जब एक व्यक्ति मसीह के पीछे आना चाहता था लेकिन पहले अपने पिता के अंतिम संस्कार को पूरा करना चाहता था तो यीशु ने कहा, " मेरे पीछे हो ले और मुर्दों को अपने मुर्दे गाड़ने   दे" (मत्ती ८:२२) मृत लोग अंतिम संस्कारों की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते। मसीह जो कह रहा था वह यह था कि जो आत्मिक रीति  से मरा हुआ है वह अपने पिता के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करें। शिष्यों के लिए सबसे अनिवार्य बात यह है  कि वे मृतक के पास उनके मरने से पहले शुभ संदेश लेकर पहुंचा।

जब मैं अपनी गाड़ी में बैठता हूं तो जब तक इंजन शुरू न करूं तब तक वह मरी हुई है। जब तक मैं उस गाड़ी को नहीं चलाऊंगा वह चलेगी नहीं। उसी प्रकार से मेरा वास्तविक अस्तित्व आत्मा और प्राण से बना हुआ है जो मेरी देह को चलाता है। वास्तविक मनुष्य मृत्यु से आगे जीता है। जीवन में बस इस मांस की देह से बढ़कर भी बहुत कुछ है।

अंतिम संस्कार में हम कुछ दफनाते हैं, किसी को नहीं। वह एक किराएदार नहीं परंतु एक घर है जिसे कब्र में उतारा जाता है। वेरना राईट

1.क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारे पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परंतु चिरस्थाई है। (२ कुरिन्थियों ५:१)

कई वर्ष पहले क्रिस्टीन नामक, हमारी एक गर्भवती मित्र, इजराइल में रहती थी वह एक गैर यहूदी थी उनका गर्भपात हो गया और बहुत खून बहने के कारण वह अपने ही खून के तालाब में लथपथ मर गई। जैसे ही उनकी आत्मा ने उनका शरीर छोड़ा वह एकदम से अपने से पहले मरे हुए परिवारजनों, मित्रों के जाने पहचाने चेहरे देखने लगी। सुकून की महान भावनाओं ने उन्हें भर दिया, वह सब उसके लिए गाने लगे, क्रिस्टीन आपका घर में स्वागत है।" उनके सम्मुख प्रभु यीशु उनका घर में स्वागत करते खड़े थे। उन्होंने उससे कहा कि वह चुनाव कर सकती हैं कि वह वही रहे या फिर वापस लौटा कर और वह कार्य पूरा करें जो परमेश्वर ने उसे करने के लिए दिया था।

उस क्षण उन्होंने अपने पीछे अपने पति की आवाज सुनी जो तभी उस कमरे में आए थे जहां उनका शव पड़ा था। उन्होंने उनकी नाड़ी जाँची और वह देख सकते थे कि   क्रिस्टीन पहले ही गुजर चुकी थी। वह बहुत ही पीड़ा से होकर प्रभु को पुकारने लगा प्रभु से मांगते हुए कि उसकी पत्नी को वापस भेज दे। क्रिस्टीन ने मुझे बताया कि उसे याद नहीं कि उसने वापस लौटने का निर्णय लिया था या नहीं लेकिन उसी क्षण वह अपने शरीर में लौट आई, उन्होंने अपनी आंखें खोली और अपने पति से कहा कि वह डरे नहीं परंतु उसे अस्पताल लेकर जाए। जब वे दोनों अस्पताल पहुंचे तब नर्सों और डॉक्टरों ने उनको खून चढ़ाया और आपस में इस बात पर आश्चर्य करते हुए की जितनी खून की कमी हुई थी उसके कारण से वह कैसे नहीं मरी। प्रभु बहुत अनुग्रह में आया था और उन्हें और अधिक साल दिए थे इसराइल में अपना काम पूरा करने के लिए। उन्होंने येरुशलम व इसराइल में बहुत आश्चर्य कर्म देखे हैं इस दौरान वह अपना पूरा जीवन इस्रायली लोगों की  सेवा करते हुए जीती हैं।
४) क्या आप को अपने जीवन में ऐसा समय याद है जब यह संभव है कि आपको अलौकिक मदद मिली ऐसी दुर्घटना से बचने के लिए जिसके परिणाम स्वरूप आपकी मृत्यु हो सकती थी?

15. यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है। (भजन संहिता ११६: १५)

यहोवा के भक्तों (उसके प्रियजन) की मृत्यु उसकी दृष्टि में अनमोल (खास और कीमती बात) है (भजन संहिता ११६:१५)

५) परमेश्वर अपने लोगों की मृत्यु पर प्रसन्न क्यों होगा, वे लोग जिन्होंने अपना जीवन उस को सौंप दिया है?

 परमेश्वर हमारी मृत्यु पर कैसे खुश हो सकता यदि जो कुछ होता है वह है केवल सो जाना? यदि हम मृत्यु के  समय बेसुध होते हैं तो यीशु ने क्रूस पर कुकर्मी/चोर से ये बातें क्यों कहीं? (उसने उससे कहा, मैं तुझसे सच कहता हूं ; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।। (लूका २३:४३) उसने यह नहीं कहा, समय के अंत में एक अच्छी नींद सो लेने के बाद तुम मेरे साथ  स्वर्ग लोक में होगे। यह स्पष्ट है कि यीशु सिखा रहा था कि दिन के अंत होने से पहले वह मनुष्य जीवित होगा और यीशु के साथ स्वर्ग लोक में होगा।

जो बहुत अच्छे नहीं हैं क्या उनके लिए कोई बीच का स्थान है?

 

बाइबल क्यों एक माध्यम स्थान परगेटोरी  के विषय में बिल्कुल चुप है?

 

कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार परगेटोरी उन लोगों के लिए कुछ समय की सजा का स्थान या दशा है, जो परमेश्वर के अनुग्रह से इस जीवन से जा रहे हैं लेकिन अपनी गलतियों से पूरी तरह आजाद नहीं है या  उन्होंने पूरा दाम नहीं चुकाया, संक्षेप में कैथोलिक थियोलॉजी में पर्गटोरी वह स्थान है जहां एक मसीह जन की आत्मा जाती है उन पापों से शुद्ध होने के लिए जिनको जीवन में संपूर्णता से दाम नहीं दिया गया। क्या यह पर्गटोरी की शिक्षा बाइबल से मेल खाती है? बिल्कुल नहीं।

यीशु हम सब के पापों का दाम चुकाने के लिए मरा। (रोमियों ५:८)

याशायह ५३:५ कहता है

5. परंतु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शांति के लिए उस ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।

यीशु ने हमारे पापों के लिए दुख सहा ताकि हम पीड़ा से बचाए जा सकें। यह कहना कि हमें भी अपने पापों के लिए पीड़ा सहनी है का अर्थ है कि यीशु का दुख सहना काफी नहीं था। यह कहना कि पर्गेटोरी में शुद्ध होकर हमें अपने पापों का प्रायश्चित करना यीशु के पाप के लिए  बलिदान का तिरस्कार करना है। (१यहुन्ना २:२)  यह विचार कि हमें मृत्यु के बाद अपने पापों के लिए पीड़ा सहनी है उस हर बात के विरोध में है जो बाइबल उद्धार के बारे में कहती है। क्योकिं उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिए सिद्ध कर दिया है। (इब्रानियों १०:१४)

कभी-कभी लोग जाते हुए दो संसारो को देख पाते हैं।

 कभी-कभी जब लोग मर रहे होते हैं तो उनकी आत्मा अक्सर पृथ्वी और स्वर्ग के बीच में घूमती है जहां वे दोनों दुनिया देख सकते हैं। प्रचारक ड्वाईट एल. मूडी  ने मरने से कुछ घंटों पहले उस महिमा की झलक देखी जो उनके इंतजार में थी।


 हमें बताया गया कि इस क्षण सिद्ध किए हुए धर्मियों  की आत्माएं स्वर्ग में हैं (इब्रानियों १२:२३) और दूसरे स्थान में जब मसीह रैप्चर के समय अपनी कलीसिया के लिए लौटेगा "परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।" ( १ थिस्लुनीकियों ४: १४) उनके शरीर कब्र में थे पर वे स्वंय हमारे स्वभाव का न दिखने वाला भाग, हमारी आत्मा और प्राण,  प्रभु के साथ थे। हम बाद में इस भाग को और नजदीकी से देखेंगे।

जब एक व्यक्ति मसीह के पीछे आना चाहता था लेकिन पहले अपने पिता के अंतिम संस्कार को पूरा करना चाहता था तो यीशु ने कहा, " मेरे पीछे हो ले और मुर्दों को अपने मुर्दे गाड़ने   दे" (मत्ती ८:२२) मृत लोग अंतिम संस्कारों की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते। मसीह जो कह रहा था वह यह था कि जो आत्मिक रीति  से मरा हुआ है वह अपने पिता के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करें। शिष्यों के लिए सबसे अनिवार्य बात यह है  कि वे मृतक के पास उनके मरने से पहले शुभ संदेश लेकर पहुंचा।

जब मैं अपनी गाड़ी में बैठता हूं तो जब तक इंजन शुरू न करूं तब तक वह मरी हुई है। जब तक मैं उस गाड़ी को नहीं चलाऊंगा वह चलेगी नहीं। उसी प्रकार से मेरा वास्तविक अस्तित्व आत्मा और प्राण से बना हुआ है जो मेरी देह को चलाता है। वास्तविक मनुष्य मृत्यु से आगे जीता है। जीवन में बस इस मांस की देह से बढ़कर भी बहुत कुछ है।

अंतिम संस्कार में हम कुछ दफनाते हैं, किसी को नहीं। वह एक किराएदार नहीं परंतु एक घर है जिसे कब्र में उतारा जाता है। वेरना राईट

1.क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारे पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परंतु चिरस्थाई है। (२ कुरिन्थियों ५:१)

कई वर्ष पहले क्रिस्टीन नामक, हमारी एक गर्भवती मित्र, इजराइल में रहती थी वह एक गैर यहूदी थी उनका गर्भपात हो गया और बहुत खून बहने के कारण वह अपने ही खून के तालाब में लथपथ मर गई। जैसे ही उनकी आत्मा ने उनका शरीर छोड़ा वह एकदम से अपने से पहले मरे हुए परिवारजनों, मित्रों के जाने पहचाने चेहरे देखने लगी। सुकून की महान भावनाओं ने उन्हें भर दिया, वह सब उसके लिए गाने लगे, क्रिस्टीन आपका घर में स्वागत है।" उनके सम्मुख प्रभु यीशु उनका घर में स्वागत करते खड़े थे। उन्होंने उससे कहा कि वह चुनाव कर सकती हैं कि वह वही रहे या फिर वापस लौटा कर और वह कार्य पूरा करें जो परमेश्वर ने उसे करने के लिए दिया था।

उस क्षण उन्होंने अपने पीछे अपने पति की आवाज सुनी जो तभी उस कमरे में आए थे जहां उनका शव पड़ा था। उन्होंने उनकी नाड़ी जाँची और वह देख सकते थे कि   क्रिस्टीन पहले ही गुजर चुकी थी। वह बहुत ही पीड़ा से होकर प्रभु को पुकारने लगा प्रभु से मांगते हुए कि उसकी पत्नी को वापस भेज दे। क्रिस्टीन ने मुझे बताया कि उसे याद नहीं कि उसने वापस लौटने का निर्णय लिया था या नहीं लेकिन उसी क्षण वह अपने शरीर में लौट आई, उन्होंने अपनी आंखें खोली और अपने पति से कहा कि वह डरे नहीं परंतु उसे अस्पताल लेकर जाए। जब वे दोनों अस्पताल पहुंचे तब नर्सों और डॉक्टरों ने उनको खून चढ़ाया और आपस में इस बात पर आश्चर्य करते हुए की जितनी खून की कमी हुई थी उसके कारण से वह कैसे नहीं मरी। प्रभु बहुत अनुग्रह में आया था और उन्हें और अधिक साल दिए थे इसराइल में अपना काम पूरा करने के लिए। उन्होंने येरुशलम व इसराइल में बहुत आश्चर्य कर्म देखे हैं इस दौरान वह अपना पूरा जीवन इस्रायली लोगों की  सेवा करते हुए जीती हैं।
४) क्या आप को अपने जीवन में ऐसा समय याद है जब यह संभव है कि आपको अलौकिक मदद मिली ऐसी दुर्घटना से बचने के लिए जिसके परिणाम स्वरूप आपकी मृत्यु हो सकती थी?

15. यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है। (भजन संहिता ११६: १५)

यहोवा के भक्तों (उसके प्रियजन) की मृत्यु उसकी दृष्टि में अनमोल (खास और कीमती बात) है (भजन संहिता ११६:१५)

५) परमेश्वर अपने लोगों की मृत्यु पर प्रसन्न क्यों होगा, वे लोग जिन्होंने अपना जीवन उस को सौंप दिया है?

 परमेश्वर हमारी मृत्यु पर कैसे खुश हो सकता यदि जो कुछ होता है वह है केवल सो जाना? यदि हम मृत्यु के  समय बेसुध होते हैं तो यीशु ने क्रूस पर कुकर्मी/चोर से ये बातें क्यों कहीं? (उसने उससे कहा, मैं तुझसे सच कहता हूं ; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।। (लूका २३:४३) उसने यह नहीं कहा, समय के अंत में एक अच्छी नींद सो लेने के बाद तुम मेरे साथ  स्वर्ग लोक में होगे। यह स्पष्ट है कि यीशु सिखा रहा था कि दिन के अंत होने से पहले वह मनुष्य जीवित होगा और यीशु के साथ स्वर्ग लोक में होगा।

जो बहुत अच्छे नहीं हैं क्या उनके लिए कोई बीच का स्थान है?

 

बाइबल क्यों एक माध्यम स्थान परगेटोरी  के विषय में बिल्कुल चुप है?

 

कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार परगेटोरी उन लोगों के लिए कुछ समय की सजा का स्थान या दशा है, जो परमेश्वर के अनुग्रह से इस जीवन से जा रहे हैं लेकिन अपनी गलतियों से पूरी तरह आजाद नहीं है या  उन्होंने पूरा दाम नहीं चुकाया, संक्षेप में कैथोलिक थियोलॉजी में पर्गटोरी वह स्थान है जहां एक मसीह जन की आत्मा जाती है उन पापों से शुद्ध होने के लिए जिनको जीवन में संपूर्णता से दाम नहीं दिया गया। क्या यह पर्गटोरी की शिक्षा बाइबल से मेल खाती है? बिल्कुल नहीं।

यीशु हम सब के पापों का दाम चुकाने के लिए मरा। (रोमियों ५:८)

याशायह ५३:५ कहता है

5. परंतु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शांति के लिए उस ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।

यीशु ने हमारे पापों के लिए दुख सहा ताकि हम पीड़ा से बचाए जा सकें। यह कहना कि हमें भी अपने पापों के लिए पीड़ा सहनी है का अर्थ है कि यीशु का दुख सहना काफी नहीं था। यह कहना कि पर्गेटोरी में शुद्ध होकर हमें अपने पापों का प्रायश्चित करना यीशु के पाप के लिए  बलिदान का तिरस्कार करना है। (१यहुन्ना २:२)  यह विचार कि हमें मृत्यु के बाद अपने पापों के लिए पीड़ा सहनी है उस हर बात के विरोध में है जो बाइबल उद्धार के बारे में कहती है। क्योकिं उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिए सिद्ध कर दिया है। (इब्रानियों १०:१४)

कभी-कभी लोग जाते हुए दो संसारो को देख पाते हैं।

 कभी-कभी जब लोग मर रहे होते हैं तो उनकी आत्मा अक्सर पृथ्वी और स्वर्ग के बीच में घूमती है जहां वे दोनों दुनिया देख सकते हैं। प्रचारक ड्वाईट एल. मूडी  ने मरने से कुछ घंटों पहले उस महिमा की झलक देखी जो उनके इंतजार में थी।

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And this gospel of the kingdom will be proclaimed throughout the whole world as a testimony to all nations, and then the end will come.
Matthew 24:14

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