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4. Preparing for Eternity
4. अनन्तकाल के लिए तैयारी
अपने विषय अध्ययन में हमने देखा कि एक व्यक्ति मृत्यु के समय क्या अनुभव करता है। यह एक ऐसा विषय है जिससे अधिकांश लोग बचना चाहते हैं। जे. करबी एंडरसन ने इसको सही पहचाना जब उन्होंने कहा "सारे मानवीय क्रिया-कलापों में मृत्यु सबसे अधिक व्यापक/सार्वभौमक और जनतंत्र वादी है। यह आयु, श्रेणी, धार्मिक विश्वासों या रंग की जरा भी परवाह किए बगैर किसी भी क्षण लोगों पर घात करती है।" मृत्यु की सफलता दर १०० प्रतिशत है, लेकिन फिर भी अधिकांश लोग इस विषय में बातचीत करना या सोचना नहीं चाहते हैं। वुडी ऐलेन के इस कथन का लोग अक्सर हवाला देते हैं, "मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूं। बस में मौत के समय वहां मौजूद होना नहीं चाहता।" चाहे हम इससे कितना भी बचने की कोशिश करें, मृत्यु दूर नहीं। हम सबको बिना अपवाद के इसका सामना करना ही है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास कितना पैसा है या कितना इंश्योरेंस (बीमा) है। यह बस समय की बात है। हम में से कोई नहीं जानता कि हमारे लिए आगे और कितना समय है। ध्यान देने वाली बात यह है कि हालांकि हम यह जानते हैं कि हम इससे बच नहीं सकते, हम में से बहुत से इस बारे में सोचने से बचने के लिए कुछ भी करेंगे और बहुत से लोग इसके लिए तैयारी करने की कोशिश भी नहीं करेंगे। बौस्टन ग्लोब में एक लेख ने कुछ समय पहले उस वर्ष में मरने वाले जाने-माने लोगों की सूची तैयार की यह कहते हुए, कि वह एक बड़ी बहुमत से साथ जुड़ने के लिए चले गए हैं। हम कह सकते हैं कि मृत्यु बहुत बड़ी निश्चिता है और वे जो मर चुके हैं भारी बहुमत में हैं।
एक कब्र पर इस प्रकार से लिखा था, "राह से गुजरने वालों ठहरो, जैसे तुम अब हो वैसे ही, एक समय में मैं भी था, जैसा मैं अब हूं वैसा तुम जरूर होंगे, इसलिए मेरे पीछे आने के लिए अपने आपको तैयार करो" एक व्यक्ति ने उसके नीचे गंदी सी लिखाई में लिखा, "मैं तब तक संतुष्ट होकर तुम्हारे पीछे नहीं आ सकता हूं जब तक यह न जानू कि तुम किस राह गए थे।" यह जानना जरूरी है कि मृत्यु पर कोई व्यक्ति कहां जा रहा है लेकिन जब हमें सही दिशा दिखाई जाती है तो हमें उसके लिए अपने आपको तैयार करना चाहिए।
जब हम इंग्लैंड में रह रहे थे तो मेरी पत्नी सैन्डी और मैं उनके पिता माता-पिता को छुट्टियों में स्कॉटलैंड ले गए। अंधेरा होने से पहले एक शाम हम होटल की तलाश कर रहे थे। हम एक काले रंग के मजबूत लोहे के गेट के पास से गुजरे जिसके ऊपर लिखा था ‘ब्लैक बैरोनी होटल’ क्योंकि हम गेट से इमारत को नहीं देख सकते थे इसलिए हमने सोचा कि जाकर उसे देखा जाए। सांझ का समय था और उस मजबूत लोहे के गेट को देखकर हम चारों आपस में यह मजाक करने लगे कि हम डर के किले में जा रहे थे और शायद वह भूतिया महल होगा। सड़क पेड़ों के बीच में घूम के जा रही थी इसलिए हमें और समय मिल गया यह कल्पना करने का, कि वह जगह किस प्रकार की होगी। हम सोच रहे थे कि शायद उनके पास एक पुराना सेवक होगा जिसको देख ऐसा प्रतीत होगा कि उसके पैर कब्र में लटके हैं। मैं सोच रहा था कि शायद कोई ऐसा ही भूतहा चेहरा दरवाजे पर हमारा स्वागत करेगा। जब हम पेड़ों के बीच से निकलकर आए तो सचमुच में वह एक महल था- एक बहुत बड़ा महल जिसके पार्किंग स्थल में एक भी कार नहीं थी। जैसे ही हम कार से बाहर आए, एक बहुत कुबड़ा व्यक्ति हमारे पास आया। उसके पास सचमुच में एक भटकती हुई आँख थी। और ऊपर से, दरवाजे के ऊपर बड़े अक्षरों में यह शब्द लिखे थे, "अपने परमेश्वर से मिलने के लिए तैयार हो जाओ, " आमोस ४:१२, वचन में दिए गए शब्द। आगे यह और भी रोचक हो गया। जो व्यक्ति हमें दरवाजे पर मिला उसने हमें बताया कि उस रात होटल में केवल हम लोग ही ठहरे थे, दूसरे ७५ कमरे खाली थे। पता चला कि उनके पास एक पर्यटकों की पार्टी ने आना था जिन्होंने आखिरी क्षण में बुकिंग रद्द कर दी थी। उस दिन सैंन्डी और मै ठाठ-बाट से एक आलीशान राजसी बिस्तर पर सोए जिसमें एक बार किंग जेम्स सोए थे। (जी हां वही किंग जेम्स जिन्होंने किंग जेम्स बाइबल का अनुवाद करवाया था)। होटल की शोहरत के लिए यह एक दावा था। यह पलंग आरामदेह नहीं था उसके बीचों बीच गहरा गड्ढा था। मैं निश्चिंत हूं कि यह वही गद्दा नहीं रहा होगा लेकिन ऐसा लगता था कि १६०० ईसवी के समय से वह वहां था। हमें बाद में पता चला कि दरवाजे के ऊपर लिखा बाइबल पद उन सैनिकों के लिए था जो उस होटल में तब ठहरे थे जब वे युद्ध में जाने का परीक्षण में ले रहे थे, ताकि युद्ध में मारे जाने की स्थिति में वह अनंतता का सामना कर सके। यह अच्छी बात है कि हम अभी तैयारी करें ताकि उस दिन हम परमेश्वर से मिल सकें। वह संकेत मेरे मन में बस गया, "अपने परमेश्वर से मिलने के लिए तैयार हो जाओ"। इस अध्ययन में, हम मृत्यु और न्याय की तैयारी की ओर देखेंगे और यह कि कैसे वह हम सब पर असर डालेगी। हम उस समय के बारे में सोचना नहीं चाहेंगे लेकिन वचन बताता है कि हम सब को अपने जीवन के अंत में हिसाब देना होगा जब परमेश्वर यह निर्धारित करेगा कि हमारा समय आ चुका है।
27. और जैसे मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है। ( इब्रानियों ९:२७)
१२. सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना-अपना लेखा देगा।। (रोमियो १४:१२)
अड़त्तीस साल के मेरे बाइबल को गहराई से अध्ययन करने से मैं इस निर्णय पर पहुंचा कि परमेश्वर के वचन में तीन प्रकार के न्याय के बारे में बताया गया है। पहला जिसका जिक्र ऊपर दिए भाग में किया गया है वह तब होता है जब हम दुनिया से जाते हैं। यह न्याय इस विषय में है एक व्यक्ति ने अपने पाप के लिए जो क्षमा का मुफ्त वरदान उसे मिला है उसका क्या किया है। मसीह में जो विश्वासी है, उसका न्याय उसके पापों के अनुसार नहीं होगा। उसमें वह बहुत सुरक्षित है। वह लोग जिन्होंने जीवन रखते हुए अपना भरोसा क्रूस पर उद्धाकर्ता के पूरे कार्य पर रखा है उनकी आत्मा प्रभु के पास जाती और मसीह के दूसरे आगमन पर यीशु के साथ लौटेगी। "उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यवाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिल था, निश्चिन्त न रह।" (१ तीमुथियुस ४:१४) जब उन्होंने मसीह में विश्वास किया और भरोसा रखा तो उनके मन की गहराई में कुछ हुआ- वे मृत्यु की दशा और शैतानी बन्धुवाई से निकलकर अनन्तजीवन की ओर गए जो उसके लिए रखा गया है।
२४. मैं तुमसे सच-सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनंतजीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है। (यहुन्ना ५:२४-जोर मैंने दिया है। )
जैसा हम ने पिछले सप्ताह कहा, विश्वासी जन अपनी शारीरिक देश से अलग होता है परंतु वह बिल्कुल जीवित और मसीह के साथ होता है। जब यीशु आता है और रैप्चर और पुनरुत्थान होता है, तो विश्वासी को एक देह दी जाती है, एक महिमामय देह जिसके ऊपर आदम से प्राप्त पापी स्वभाव का कोई राज नहीं है। हम बाद के अध्ययन में पुनरुत्थ हुई देह के विषय में देखेंगे कि वह क्या है।
दूसरा न्याय मसीह के लौटने पर होता है और न्याय विश्वासियों के पुरस्कार के रुप में है। इसको मसीह की न्याय की कुर्सी कहते हैं। तीसरे न्याय उसके विषय में यह है कि जिन्होंने परमेश्वर की मुफ्त क्षमा की भेंट को ठुकरा दिया है। इस न्याय को महान श्वेत सिहासन का न्याय कहा जाता है जहां उन सब को आग की झील में डाला जाएगा जिन्होंने स्वयं की और शैतान की सेवा की है। (प्रकाशितवाक्य २०:१३-१५) आज हम अपना अधिकांश अध्ययन इस बात पर केंद्रित करेंगे कि हम मसीह के होने के कारण मसीह के न्याय सिहासन के लिए अपने आपको तैयार करें।
मसीह की न्याय की कुर्सी का न्याय
मसीह के दूसरे आगमन पर, पृथ्वी पर सारा विद्रोह समाप्त करने के बाद, वह न्याय के स्थान पर अपनी कुर्सी पर बैठेगा, जहां प्रभु स्वंय बैठेगा और न्याय करेगा।
२२. और पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परंतु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है। (यहुन्ना ५:२२)
२७. मनुष्य का पुत्र अपन स्वर्गदतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा। (मत्ती १६:२७)
९. इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहे, चाहे अलग रहे पर हम उसे भाते रहें।
१०. क्योंकि अवश्य है, कि हम सब एक हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने-अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने अपने देह के द्वारा किए हों पाएं ।। (२ कुरिन्थियों ५: ८-१० )
१) विश्वासियों का यह बेमा आसन किस विषय में होगा? आप क्या समझते हैं? यह न्याय विश्वासी के प्रतिफल के संदर्भ में है कि उसने किस तरह अपने समय, शक्ति, वरदानों, योग्यताओं और धन का प्रयोग किया है। यूनानी शब्द बिमाटॉस का अंग्रेजी में अनुवाद न्याय सिहासन किया गया है। नए नियम की सामान्य यूनानी भाषा में बेमा आसन खेल प्रतिस्पर्धाओं में वह स्थान था जहां पर विजेता खड़े होते थे। सांसारिक व कानूनी संदर्भ में, बेमा शब्द का साहित्यक अर्थ है, (उसका) "पांव धरना"। यह ऊँचा उठा हुआ स्थान एकत्रित होने की जगह को दर्शाता है। मेरा मानना है कि इस स्थान पर, अलग-अलग बातों को लेकर, हम मसीहियों का न्याय किया जाएगा। १. हमारे जीवन में आत्मा का फल कितना है अर्थात मसीह की समानता या चरित्र २. हमने अपने साधनों जैसे कि हमारा समय, शक्ति, योग्यताओं और धन का कैसा इस्तेमाल किया है?
एक लेखक और सम्मेलन के वक्ता जॉन बेवेर अपनी पुस्तक ‘ड्रिविन बाए इंटरनिटी’ में लिखते हैं: कोई भी सीमित अंक को अपरिमित संख्या से भाग दिया जाए या तुलना की जाए तो उसका उत्तर शुन्य होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पृथ्वी पर कितने लंबे समय तक रहते हैं। यहां तक कि अगर आपकी आयु १५० वर्ष की हो फिर भी अनंतकाल की तुलना में विश्वासी होने के नाते जो भी कुछ हम यहां शून्य के समान समय में करते हैं वह तय करेगा कि हम अपना अनंत काल कैसे बिताएंगे। याद रखें, कि हम अनंत काल कहां बताएंगे वह इस बात पर निर्धारित है कि हम यीशु के क्रूस और उसके बचाने वाले अनुग्रह का क्या करते हैं परंतु हम उसके राज्य में अनंत काल के लिए कैसे जिएंगे इस बात पर निर्भर है कि हम यहां विश्वासी के रूप में कैसे जिए।
आगे, अपने अध्ययन में हम मसीह के समान चरित्र के प्रतिफल पर और ध्यान देंगे। लेकिन तभी हम इस बात पर केंद्रित होंगे कि हम अपने जीवन में क्या कर रहे हैं अर्थात हम अपने समय शक्ति, वरदानों, योग्यता और धन का कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
परमेश्वर के राज्य में हमारा निवेश
१०.परमेश्वर के उस अनुग्रह के अनुसार, जो मुझे दिया गया, मैंने बुद्धिमान राजमिस्त्री की नाई नींव डाली, और दूसरा उस पर रद्दा रखता है; परंतु हर एक मनुष्य चौकस रहे कि वह उस पर कैसा रद्दा रखता है। ११.क्योंकि उस नेंव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है कोई दूसरी नेव नहीं डाल सकता। १२.और यदि कोई इस नेव पर सोना या चांदी या बहुमूल्य पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है। १३.तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा; क्योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिए कि वह आग के साथ प्रकट होगा: और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है। १४.जिसका काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजबूती पाएगा।(१ कूरिन्थियों ३:१०-१४)
दसवें पद में पौलुस कहता है कि हममें से हर कोई अपने जीवनों से कुछ बना रहा है। वह हम में से हर एक को स्मरण दिलाता है कि हम चौकसी से निर्माण करें। परमेश्वर के राज्य में सारा परिश्रम मसीह के साथ घनिष्ठ संबंध की नींव पर आधारित है। और दूसरे भले कार्य केवल लकड़ी, भूसा और ठूठ है। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता किए गए कार्यों के पीछे निर्धारित इरादों पर निर्भर है। इस बारे में कई सारी बातें महत्वपूर्ण है, पहली यह कि मसीह के सामने हर विचार और हर कार्य प्रगट किया जाएगा:
१७. कुछ छुपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो। (लूका ९:१७)
१३. और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिससे हमें काम है, उसकी आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपर्दा है।। (इब्रानियों ४:१३)
आगे जॉन बेवेर लिखते हैं:
बहुतों को गलतफहमी है कि उनका सारा भविष्य एक न्याय उनके उद्धार के कारण हटा दिया गया है। सचमुच में यीशु का लहू हमें उन पापों से बचाता है, जो हमें राज्य से दूर कर सकते हैं लेकिन यह हमें इस न्याय से नहीं बचाता कि हमने विश्वासी के रूप में कैसा आचरण रखा, भला या बुरा।
आखिर में सब कुछ प्रगट किया जाएगा। सब कुछ खोल दिया जाएगा। हम जीवन के महान रहस्यों को जान पाएंगे। कुछ भी छिपा नहीं रहेगा। हम केवल नकारात्मक रीति से न सोचे क्योंकि कई सारे करुणा के काम भी है जो हममें से बहुतों ने मनुष्यों के लिए गुप्त में किए हैं परन्तु परमेश्वर ने हमारे हृदय की इच्छा और सोच को देखा है और सबके सामने उसका प्रतिफल देगा। कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो जंगल में किसी जगह चुपचाप से परिश्रम कर रहे हैं और उसका परिश्रम परमेश्वर के लिए बहुत ही मनभावन है। आप में से कुछ ने उदारता और बलिदान के साथ गरीबों के लिए दिया और मनुष्य से गुप्त रहकर केवल परमेश्वर के लिए किया है।
१८. ताकि लोग नहीं परंतु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।। (मत्ती ६:19)
४२. जो कोई इन छोटो में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए, मैं तुमसे सच कहता हूं, वह किसी रीति से अपना प्रतिपल न खोएगा।। (मत्ती १०:४२)
प्रभु हर वह चीज देखता है जो हमने कभी भी उसके लिए की है और उसकी नजर से कुछ नहीं छिपता। वह दिन आएगा जब हम अपनी मीरास पाएंगे जो हमें समय के आरंभ होने से पहले मसीह में दी गई।
३४. तब राजा अपने दाहिने ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है। ३५.क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया, मै परदेसी था, तुमने मुझे अपने घर में ठहराया। ३६. मैं नंगा था, तुमने मुझे कपड़े पहनाए; मैं बीमार था, तुमने मेरी सुधि ली, मैं बंदी गृह में था, तुम मुझसे मिलने आए। ३७. तब धर्मी उसको उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हमने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया? 38. हमने कब तुझे परदेसी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहनाए? ३९. हमने कब तुझे बीमार या बंदी गृह में देखा और तुझसे मिलने आए? 40. तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुमसे सच कहता हूं, कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ भी किया। (मत्ती २५:३४-४०)
आप क्या समझते हैं कि इस बात का क्या अर्थ है जब यीशु कहता है, जो कुछ तुमने मेरे छोटे से छोटे भाइयों के साथ किया वह मेरे साथ किया। "सबसे छोटा कौन है"?
मुझे यह रोचक लगता है कि विश्वासी उन करुणा के कार्यों को भूल गए थे जो उन्होंने किए थे लेकिन परमेश्वर नहीं भूला। उसने दया के हर कार्य का लेखा रखा है और वह मसीह के न्याय सिहासन पर सबके सामने प्रतिफल देगा। वह किस की ओर इशारा करता है जब वह कहता है छोटे से छोटे भाइयों? मैं समझता हूं यह हमारे आसपास के वे लोग हैं जिन पर कम ध्यान दिया जाता है शायद से वे हैं जो खुद अपनी मदद नहीं कर सकते, जो बीमार हैं या जो बंदीगृह में हैं। वह उन के बहुत नजदीक है जो संसार के चीजों में गरीब है, जो हमारे लिए अजनबी है, जो कामों के "धर्म" के बंधन में है। वह हम में से हर एक का इस्तेमाल करना चाहता है कि उन्हें स्वतंत्र करें, उनसे मिलने जाए, उन्हें खिलाए- न सिर्फ रोटी और पानी परंतु जीवन की रोटी भी। (यहुन्ना ६:३५)
मसीह की समानता में होने का पुरस्कार
अनंतकाल के लिए तैयारी केवल यहीं पृथ्वी पर हो सकती है क्योंकि मृत्यु के समय जो हमारा चरित्र रहता है हम उसके साथ अनंतकाल में प्रवेश करते हैं। मेरा मानना है कि स्वर्ग में हमारा ‘पद’ या ‘श्रेणी’ इस बात पर निर्भर करती है कि पृथ्वी पर रहते हुए हमें कितना मसीही का दास स्वरूप अपने जीवन से दर्शाया। अनंतकाल में आप के पुरस्कार का पैमाना यह होगा कि किस हद तक मसीह के चरित्र की छाप आप के जीवन पर जो आप ने पृथ्वी पर जिया है पड़ती है। ‘करैक्टर’ शब्द सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था छापे खाने में कागज पर पड़े अक्षर की छाप को दर्शाने को। परमेश्वर ने अलौकिक रीति से मसीह के स्वभाव और चरित्र की छाप आपके हृदय में छोड़ी है ताकि दूसरे उसे पढ़ सके।
१८. परंतु जब हम सबके उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं।। (२ कुरिन्थियों ३:१8)
जब हम मसीह के पास आते हैं तो हमारी आत्मा को परमेश्वर से अलग होने की मृत दशा से फिर से जीवित किया जाता है। (इफिसियों २:१-५) लेकिन फिर भी हमारे प्राण पर और काम किया जाना बाकी है- हमारे मन में, इच्छा में, विवेक में और भावनाओं में। परमेश्वर हमें अंदर से नया बनाना और बदलना चाहता है जब हम उसके वचन पर मनन करते हैं और उसके आत्मा के प्रति आज्ञाकारी रहते हैं। चरवाहे के भजन में राजा दाऊद ने इस को भली-भांति कहा, "वह मेरे जी में जी ले आता है" (भजन संहिता २३:३) अपनी पहली पत्री में पतरस ने लिखा, क्योंकि तुम अपने विश्वास का प्रतिफल, अपने प्राणों का उद्धार प्राप्त करते हो।" (१ पतरस १:९) हमारे मन, इच्छा और भावनाओं को परमेश्वर के आत्मा के अधिकार तले लाया जाना है। चरित्र हमारे विश्वास का लक्ष्य है। मसीह का कितना चरित्र हम में है उसके आधार पर हम प्रतिफल पाएंगे।
डिक्शनरी.कौम (dictionary.com) चरित्र शब्द को इस तरह से समझाती है: "वह सब बातें जो किसी व्यक्ति या वस्तु के व्यक्तिगत स्वभाव की विशेषता और लक्षण बताती है।" हम अनुभव की गई घटना के द्वारा अपने प्राण और आत्मा में दिन-ब-दिन बदले जाते हैं। जीवन में हर बात हमारे चरित्र की परख है और जीवन के अन्याय के प्रति उसके प्रतिक्रियाओं से मनुष्य के चरित्र को एकदम सही रीति से मापा जा सकता है। प्रतिष्ठा चरित्र नहीं है। प्रतिष्ठा वह है जो मनुष्य सोचता है कि आप है; चरित्र वह है जो परमेश्वर जानता है कि आप है। यदि हम हर परिस्थिति में जिसका हम सामना करते हैं मसीह के आत्मा के प्रति आज्ञाकारिता में प्रत्युत्तर दें तो हम और अधिक मसीह के स्वरूप या समानता में बदले जाते हैं। यदि आप मसीही हैं तो परमेश्वर द्वारा यह पहले से ही निर्धारित किया गया है कि आप यीशु मसीह को दर्शाने वाले जन बने।
२८. और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिए जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
२९. क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान दिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हो ताकि वह बहुत भाइयों में पहलौटा ठहरे। (रोमियो ८:२८-२९- जोर मैंने दिया है)
३) अनंतकाल की तैयारी के लिए आपके जीवन में परमेश्वर ने किन परिस्थितियों का इस्तेमाल किया है कि आपके चरित्र को बनाए और आकारित करें?
परमेश्वर आपको पहले से जानता था और उसने पहले से ठहराया कि आप उसके पुत्र के स्वरूप में हों। हम आसानी से इस भाग से गुजर सकते हैं बिना इस बात की अनिवार्यता को समझे हुए कि आत्मा हमें क्या सिखाना चाहता है। हमारे जीवनों की राह में जो दुर्घटनाएं हुईं हैं उनके लिए हम परमेश्वर को दोष नहीं दे सकते। कई बार यह बातें हमारे अपने ही चुनावों के कारण हुईं हैं। जो परमेश्वर कहता है वह यह है कि हर परिस्थिति को हमारे जीवन में भलाई के लिए इस्तेमाल करेगा यदि हम उसकी शिक्षा और उसकी आत्मा की अगुवाई के लिए तैयार रहेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि परमेश्वर ने आरंभ से ही अनंत को देख लिया है। संसार की सृष्टि से पहले ही हममें से हर एक उसके हृदय में थे। वह आपको पहले से जानता था और उसने पहले से ठहराया कि आप उसके पुत्र की समानता में बनाए और आकारित किए जाएं। "और मेरे सब अंग जो दिन- दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।" (भजन संहिता १३९:१६) मैसेज बाइबल में इस पद का अनुवाद इस प्रकार से है, "एक खुली पुस्तक के समान तूने मुझे गर्व से जन्म तक बडते हुए देखा; मेरे जीवन के सारे चरण तेरे सामने खुले पड़े थे, मेरे जीवन के हर दिन तैयार थे, इससे पहले कि मैं उनमें से एक भी जीता"। संसार में परमेश्वर का कार्य आपको अनंतकाल के लिए तैयार करना है।
दसवें पद में पौलुस कहता है कि हममें से हर कोई अपने जीवनों से कुछ बना रहा है। वह हम में से हर एक को स्मरण दिलाता है कि हम चौकसी से निर्माण करें। परमेश्वर के राज्य में सारा परिश्रम मसीह के साथ घनिष्ठ संबंध की नींव पर आधारित है। और दूसरे भले कार्य केवल लकड़ी, भूसा और ठूठ है। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता किए गए कार्यों के पीछे निर्धारित इरादों पर निर्भर है। इस बारे में कई सारी बातें महत्वपूर्ण है, पहली यह कि मसीह के सामने हर विचार और हर कार्य प्रगट किया जाएगा:
१७. कुछ छुपा नहीं, जो प्रगट न हो; और न कुछ गुप्त है, जो जाना न जाए, और प्रगट न हो। (लूका ९:१७)
१३. और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिससे हमें काम है, उसकी आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपर्दा है।। (इब्रानियों ४:१३)
आगे जॉन बेवेर लिखते हैं:
बहुतों को गलतफहमी है कि उनका सारा भविष्य एक न्याय उनके उद्धार के कारण हटा दिया गया है। सचमुच में यीशु का लहू हमें उन पापों से बचाता है, जो हमें राज्य से दूर कर सकते हैं लेकिन यह हमें इस न्याय से नहीं बचाता कि हमने विश्वासी के रूप में कैसा आचरण रखा, भला या बुरा।
आखिर में सब कुछ प्रगट किया जाएगा। सब कुछ खोल दिया जाएगा। हम जीवन के महान रहस्यों को जान पाएंगे। कुछ भी छिपा नहीं रहेगा। हम केवल नकारात्मक रीति से न सोचे क्योंकि कई सारे करुणा के काम भी है जो हममें से बहुतों ने मनुष्यों के लिए गुप्त में किए हैं परन्तु परमेश्वर ने हमारे हृदय की इच्छा और सोच को देखा है और सबके सामने उसका प्रतिफल देगा। कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो जंगल में किसी जगह चुपचाप से परिश्रम कर रहे हैं और उसका परिश्रम परमेश्वर के लिए बहुत ही मनभावन है। आप में से कुछ ने उदारता और बलिदान के साथ गरीबों के लिए दिया और मनुष्य से गुप्त रहकर केवल परमेश्वर के लिए किया है।
१८. ताकि लोग नहीं परंतु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।। (मत्ती ६:19)
४२. जो कोई इन छोटो में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए, मैं तुमसे सच कहता हूं, वह किसी रीति से अपना प्रतिपल न खोएगा।। (मत्ती १०:४२)
प्रभु हर वह चीज देखता है जो हमने कभी भी उसके लिए की है और उसकी नजर से कुछ नहीं छिपता। वह दिन आएगा जब हम अपनी मीरास पाएंगे जो हमें समय के आरंभ होने से पहले मसीह में दी गई।
३४. तब राजा अपने दाहिने ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है। ३५.क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया, मै परदेसी था, तुमने मुझे अपने घर में ठहराया। ३६. मैं नंगा था, तुमने मुझे कपड़े पहनाए; मैं बीमार था, तुमने मेरी सुधि ली, मैं बंदी गृह में था, तुम मुझसे मिलने आए। ३७. तब धर्मी उसको उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हमने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया? 38. हमने कब तुझे परदेसी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहनाए? ३९. हमने कब तुझे बीमार या बंदी गृह में देखा और तुझसे मिलने आए? 40. तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुमसे सच कहता हूं, कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ भी किया। (मत्ती २५:३४-४०)
आप क्या समझते हैं कि इस बात का क्या अर्थ है जब यीशु कहता है, जो कुछ तुमने मेरे छोटे से छोटे भाइयों के साथ किया वह मेरे साथ किया। "सबसे छोटा कौन है"?
मुझे यह रोचक लगता है कि विश्वासी उन करुणा के कार्यों को भूल गए थे जो उन्होंने किए थे लेकिन परमेश्वर नहीं भूला। उसने दया के हर कार्य का लेखा रखा है और वह मसीह के न्याय सिहासन पर सबके सामने प्रतिफल देगा। वह किस की ओर इशारा करता है जब वह कहता है छोटे से छोटे भाइयों? मैं समझता हूं यह हमारे आसपास के वे लोग हैं जिन पर कम ध्यान दिया जाता है शायद से वे हैं जो खुद अपनी मदद नहीं कर सकते, जो बीमार हैं या जो बंदीगृह में हैं। वह उन के बहुत नजदीक है जो संसार के चीजों में गरीब है, जो हमारे लिए अजनबी है, जो कामों के "धर्म" के बंधन में है। वह हम में से हर एक का इस्तेमाल करना चाहता है कि उन्हें स्वतंत्र करें, उनसे मिलने जाए, उन्हें खिलाए- न सिर्फ रोटी और पानी परंतु जीवन की रोटी भी। (यहुन्ना ६:३५)
मसीह की समानता में होने का पुरस्कार
अनंतकाल के लिए तैयारी केवल यहीं पृथ्वी पर हो सकती है क्योंकि मृत्यु के समय जो हमारा चरित्र रहता है हम उसके साथ अनंतकाल में प्रवेश करते हैं। मेरा मानना है कि स्वर्ग में हमारा ‘पद’ या ‘श्रेणी’ इस बात पर निर्भर करती है कि पृथ्वी पर रहते हुए हमें कितना मसीही का दास स्वरूप अपने जीवन से दर्शाया। अनंतकाल में आप के पुरस्कार का पैमाना यह होगा कि किस हद तक मसीह के चरित्र की छाप आप के जीवन पर जो आप ने पृथ्वी पर जिया है पड़ती है। ‘करैक्टर’ शब्द सबसे पहले इस्तेमाल किया गया था छापे खाने में कागज पर पड़े अक्षर की छाप को दर्शाने को। परमेश्वर ने अलौकिक रीति से मसीह के स्वभाव और चरित्र की छाप आपके हृदय में छोड़ी है ताकि दूसरे उसे पढ़ सके।
१८. परंतु जब हम सबके उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं।। (२ कुरिन्थियों ३:१8)
जब हम मसीह के पास आते हैं तो हमारी आत्मा को परमेश्वर से अलग होने की मृत दशा से फिर से जीवित किया जाता है। (इफिसियों २:१-५) लेकिन फिर भी हमारे प्राण पर और काम किया जाना बाकी है- हमारे मन में, इच्छा में, विवेक में और भावनाओं में। परमेश्वर हमें अंदर से नया बनाना और बदलना चाहता है जब हम उसके वचन पर मनन करते हैं और उसके आत्मा के प्रति आज्ञाकारी रहते हैं। चरवाहे के भजन में राजा दाऊद ने इस को भली-भांति कहा, "वह मेरे जी में जी ले आता है" (भजन संहिता २३:३) अपनी पहली पत्री में पतरस ने लिखा, क्योंकि तुम अपने विश्वास का प्रतिफल, अपने प्राणों का उद्धार प्राप्त करते हो।" (१ पतरस १:९) हमारे मन, इच्छा और भावनाओं को परमेश्वर के आत्मा के अधिकार तले लाया जाना है। चरित्र हमारे विश्वास का लक्ष्य है। मसीह का कितना चरित्र हम में है उसके आधार पर हम प्रतिफल पाएंगे।
डिक्शनरी.कौम (dictionary.com) चरित्र शब्द को इस तरह से समझाती है: "वह सब बातें जो किसी व्यक्ति या वस्तु के व्यक्तिगत स्वभाव की विशेषता और लक्षण बताती है।" हम अनुभव की गई घटना के द्वारा अपने प्राण और आत्मा में दिन-ब-दिन बदले जाते हैं। जीवन में हर बात हमारे चरित्र की परख है और जीवन के अन्याय के प्रति उसके प्रतिक्रियाओं से मनुष्य के चरित्र को एकदम सही रीति से मापा जा सकता है। प्रतिष्ठा चरित्र नहीं है। प्रतिष्ठा वह है जो मनुष्य सोचता है कि आप है; चरित्र वह है जो परमेश्वर जानता है कि आप है। यदि हम हर परिस्थिति में जिसका हम सामना करते हैं मसीह के आत्मा के प्रति आज्ञाकारिता में प्रत्युत्तर दें तो हम और अधिक मसीह के स्वरूप या समानता में बदले जाते हैं। यदि आप मसीही हैं तो परमेश्वर द्वारा यह पहले से ही निर्धारित किया गया है कि आप यीशु मसीह को दर्शाने वाले जन बने।
२८. और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिए जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
२९. क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान दिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हो ताकि वह बहुत भाइयों में पहलौटा ठहरे। (रोमियो ८:२८-२९- जोर मैंने दिया है)
३) अनंतकाल की तैयारी के लिए आपके जीवन में परमेश्वर ने किन परिस्थितियों का इस्तेमाल किया है कि आपके चरित्र को बनाए और आकारित करें?
परमेश्वर आपको पहले से जानता था और उसने पहले से ठहराया कि आप उसके पुत्र के स्वरूप में हों। हम आसानी से इस भाग से गुजर सकते हैं बिना इस बात की अनिवार्यता को समझे हुए कि आत्मा हमें क्या सिखाना चाहता है। हमारे जीवनों की राह में जो दुर्घटनाएं हुईं हैं उनके लिए हम परमेश्वर को दोष नहीं दे सकते। कई बार यह बातें हमारे अपने ही चुनावों के कारण हुईं हैं। जो परमेश्वर कहता है वह यह है कि हर परिस्थिति को हमारे जीवन में भलाई के लिए इस्तेमाल करेगा यदि हम उसकी शिक्षा और उसकी आत्मा की अगुवाई के लिए तैयार रहेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि परमेश्वर ने आरंभ से ही अनंत को देख लिया है। संसार की सृष्टि से पहले ही हममें से हर एक उसके हृदय में थे। वह आपको पहले से जानता था और उसने पहले से ठहराया कि आप उसके पुत्र की समानता में बनाए और आकारित किए जाएं। "और मेरे सब अंग जो दिन- दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।" (भजन संहिता १३९:१६) मैसेज बाइबल में इस पद का अनुवाद इस प्रकार से है, "एक खुली पुस्तक के समान तूने मुझे गर्व से जन्म तक बडते हुए देखा; मेरे जीवन के सारे चरण तेरे सामने खुले पड़े थे, मेरे जीवन के हर दिन तैयार थे, इससे पहले कि मैं उनमें से एक भी जीता"। संसार में परमेश्वर का कार्य आपको अनंतकाल के लिए तैयार करना है।