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5. The Resurrection Body
5. पुनरुत्थान प्राप्त देह
अपने घर वापस आने में कुछ खास बात होती है। जब हम घर से कुछ समय के लिए दूर होते हैं चाहे छुट्टियों के कारण, काम से या फिर और किसी वजह से और फिर लौट कर घर आते हैं एक जाने पहचाने माहौल में तो हम सब एक सुकून अनुभव करते हैं। वहां वही जानी पहचानी आवाजें, महक और तस्वीरें होती हैं। यह बहुत ही आरामदायक अनुभव होता है, घर में होने का अनुभव कुछ संबंधों के विषय में हम यहां तक कहते हैं कि हम किसी व्यक्ति के साथ बहुत ‘सहज’ महसूस करते हैं। हमारे कहने का अर्थ यह है कि उस व्यक्ति के साथ हम बहुत सहज और स्वतंत्र महसूस करते हैं जैसे तब जब अपने घर पर होते हैं। जैसे मै यह लिख रहा हूँ, यह बात मेरे ध्यान में आती है कि आज विश्व भर में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें उनके घरों से जाने को मजबूर किया गया है, कुछ मामलों में परिवारों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया और वह सब छोड़ने के लिए जो उनको बहुत प्रिय है। प्रत्येक जन के पास एक विश्राम का स्थान होना चाहिए, ऐसा स्थान जिसे घर कहा जा सके। इस पृथ्वी को छोड़ने से पहले यह यीशु ने प्रतिज्ञा की थी कि वह हमारे लिए ऐसा स्थान तैयार करने को गया है। एक स्थान जहां हम उसके साथ रहेंगे, एक ऐसा घर जिसके जैसा और कोई घर नहीं। जिस घर को हमने एक जीवन में जाना है, चाहें वह कितना सादा या कितना आलीशान क्यों न हो वह उसकी तुलना में कम ही होगा जो उसने उसके लिए तैयार किया है जो उसके है।
जब मैं एक किशोर था तो ऐवालौन नाम के पानी के जहाज पर बर्तन धोने का काम करता था। जहाज इंग्लैंड से नॉर्थ अफ्रीका जाया करता था, मोरक्को में टैनगीयरस और कासाब्लैंका में रुकते हुआ और साथ ही जिब्राल्टर और स्पेन में ठहरते हुए। तापमान ९० से ऊपर होता था और जहाज वातानुकूलित नहीं था और हम बहुत देर तक काम करते थे। सबसे बेकार बात यह थी कि मैं रसोई में काम कर रहा था जहां जहाज की छत से कहीं ज्यादा गर्म थी। अत्यधिक पसीना बहने के कारण हमें प्रतिदिन नमक की गोलियां लेनी पड़ती थी। मैं बहुत देर तक मेहनत से काम करता था जिसके बाद बहुत देर तक खूब बढ़िया पार्टी होती थी। (इस समय में मै मसीह में विश्वास नहीं करता था।) यात्रा केवल दो सप्ताह की रही लेकिन कठिन काम की वजह से यह बहुत लंबी लगी। मुझे याद है कि जब जहाज वाईट क्लिफ़ ऑफ डोवर, इंग्लैंड से गुजरा तो मैं रो रहा था; घर केवल एक घंटे की दूरी पर था। वह एक खास क्षण था। उस क्षण उस यात्रा पर घर से दूर मेरा समय इतना कठिन था कि मैंने प्रण किया कि मैं फिर से यात्रा नहीं करूंग। (जाहिर है, मैंने उस व्यक्तिगत प्रण का पालन नहीं किया ।)
१) घर वापस लौट कर आने की आप की सबसे पसंदीदा कहानी क्या है? जो समय आप के ध्यान में है उसका वर्णन करें, वह क्या बात थी जिसकी वजह से घर वापस लौटकर आने का अनुभव आपके लिए बेहतरीन रहा?
यह कहानी पुराने मिशनरी जोड़े ‘मॉरीसंस’ की है जो अफ्रीका में मिशनरी के तौर पर मसीह की सेवा करने के बाद अतंत: अमरीका लौट रहे थे उसी जहाज पर टेडी रूसवेल्ट जो उस समय अमरीकी राष्ट्रपति थे, एक अफ्रीकी सफर से लौट रहे थे। जब उनका जहाज तट पर आया तब न्युयोर्क में बैंड बाजा बज रहा था। और प्रदर्शन हो रहा था, लोग टेडी का स्वागत करने के लिए बंदरगाह पर एकत्रित थे। जनता और पत्रकार टेडी को एक झलक देखने के लिए उमड़ पड़े थे। मॉरिसंस निराश थे क्योंकि उन्होंने उस दिन बंदरगाह से निकलते हुए उनक पास बहुत कम पैसे थे जिससे वह केवल एक बहुत छोटा/मामूली घर ले सकते थे। जो स्वागत टेडी रूसवेल्ट को मिला था उसको देखकर हेनरी काफी दुखी थे। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, कुछ तो गड़बड़ है क्योंकि हमने अपने जीवन के ४० साल मसीह की सेवा कार्य में लगा दिए लेकिन किसी ने भी परवाह नहीं की कि बंदरगाह पर आकर हमारा स्वागत करें और हमें घर वापस ले जाएं। उनकी बुद्धिमान पत्नी ने उन्हें इस विषय में परमेश्वर से प्रार्थना करने को कहा। कुछ समय बाद वह अपने चेहरे पर रोशन मुस्कुराहट लेकर लौटे, प्रभु ने उन्हें स्मरण दिलाया था- “हेनरी, अभी भी तुम घर नहीं पहुंचे।)
यदि आप कभी भी इस जीवन में थक जाएं तो आप अपने आप को याद दिलाएं “तुम अभी तक घर नहीं पहुंचे” इसी तरह यदि आप एक सरल जीवन शैली के कारण बेपरवाह हो जाएं और अपने संसाधन और प्रयास इस जीवन के आराम उठाने में लगा दें तो इस बारे में सोचें: जीवन में केवल यही नहीं है। यह आपका अनंत घर नहीं है। यह जीवन बस थोड़े समय के लिए है। यदि आपने मसीह पर भरोसा रखा तो वह समय आएगा जब प्रभु हमें लेने आएगा और हम उस डेरे सरीखे घर को गिराएंगे (२ कूरिन्थियों ५:१-४) चाहे इस शरीर से अलग होने पर (मृत्यु) या फिर तब जब हमारा स्वामी और प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार हमें लेने आएगा।
१. तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।
२.मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुमसे कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूं, ३.और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करुँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।
(यहुन्ना १४:१-३)
अपने पिछले अध्ययन में हमने बात की थी कि प्रभु अपनी कलीसिया को लेने आएगा, उन्हें जो फिर से आत्मा से जन्मे हैं। हमने बात की उस प्रतिफल और सेवा के बारे में जो वह चरित्र, विश्वास-योग्यता और सेवा के लिए देगा। हम इस अध्ययन में पुनरुत्थान पाई देह के बारे में देखेंगे जो मसीह के आने पर विश्वासियों को दी जाएगी। प्रभु अपनों को पहचानता है (२ तिमोथियुस २:१९) और मसीह के आने पर वह अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और उन्हें इकट्ठा करेगा जिन्होंने उसके उद्धार का मुक्त वरदान ग्रहण किया है।
३१. और वह तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशा से उसके चुने हुए को इकट्ठा करेंगे। (मत्ती २४:३१)
यहां पर मैं कुछ बाइबल शिक्षकों से मेल नहीं रखता जो यह सिखाते हैं कि मसीह के दो आगमन है- एक महा संकट से पहले, एक उसके बाद। यह मेरा विश्वास है कि मसीह की एक ही दूसरी ‘आमद’ होगी। वचन में कहीं भी हमे मसीह की दो आमदो के विषय में नहीं बताया गया है। मसीह के आने पर कलीसिया उसके साथ बादलों में उठा ली जाएगी।
१३. हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाई शोक करो जिन्हें आशा नहीं। १४.क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसा ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। १५.क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुमसे यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुए से कभी आगे न बढ़ेंगे। १६.क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वह पहले जी उठेंगे। १७.तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, की हवा में प्रभु से मिले, और इस स्थिति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। (१ थिस्सलुनीकियों ४:१३-१७)
ऊपर दिया गया भाग कलीसिया के (रेपचर) बादलों पर उठाए जाने के बारे में बहुत महत्वपूर्ण भाग है। इन अध्ययनों में हमने पहले जिक्र किया कि बाइबल में रेपचर शब्द नहीं पाया जाता है। हमें अंग्रेजी शब्द “रेपचर” लातिन के रेपेर शब्द से मिला है जो कि यूनानि शब्द हारपाज़ो का अनुवाद है। इसका शाब्दिक अर्थ है “छीन लिया जाना”। ऊपर दिए गए भाग में इसका अंग्रेजी अनुवाद “उठा लिए जाएंगे” दिया गया है। (पद १७) इस घटना से पहले स्वयं प्रभु यीशु के द्वारा तेज ध्वनि की जाएगी। मैं यह सोचता हूं कि तेज पुकार में उसके होठों के शब्द निकलेंगे। ध्यान दें कि तेज़ तुरही का शब्द भी होगा। जो मसीह में सो गए हैं, वे उस आमद में मसीह के साथ लाए जाएंगे (पद १४) और अपनी देह से मिलकर एकदम बदल जाएंगे। जो उस समय तक जीवित रहेंगे वह संसार भर के विश्वासों के साथ ऊपर लिए जाने से पहले यह सब होते हुए देखेंगे।
हमारे आत्मा के स्वर्ग चले जाने के बाद एक नई देह पाने का क्या महत्व या उद्देश्य है?
देह का पुनरुत्थान
मैं यह बताना चाहता हूं कि जिस घटना को हम कलीसिया का (रेपचर) उठाया जाना कहते है, वचन दूसरे भाग में उसी घटना को पुनरुत्थान कहते हैं। कलीसिया के रेपचर पर हमारी देह एकदम से बदल जाएगी उस प्रकार से जैसे यीशु की देह बदल गई थी जब वह मृतकों में से जिलाया गया। पौलूस कुरिन्थुस की कलीसिया को इसी घटना के बारे में जब मृतक जिलाए जाएंगे लिखता है।
५०.हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लहु परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। ५१.देखो, मैं तुमसे भेद की बात कहता हूं “कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे। ५२.और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूँकते ही होगा; क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएंगे, और हम बदल जाएंगे। (१ कुरिन्थियों १५:५०-५२)
ध्यान दें इसी घटना से पहले तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे जिलाए जाएंगे। मुर्दे दो बार नहीं जिलाए जाएंगे। उठा लिए जाना और पुनरुत्थान होना दोनों एक ही है और सामान बात है। हमारी सांसारिक दह यह पापमय शरीर जो हम इस दुनिया में धारण किए हुए हैं एकदम बदल जाएगी। यह बदलाव ‘एक क्षण’ में होगा (पद ५२)
हमें अंग्रेजी का ऐटोम (परमाणु) शब्द यूनानी शब्द ‘ऐटोमो’ से मिलता है। यह एक सैकंड के परमाणु कण की व्याख्या करता है। हम एक क्षण में बदल जाएंगे दो बार बदल जाएंगे शब्द का प्रयोग हुआ है और वह भी केवल वचन के इसी भाग में। इसके लिए यूनानी शब्द एलाजसोमेथा है जिसका अर्थ है बदलना, परिवर्तित होना, रूपांतरित होना। प्रेरित पौलुस इस घटना को बीज के बारे में बताते हुए समझाते हैं। आइए हम इस भाग में वापस जाएं और समझने का प्रयास करें हम मसीही जन होने के नाते किस प्रकार से महिमा मय देह पाते हैं।
३५.अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं? ३६.हे निर्बुद्धि, जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। ३७.और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं तो उत्पन्न होने वाली है, परंतु निरा दाना है, चाहे गेहूं का, चाहे किसी और अनाज का। ३८.परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है; और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। ३९.सब शरीर के एक सरीखे नहीं, परंतु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। ४०.स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी हैं: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और। ४१.सूर्य का तेज और है, चांद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अंतर है)। ४२.मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है। १ कुरिन्थियों १५:३५ -४२
पौलूस बीज का उदाहरण देता है। वह कहता है कि बीज और उसमें से निकलने वाले पौधों में बहुत अंतर है। वह कह रहा है कि हमारी शारीरिक देह एक बीज है जो शरीर के मरने पर बोई जाती है और जब इस पापी युग का अंत हो जाएगा और देह का पुनरुत्थान होगा तब यह बिल्कुल बदल जाएगी। पुनरुत्थान प्राप्त देह के विषय में बात करने से पहले हम देखेंगे कि यह बदलाव कैसे होता है?
हमारे हृदयों में परमेश्वर का बोया गया जीवन
जब कोई व्यक्ति अपना जीवन मसीह को देता है तो उसके भीतर कुछ होता है। वह आत्मा के द्वारा पुनर्जन्म या नया जन्म पाता है।
यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझसे सच-सच कहता हूं यदि कोई नए सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता। (यहुन्ना ३:३)
प्रेरित पतरस लिखते हैं, (१ पतरस १:३) उस क्षण से हमारे अंदर एक आत्मिक बीज बढ़ने लगता है जो धीरे-धीरे परमेश्वर के वचन, हमारी परीक्षाओं और जीवन के अनुभवों द्वारा हमें मसीह के स्वरूप में बदलता जाता है।
क्योंकि तुमने नाशवान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है। (१ पतरस १:२३)
१०.चोर किसी और काम के लिए नहीं परंतु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिए आया कि वह जीवन पाएं, और बहुतायत से जीवन पाएं। (यहुन्ना १०:१०)
इस जीवते बीज की विशेषता यह है कि यह आत्मिक जीवन है जो की बहुतायत का है, अनंत है और नष्ट न होने वाला है। “जीवन” के लिए जो यूनानी शब्द का इस्तेमाल किया गया है वह ज़ोई है, इसका अर्थ है ‘जीवन जीना’। इस शब्द के विषय में मेरी वर्ड स्टडी बाइबल कहती है:
“यह एक तरह का आध्यात्मिक शब्द है जो जीवन को चलाने वाली ताकत को दर्शाता है, वह जरूरी सिद्धांत जो जीवित प्राणियों को जीवंत करता है। ज़ोई का अधिकांश प्रयोग आत्मिक जीवन के संदर्भ में किया जाता है। यह जीवन स्वयं परमेश्वर का जीवन है जिसके सहभागी विश्वासी जन बनाए जाते हैं।”
मैं नहीं समझ सकता कि शब्द बीज कैसे हो सकता है क्योंकि मैं शब्दों की सामर्थ पर संदेह नहीं करता। परमेश्वर ने अपने वचन कहे और संसार की रचना हुई। उत्पत्ति के संपूर्ण पहले अध्ययन में परमेश्वर के वचनों के द्वारा सृष्टि की गई। उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” और उजियाला हो गया। (उत्पत्ति १:३) ध्यान दीजिए कितनी बार यह शब्द “परमेश्वर ने कहा” लिखे हैं। परमेश्वर के बोले गए शब्दों में बहुत सामर्थ है।
१ कुरिन्थियों १५ का जो भाग हमने देखा उसमें पौलुस कहता है कि वह परमेश्वर ही है जो यह निर्धारित करता है कि बीज बड़ा होकर कौन सी देह धारण करेगा। (पद ३८) वह कहता है कि पृथ्वी ग्रह पर विभिन्न प्रकार के भौतिक शरीर हैं जैसे मानव, पशु, पक्षी और मछली। पृथ्वी पर उत्पन्न हुए सारे भौतिक प्राणी बीज से ही आते हैं। बीज के बारे में बात करते हुए पौलुस दो विभिन्न उदाहरण देता हुआ दिखाई देता है:
हमारी पुनरुत्थान प्राप्त देह किसी प्रकार से उस रूप में पहचानी जाएगी जैसे हम हैं। वह कहता है, “जब तुम बोते हो, तो पौधे को नहीं बल्कि बीज ही बोते हो शायद गेहूं का या किसी और चीज का।” (पद ३७) बीज के अंदर ही शारीरिक देह का डी. एन. ए. होता है। सेब के बीच में संतरे नहीं लगते। एक बीज और जो देह वह धारण करेगा उनके बीच में जीवन की निरन्तरता बनी रहती है। हमारी स्वर्गीय जिलाई गई देह कुछ-कुछ हमारी सांसारिक शारीरिक देह के बीज जैसी होगी। हम अपनी जिलाई गई देह में एक दूसरे को पहचानेंगे।
२. हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की संतान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है। (१यहुन्ना ३:२)
और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय मनुष्य का रूप भी धारण करेंगे॥ (१ कुरिन्थियों १५:४९)
१८.परंतु जब हम सबके उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश-अंश करके बदलते जाते हैं॥ (२ कुरिन्थियों ३:१९८)
पौलूस कहता है इस क्षण में प्रत्येक विश्वासी में जो बदलाव होगा उनके बीच महिमा में बहुत अंतर होगा। यही वह बात है यीशु ने बताई जब उसने कहा, “उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाई चमकेंगे; जिसके कान हो वह सुन ले॥ (मत्ती १३:४३)”
हमारी शारीरिक देह परमेश्वर के द्वारा रची गई है शारीरिक जगत में रहने के लिए लेकिन इस देह को छुड़ाया जाना है और उस आत्मिक और शारीरिक देह में बदलना है जिसे परमेश्वर ने हमारे धारण करने के लिए योजना से रचा है। प्रेरित पौलुस ने भी यह बताया:
हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। (१ कुरिन्थियों १५:५०)
जो जीवन हमें आदम से मिला है वह हमारे लिए काफी नहीं है कि हम स्वर्गीय राज में प्रवेश कर सकें बिना उस जीवन के जो हमें मसीह से मिला है जो कि परमेश्वर का वरदान है। मैं विश्वास करता हूं कि छुड़ाई गई मानवता के लिए, जीवित परमेश्वर की कलीसिया के लिए परमेश्वर का यह उद्देश्य है कि संत (भक्त जन) आत्मिक और भौतिक राज्य में रह सकें जिस प्रकार अपने पुनर्जीवित होने के ४० दिन में यीशु ने किया। यीशु मसीह ने अपनी देह पृथ्वी पर कहीं छोड़ी नहीं है। वह शारीरिक लेकिन फिर भी आत्मिक पुनर्जीवित देह के साथ स्वर्ग में रहता है। क्या यह परमेश्वर के जन्म होने के विषय में सही नहीं है? परमेश्वर को उसका साथ इतना भाया कि उसने शारीरिक देह के साथ ही उस को स्वर्ग में उठा लिया।
और हनोक परमेश्वर के साथ-साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया। (उत्पत्ति ५:२४)
एलिय्याह के विषय में भी यही बताया जाता है। वह भी अपनी शारीरिक देह के साथ स्वर्ग में उठा लिया गया। (२ राजा २:११) कुछ लोग कहते हैं हनोक और एलिय्याह वे दो गवाह है जो दुनिया के पापों के लिए साक्षी देंगे जिसका वर्णन प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में किया गया है। (प्रकाशितवाक्य ११:३)
इन दो व्यक्तियों ने अभी भी मृत्यु को अनुभव नहीं किया है (इब्रानियों ९:२७) तो यह संभव है कि वे परमेश्वर के अनुग्रह के गवाही देने के लिए स्वर्ग से उतर आएं और फिर घात किए जाएं। और हां साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्वर उन्हें फिर जिलाएगा, मसीह विरोधी के अनुयायियों के क्रोध को बढ़ाते हुए। (प्रकाशितवाक्य ११:११)
हमारे हृदयों में परमेश्वर का बोया गया जीवन
जब कोई व्यक्ति अपना जीवन मसीह को देता है तो उसके भीतर कुछ होता है। वह आत्मा के द्वारा पुनर्जन्म या नया जन्म पाता है।
यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझसे सच-सच कहता हूं यदि कोई नए सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता। (यहुन्ना ३:३)
प्रेरित पतरस लिखते हैं, (१ पतरस १:३) उस क्षण से हमारे अंदर एक आत्मिक बीज बढ़ने लगता है जो धीरे-धीरे परमेश्वर के वचन, हमारी परीक्षाओं और जीवन के अनुभवों द्वारा हमें मसीह के स्वरूप में बदलता जाता है।
क्योंकि तुमने नाशवान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है। (१ पतरस १:२३)
१०.चोर किसी और काम के लिए नहीं परंतु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिए आया कि वह जीवन पाएं, और बहुतायत से जीवन पाएं। (यहुन्ना १०:१०)
इस जीवते बीज की विशेषता यह है कि यह आत्मिक जीवन है जो की बहुतायत का है, अनंत है और नष्ट न होने वाला है। “जीवन” के लिए जो यूनानी शब्द का इस्तेमाल किया गया है वह ज़ोई है, इसका अर्थ है ‘जीवन जीना’। इस शब्द के विषय में मेरी वर्ड स्टडी बाइबल कहती है:
“यह एक तरह का आध्यात्मिक शब्द है जो जीवन को चलाने वाली ताकत को दर्शाता है, वह जरूरी सिद्धांत जो जीवित प्राणियों को जीवंत करता है। ज़ोई का अधिकांश प्रयोग आत्मिक जीवन के संदर्भ में किया जाता है। यह जीवन स्वयं परमेश्वर का जीवन है जिसके सहभागी विश्वासी जन बनाए जाते हैं।”
मैं नहीं समझ सकता कि शब्द बीज कैसे हो सकता है क्योंकि मैं शब्दों की सामर्थ पर संदेह नहीं करता। परमेश्वर ने अपने वचन कहे और संसार की रचना हुई। उत्पत्ति के संपूर्ण पहले अध्ययन में परमेश्वर के वचनों के द्वारा सृष्टि की गई। उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” और उजियाला हो गया। (उत्पत्ति १:३) ध्यान दीजिए कितनी बार यह शब्द “परमेश्वर ने कहा” लिखे हैं। परमेश्वर के बोले गए शब्दों में बहुत सामर्थ है।
१ कुरिन्थियों १५ का जो भाग हमने देखा उसमें पौलुस कहता है कि वह परमेश्वर ही है जो यह निर्धारित करता है कि बीज बड़ा होकर कौन सी देह धारण करेगा। (पद ३८) वह कहता है कि पृथ्वी ग्रह पर विभिन्न प्रकार के भौतिक शरीर हैं जैसे मानव, पशु, पक्षी और मछली। पृथ्वी पर उत्पन्न हुए सारे भौतिक प्राणी बीज से ही आते हैं। बीज के बारे में बात करते हुए पौलुस दो विभिन्न उदाहरण देता हुआ दिखाई देता है:
हमारी पुनरुत्थान प्राप्त देह किसी प्रकार से उस रूप में पहचानी जाएगी जैसे हम हैं। वह कहता है, “जब तुम बोते हो, तो पौधे को नहीं बल्कि बीज ही बोते हो शायद गेहूं का या किसी और चीज का।” (पद ३७) बीज के अंदर ही शारीरिक देह का डी. एन. ए. होता है। सेब के बीच में संतरे नहीं लगते। एक बीज और जो देह वह धारण करेगा उनके बीच में जीवन की निरन्तरता बनी रहती है। हमारी स्वर्गीय जिलाई गई देह कुछ-कुछ हमारी सांसारिक शारीरिक देह के बीज जैसी होगी। हम अपनी जिलाई गई देह में एक दूसरे को पहचानेंगे।
२. हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की संतान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है। (१यहुन्ना ३:२)
और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय मनुष्य का रूप भी धारण करेंगे॥ (१ कुरिन्थियों १५:४९)
१८.परंतु जब हम सबके उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश-अंश करके बदलते जाते हैं॥ (२ कुरिन्थियों ३:१९८)
पौलूस कहता है इस क्षण में प्रत्येक विश्वासी में जो बदलाव होगा उनके बीच महिमा में बहुत अंतर होगा। यही वह बात है यीशु ने बताई जब उसने कहा, “उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाई चमकेंगे; जिसके कान हो वह सुन ले॥ (मत्ती १३:४३)”
हमारी शारीरिक देह परमेश्वर के द्वारा रची गई है शारीरिक जगत में रहने के लिए लेकिन इस देह को छुड़ाया जाना है और उस आत्मिक और शारीरिक देह में बदलना है जिसे परमेश्वर ने हमारे धारण करने के लिए योजना से रचा है। प्रेरित पौलुस ने भी यह बताया:
हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। (१ कुरिन्थियों १५:५०)
जो जीवन हमें आदम से मिला है वह हमारे लिए काफी नहीं है कि हम स्वर्गीय राज में प्रवेश कर सकें बिना उस जीवन के जो हमें मसीह से मिला है जो कि परमेश्वर का वरदान है। मैं विश्वास करता हूं कि छुड़ाई गई मानवता के लिए, जीवित परमेश्वर की कलीसिया के लिए परमेश्वर का यह उद्देश्य है कि संत (भक्त जन) आत्मिक और भौतिक राज्य में रह सकें जिस प्रकार अपने पुनर्जीवित होने के ४० दिन में यीशु ने किया। यीशु मसीह ने अपनी देह पृथ्वी पर कहीं छोड़ी नहीं है। वह शारीरिक लेकिन फिर भी आत्मिक पुनर्जीवित देह के साथ स्वर्ग में रहता है। क्या यह परमेश्वर के जन्म होने के विषय में सही नहीं है? परमेश्वर को उसका साथ इतना भाया कि उसने शारीरिक देह के साथ ही उस को स्वर्ग में उठा लिया।
और हनोक परमेश्वर के साथ-साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया। (उत्पत्ति ५:२४)
एलिय्याह के विषय में भी यही बताया जाता है। वह भी अपनी शारीरिक देह के साथ स्वर्ग में उठा लिया गया। (२ राजा २:११) कुछ लोग कहते हैं हनोक और एलिय्याह वे दो गवाह है जो दुनिया के पापों के लिए साक्षी देंगे जिसका वर्णन प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में किया गया है। (प्रकाशितवाक्य ११:३)
इन दो व्यक्तियों ने अभी भी मृत्यु को अनुभव नहीं किया है (इब्रानियों ९:२७) तो यह संभव है कि वे परमेश्वर के अनुग्रह के गवाही देने के लिए स्वर्ग से उतर आएं और फिर घात किए जाएं। और हां साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्वर उन्हें फिर जिलाएगा, मसीह विरोधी के अनुयायियों के क्रोध को बढ़ाते हुए। (प्रकाशितवाक्य ११:११)