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7. The Millennium
7. सहस्त्राब्दी
अनन्तकाल हमारी आत्मा के (डी.एन.ए) पर लिखा गया है-
हम अब अनन्तकाल में अंतदृष्टि के पाँचवे अध्ययन पर पहुँच गए हैं, और मैं आशा करता हूँ कि अब तक आप अनन्तकाल के बारे में काफ़ी समझ चुके होंगे और प्रभु यीशु के क्रूस के द्वारा खरीदी हुई नियति को पूर्णतः समझ चुके होंगे। कुछ हद तक हम में से बहुत अपने अंत: मन में यह नहीं समझ पाते की केवल यही एक छोटे समय का जीवन है जो हम इस पृथ्वी पर जी हैं। जीवन की चुनौतियों को देखते हुए जब हम बारीकी से चीजों को परखते हैं और उनके प्रमाण देखते हैं हम पाते हैं कि जो सिद्धांथ सृष्टिकर्ता को नकारते हैं वह मानना तर्कविरूद्व है। ऐसे कई सवाल हैं जिनका उत्तर विज्ञान नहीं दे सकता। हमारा हद्वय हमें यह बताता है कि जीवन में ऐसा बहुत कुछ है जिसका अनुभव हमने अभी तक यहाँ नही किया है। राजा सुलेमान जिन्हें सबसे चतुर माना जाता था कहते हैं :-
उसने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं; फिर उसने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, तौभी काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता। (सभोपदेशक ३:११)
पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर सुलेमान ने परमेश्वर की रचनात्मकता पर बोला कि उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्तकाल का ज्ञान उत्पन्न किया है।“फ्रैन्च बाईबिल” में कहा गया है कि “ईश्वर ने अनन्तकाल के विचार हमारे हद्वय में स्थापित किए है” प्रिन्स चाल्र्स ने एक बार मनुष्य की आत्मा के अंदरूनी खालीपन के बारे में कहा था, “चाहे विज्ञान की कितनी भी उपलबधियाँ क्यों न हो, फिर भी कहीं न कहीं आत्मा की गहराई में लगातार एक चिन्ता रहती है, कि कुछ छूट गया है, या कुछ कमी है”। राजकुमारी डायना एक सभा में बोली थी, “आज के जीवन में लोगों के लिए आधुनिक चाल चलन में अस्तित्व बनाने व उसमें जीने का फल है एक भारी सूनापन व अकेलेपन को बुलावा देना।” उन्होने कहा, “वह जानते हैं कि कुछ कमी है।” हमारे हद्वय में जब तक कि हम प्रभु यीशु के पास नही आते हैं, तब तक हमें उस खालीपन का एहसास होता है और हम उसे ड्रग्स (नशे), शराब, सैक्स शान्ति, रूपये पैसे और झूठे दिखावे से संतुष्ट करते हैं परन्तु हमें संतुष्टि नही मिलती है, क्योंकि हम उस खाली स्थान के साथ ही रचे गए है। जैसे कि “ब्लेज पास्कल” जो एक फ्रैन्च दार्शनिक व गणितिज्ञ थे, ने लिखा है, “हर एक व्यक्ति के अन्दर ईश्वर ने परमेश्वर के आकार का एक खाली स्थान छोड़ा है।” सी.एस.लूईस ने अपनी पुस्तक “मीयर क्रिस्चैनिटी” में लिखा है-जीव जन्तु तभी लालसाओं के साथ जन्म लेते हैं जब उन लालसाओं को संतुष्ट किया जा सकता है। एक छोटा बच्चा भूखा होता है, तो उसके लिए भोजन उपलब्ध है। एक बत्तख का बच्चा तैरना चाहता है, तो उसके लिए पानी उपलब्ध है। व्यक्ति के जीवन में यदि शारिरिक इच्छा को पूर्ण करने की इच्छा होती है, तो उसके लिए यौन संबन्ध उपलब्ध है। यदि मुझे एक ऐसी इच्छा हो जो इस पृथ्वी पर पूरी न सकूँ तो मैं यह समझूंगा कि शायद मैं किसी दूसरी दुनिया के लिए बना हूँ। यदि हम उन इच्छाओं को किसी भी संसारिक सुख से पूरा न कर सकें तो इसका मतलब यह नही की संसार एक छलावा है। शायद वह इच्छा सांसारिक सुखों से पूरी नहीं हो सकती है, बल्कि उसको इसलिए जगाया जाता है कि वह सही चीज़ की और इशारा कर सके। पाँचवी शताब्दी के दार्शनिक अगस्टीन ने लिखा है, हमारा हृदय तब तक शान्त नही होता, जब तक हमें तुझ में विश्राम नही मिलता। “यह खोया हुआ “टुकड़ा” परमेश्वर ही है। वह जीवित जल है और जीवन की रोटी है। वही है जो हमें पूरी तरह से संतुष्ट कर सकता है। हाग्गै भविश्यद्वक्ता ने लिखा है, और मैं सारी जातियों को कम्पकपाँऊगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं आंएगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूंगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (हाग्गै २:७) वह जिसे सारे राष्ट्र चाहते हैं, इसराइल का पवित्र परमेश्वर यीशु मसीह जब आकर पृथ्वी पर खड़ा होगा तो हम अपने पुनजीर्वित शरीर में उसे देखेंगें। अययूब ने कहा- 25 मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुडाने वाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा। 26 और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में हो कर ईश्वर का दर्शन पाऊंगा। 27 उसका दर्शन मैं आप अपनी आंखों से अपने लिये करूंगा। और न कोई दूसरा। यद्यपि मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर चूर चूर भी हो जाए, तौभी मुझ में तो धर्म का मूल पाया जाता है। (अययूब १९:२४-२७) उसका पृथ्वी पर दूसरी बार आना, शान्ति का समय लेकर आयेगा।
इस पठन में हम देखेंगे कि बाईबिल उन हज़ार सालों के लिए जो न्याय संगत, आनन्द से परिपूर्ण और शान्ति से भरे राजाओं के राजा यीशु के राज्य में होंगे क्या कहती है।
प्रश्न १) आज के समाज में कितनी आत्मिक भूख है, इसके लिए आपके पास क्या प्रमाण है? हमारे समाज में इस आत्मिक भूख को किस प्रकार व्यक्त किया जाता है?
शान्ति के हजार वर्ष-
तीसरी कड़ी में हमने शरीर के पुनरूत्थान के विषय में पढ़ा था, जिसमें हमने जाना था कि जब प्रभु यीशु का पुनरूत्थान होगा सन्तों का पुनरूत्थान होगा। वह लोग जो पुनरजीवित होगें उनको सामर्थी व अविनाशी शरीर तथा अनन्त जीवन प्रदान होगा।
यह शरीर प्रभु यीशु के जीवित शरीर की तरह होगा। एक ऐसा शरीर जो पहले नकारा गया किन्तु फिर स्तुति में उठाया गया हो (१ कुरिन्थियों १४:४३) हमें बताया गया है कि संतो को यह अधिकार मिला है कि वह प्रभु यीशु के साथ मिलकर एक हजार वर्ष तक राज्य करेंगे (प्रकाशितवाक्य २०:४, १ कुरिन्थियों ६:२) और शैतान को बाँधकर नरक में फेंक दिया जाएगा। (प्रकाशित वाक्य २०:१-३)
1 फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिस के हाथ में अथाह कुंड की कुंजी, और एक बड़ी जंजीर थी। 2 और उस ने उस अजगर, अर्थात पुराने साँप को, जो इब्लीस और शैतान है; पकड़ के हजार वर्ष के लिये बान्ध दिया। 3 और उसे अथाह कुंड में डाल कर बन्द कर दिया और उस पर मुहर कर दी, कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए; इस के बाद अवश्य है, कि थोड़ी देर के लिये फिर खोला जाए।। 4 फिर मैने सिहांसन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उन को न्याय करने का अधिकार दिया गया; और उनकी आत्माओं को भी देखा, जिन के सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे; और जिन्हो ने उस पशु की, और न उस की मूरत की पूजा की थी, और न उस की छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी; वे जीवित हो कर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे। 5 और जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे; यह तो पहिला मृत्कोत्थान हैं। 6 धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरूत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मुत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।। (प्रकाशित वाक्य २०:१-६)
धर्म शास्त्री और विद्वान इस हज़ार साल के प्रभु यीशु के राज्य को सहस्त्राब्दि कहते है। सहस्त्राब्दि का अर्थ है एक हज़ार। इस पर तीन तरह की बातें मानी जाती है। पहला अमिलेनिएस्म कहलाता है। यह वह व्यक्ति है जो यह मानता है कि एक हजार वर्ष, जो लगभग पाँच ऊपर दिए गए पदों में लिखा गया है, वास्तविक रूप में प्रतीकात्मक अंक नहीं है, परन्तु यह एक ऐसे समय को दर्शाता है जो आज का समय है, एक कलीसिया का युग।
दूसरा, सहस्त्राब्दि के बाद का समय। इस विश्वास को मानने वाले जन भी यह समझते है कि यह समय जिसे एक हज़ार वर्ष का समय माना जाता है जैसे कि ऊपर बताया गया है, वास्तव में एक हज़ार वर्ष नही हैं। उनके विचार से कलीसिया अपने अनुयाइयों के लिए सुनहरा युग लाएगी और फिर उसके बाद प्रभु यीशु का पुनः आगमन होगा। तीसरा, सहस्त्राब्दि से पहले का समय जिसमें मैं स्वंय विश्वास करता हूँ। इस पर विश्वास करने वाले विश्वास करते है कि प्रभु यीशु का पुनः आगमन सताव के बाद होगा और परमेश्वर उन संतों को पुर्नजिवित कर देगा, जो आत्मा के द्वारा पुर्नजीवित होगे, और यह संत परमेश्वर के साथ पृथ्वी पर एक हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगें। वह दैत्य, जिसे हम सर्प के नाम से जानते हैं। जो, अदन के बाग में आया था तथा जिसको शैतान का नाम दिया जाता है, उसे बाँध दिया जायेगा पद ३ के अनुसार “अथाह कुंड” में (अबुओस-यह एक यूनानी शब्द है जिसका अर्थ है एक ऐसी गहराई जिसका कोई अन्त न हो, जो कभी सोचा न जा सके और न ही माँपा जा सके) इन एक हज़ार सालों में कोई भी युद्व नही होगा, और फिर कुछ समय के लिए शैतान को मुक्त कर दिया जाएगा।
प्रश्न २) कल्पना कीजिए कि तब हमारी दुनिया कैसी होगी, जब शैतान को बाँध दिया जाएगा। आप क्या सोचते है, कि उन लोगों के जीवन में क्या अन्तर आयेगा जो तब इस पृथ्वी पर होगें और शैतान के चंगुल से कुछ समय के लिए मुक्त हो जायेंगे?
संतों के लिए, जो परमेश्वर की देह है, वह अपने पुर्नजीवित देह में किसी भी प्रकार के पाप और बुराई के लालच से मुक्त होंगे। वचन हमें बताता है,कि जब शैतान को “अथाह कुंड” में डाल दिया जाएगा, तो पृथ्वी में किसी भी प्रकार का धोखा नहीं होगा (पद ३)। हमारा पुर्नजीवित शरीर हममें किसी भी प्रकार की हानि के भय को निकाल देगा। हमारी पाप की प्रकृति हमसे ले ली जाएगी और हमारी पाप करने की इच्छा समाप्त हो जाएगी। मृत्यु का भय समाप्त हो जाएगा क्योंकि हम बंधन मुक्त होकर काम करेंगें और हमारी रचनात्मक अपनी चर्म सीमा पर होगी। हम अपने शरीर, आत्मा और मस्तिष्क से कुछ इस प्रकार कार्य करेंगे जैसे हमने पहले कभी नही किया होगा, हम अपने शरीर,आत्मा और मस्तिष्क से कुछ इस प्रकार कार्य करेंगे जैसे परमेश्वर चाहता है। उसी क्षण से, जब प्रभु यीशु का पुर्नागमन होगा सभी संत अमर हो जायेंगें। हमें यह बताया गया है कि सारी सृष्टि उस समय की प्रतीक्षा कर रही है। जब हम सब, जो प्रभु में है, अपना अविनाशी शरीर, जो कभी भ्रष्ट नही होगा पहन लेंगे। (१ कुरिन्थियों १४:४८) उस समय प्राणी-जगत में कुछ अलग ही बदलाव आंऐगे।
19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई। 21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छूटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतन्त्रता प्राप्त करेगी। 22 क्योंकि हम जानते है, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है। (रोमियों ८:११-२२)
जब पौलूम ने रोम की कलीसिया को सृष्टि के बारे में पत्र लिखा, तब मैं सोचता हूँ कि आखिर उसके मन में क्या था। शायद वो उस प्राणी-जगत के बारे में कह रहा था जो मनुष्य से डरते है। नैतिक पतन से अब तक मनुष्य और जानवरों के बीच का संबध खराब हो चुका है। आज हम देखते है कि किस प्रकार कृषि तथा जानवरों को पालने की नई तकनीके पूरी सृष्टि को पीड़ा पहुँचा रही है। यह परमेश्वर की योजना नहीं थी, मनुष्य के साथ-साथ जानवर भी आज के युग मे कष्ट भोग रहें है। वह अन्दर ही अन्दर कराह रहे हैं तथा उनके अन्दर मनुष्य व अन्य जीव के प्रति भय उत्पन्न हो गया है तथा वह भी परमेश्वर के पुर्नागमन की प्रतीक्षा कर रहे है कि कब सहस्त्राब्दि का आगमन होगा।
1 तब यिशे के ठूंठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकल कर फलवन्त होगी। 2 और यहोवा की आत्मा, बुद्वि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी। 3 ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध सा भाएगा। वह मुंह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा; 4 परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपने फूँक के झोंके सेु दुष्ट को मिटा डालेगा। 5 उसकी फीट का फेंटा धर्म और उसकी कमर का फेंटा सच्चाई होगी। 6 तब भेड़िया भेड़ के बच्चे के सगं रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साथ बैठा रहेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनों इकटठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा। 7 गाय और रीछनी मिलकर चरेंगी, और उनके बच्चे इकट्ठे बैठेंगे; और सिंह बैल की नाई भूसा खाया करेगा। 8 दूधपिउवा बच्चा करैत के बिल पर खेलेगा, और दूध छुड़ाया हुआ लड़का नाग के बिल में हाथ डालेगा। 9 मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दुःख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।। 10 उस समय यिशै की जड़ देश देश के लोगों के लिये एक झण्डा होगी; सब राज्यों के लोग उसे ढूढेंगें, और उसका विश्रामस्थान तेजोमय होगा।। (यशायाह ११:१-१०)
यशायाह नबी बताते हैं कि वह जन आ रहे हैं जो बदलाव लेकर आऐंगे। यह वह नही जब कलीसिया बुराई को पराजित करेगी, किन्तु यह वह कोपल है जो यिशै की डाली से निकलती है वह राजा दाऊद के पिता के बारे में बोलती है कि दाऊद के वँश में एक ऐसा राजा आऐगा जो पृथ्वी पर न्याय करेगा। यह प्रभु येशु मसीह है जो केवल देखी और सुनी हुई चीजों पर न्याय नही करेगा। वह तो कठिन परिस्थितियों का उत्तम न्याय करेगा क्योंकि वह न्यायी और सर्वज्ञानी हैं। वह न्यायसंगत राज्य करेगा। वह इस पृथ्वी पर आये और उन्होंने अमानवता और अन्याय को सहा तथा उस पर प्रभुत्व हासिल किया। उन के पास कुछ भी कहने और अपने शब्दों द्वारा कुछ भी सृजन करने की सामर्थ है वह अपने श्वास के द्वारा कुछ भी रच सकता है तथा बुराई का अन्त भी करेगा।“परन्तु उसके आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार की आग और धोबी के साबुन के समान है।” (मलाकी ३:२)
जब वह राजगद्दी पर विराजमान होंगे तब हम सब बहुत से बदलाव देखेंगे विपरीत प्रकृति के जंगली जानवर एक दूसरे के साथ भोजन करेंगे। भेड़िये और भेड़ साथ-साथ सोएंगे और साथ-साथ रहेंगे। शेर, जो इस पृथ्वी का माॅसाहारी जीव है, घास खायेगा, जैसे कि एक भैसा खाता है। फिर छोटे बच्चे साँप के बिल में हाथ डालेंगे और उनके साथ खेलेंगे। जब भविष्यवाणी ६०० वर्ष पूर्व की गई थी तब इसराइल में बहुत से जंगली जानवर थे, परन्तु यशायाह नबी ने भविष्यवाणी की थी कि एक समय ऐसा भी होगा जब बच्चे जंगली जानवरों के साथ खेलेंगे और पृथ्वी पर शाँन्ति होगी। यशायाह कहते हैं कि “गोयिम” वह राज्य जो गैर यहूदी है, भी विश्वास करेंगे, जब परमेश्वर का ज्ञान पूरी पृथ्वी पर फैल जायेगा। और उसका विश्राम महिमामय होगा। वह एक हजार साल विश्राम के दिन होगें और वह प्रार्थना, कि पृथ्वी पर शांति और सद्भावना बनी रहे, पूरी हो जायेगी। ईश्वर की उपस्थिति और उसका शासन पृथ्वी पर यह पूरा करेगा तथा उसकी पूरी सृष्टि शांन्तिपूर्वक रहेगी।
प्रश्न ३) यशायाह ११:१ बताता है कि “पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।। इस पद का क्या अर्थ है इस पर चर्चा करें। आप कैसे सोचते हैं कि परमेश्वर का ज्ञान पृथ्वी पर फैलेगा और उसका असर क्या होगा?
एक नई पृथ्वी और नया स्वर्ग
नबी यशायाह आगे उस समय के बारे में फिर कहते है (६५:१७-२५) जब पृथ्वी पर बडे़-बडे़ बदलाव आयेंगेः
17 क्योंकि देखो मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूँ और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सेाच विचार में भी न आंएगी। 18 इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूँ, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मै यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा। 19 मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हर्षित हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा। 20 उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिसने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरने वाला है वह सौ वर्ष का हो कर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का हो कर श्रपित ठहरेगा। 21 वे घर बनाकर उन में बसेंगें; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे। 22 ऐसा नहीं होगा कि वे बनांए और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। 23 उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिए उत्पन्न होगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बाल-बच्चे उन से अलग न होंगे। 24 उनके पुकारने से पहिले ही मैं उन को उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा। 25 भेड़िया और मेम्ना एक संग चरा करेंगें, और सिंह बैल की नाई भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।। (यशायाह ६५:१७-२५)
परमेश्वर कहता है कि तब एक नई पृथ्वी तथा नया स्वर्ग भी होगा। इन शब्दों का क्या अर्थ है? एक नजर में इसे देखकर यह कह सकते हैं कि शायद हम सब किसी दूसरे गृह पर भेजे जायेंगे, परन्तु इसका अर्थ यह नही है। रेन्डी एल्कार्न ने अपनी पुस्तक “स्वर्ग” में कहा है कि “स्वर्ग और पृथ्वी” की अभिव्यक्ति बाईबिल की एक उपाधी है, जो पूरे संसार को व्यक्त करती हैः वह कहते है
प्राकशित्वाक्य २१:१ में “एक नये स्वर्ग और एक नई पृथ्वी” के बारे में बताया गया है। तब यह पूरे संसार के रूपांतरण का एक संकेत है। युनानी शब्द “कायनौस” जिसका अर्थ है “नया” यह संकेत करता है कि परमेश्वर द्वारा रचित यह पृथ्वी अचानक ही नयी नही हो जायेगी, परन्तु उसमें कुछ नया और बेहतर बदलाव होगा। वालटर बेयोर के अनुसार कायनौस का अर्थ है (नया) कि जो पुराना है तथा अप्रचलित हो गया है उसको एक नये रूप में बदलना चाहियें। ऐसे में, नियम के अनुसार नया रूप पुराने से बेहतर और उत्कृष्ट होगा। इसका अर्थ है, कि “एक नए संसार” की रचना नही की जाएगी। परन्तु एक ऐसे संसार की सृष्टि होगी जो महिमा में नई की गयी है और जो पुराने से परिपूर्ण होकर नई होगी। “पौलूस ने भी कायनौस शब्द का प्रयोग किया है जब वह एक विश्वासी के ”एक नई रचना” बनने की बात करतें हैं २ कुरिन्थियों ४:१७)। नई पृथ्वी पुरानी पृथ्वी के समान ही होगी बिलकुल उसी प्रकार जैसे कि एक नया विश्वासी वही व्यक्ति रहता है, जब वह अविश्वासी था फ़रक पर फिर भी वही व्यक्ति।
जिस प्रकार पृथ्वी शताब्दियों के जैसी है उसमें कुछ न कुछ बदलाव आते रहते हैं। जिन्हें लोग याद रखते हैं तथा पुरानी चीज़ो को भूल जाते हैं। एक समय ऐसा होगा जब पूरा बदलाव और नवीनीकरण किया जायेगा। एक नये स्वर्ग का शायद यही अर्थ है कि शत्रु का विनाश होगा और उसके रहने के स्थान को, जहाँ उसने हमे नष्ट करने के लिए मोर्चा बाँधा था, ध्वसत किया जायेगा। इस समय तक हम शैतान को वायु की शक्ति का राजकुमार कहते है। (इफ़िसियों २:२) लूका जब प्रेरितों के कार्य लिख रहे थे, तब उन्होने कहा कि, (प्रेरितो के काम ३:२१) पृथ्वी फिर से अपनी प्राचीन सुन्दरता की चादर ओढ़ लेगी तथा अपनी सुन्दरता चारों ओर बिखेरेगी। वह लोग जो सहस्त्राब्दि में जीवित रहेंगे वह अपने कार्य के फल को भोगेंगे, जो चाहे बोएंगे वही काटेंगें। जो वह बनायेंगे वही उनका होगा तथा वह उसी में रहेंगे।
जब यीशु पुनः आगमन के समय आयेंगे और सब सन्त पुनजीर्वित हो जायेंगे तब पृथ्वी की जनसंख्या, जैसे कि मैं देखता हूँ, पूरी तरह से समाप्त नहीं होगी। संतो के जी उठने एंव पुनः आगमन के उपरान्त परमेश्वर का क्रोध बह निकलेगा, सारे स्वर्गदूत सभी प्रकार की बुराइयों को परमेश्वर के राज्य से उखाड़ फेंकेगें” (मत्ति १३:४१) मैं समझता हूँ कि, सहस्त्राब्दि के समय भी वह लोग इस पृथ्वी पर होंगे जो बचाए नहीं गए। जब हम यीशु के पुर्नागमन का इन्तजार करेंगे तब हमारे सामने तीन चुनौतिया होंगी, यह हैं पृथ्वी, हमारी पापमयी प्रवृति और शैतान।
उन विनाशी प्राणीयों को जो अभिशापित है और शैतान द्वारा दिए गए किसी भी प्रकार के लालच और लोभ का सामना नहीं कर सकते, यह समय, अन्तिम निर्णय से पहले सब कुछ पुर्नस्थापित करने का होगा। यह समय एक आशिषित समय होगा, बिलकुल उसी प्रकार जैसे कि हजा़रों वर्ष पूर्व उत्पत्ति की पुस्तक में लोगों के जीवन के बारें में बताया गया है। आदम १३० वर्ष तक जीवित रहा (उत्पत्ति ४:४) सेथ ११२ वर्ष तक (उत्पत्ति ४:८) और मैथ्यूसेलाहा १६१ वर्ष तक (उत्पत्ति ४:७) जीवित रहे। वह जो छुड़ाए नहीं गए हैं, उनको उस महान सफे़द न्याय की गद्दी का सामना करना होगा, जो सहस्त्राब्दि के अन्त में होगा। वह सन्त जो परमेश्वर के आत्मा के द्वारा पुर्नजीवित होंगे, वह कभी नही मरेंगे और हमेशा की जिन्दगी पांएगे। वह अविनाशी हैं। (१ कुरिन्थियों १४:४२)
19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई। 21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छूटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतन्त्रता प्राप्त करेगी। 22 क्योंकि हम जानते है, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है। (रोमियों ८:११-२२)
जब पौलूम ने रोम की कलीसिया को सृष्टि के बारे में पत्र लिखा, तब मैं सोचता हूँ कि आखिर उसके मन में क्या था। शायद वो उस प्राणी-जगत के बारे में कह रहा था जो मनुष्य से डरते है। नैतिक पतन से अब तक मनुष्य और जानवरों के बीच का संबध खराब हो चुका है। आज हम देखते है कि किस प्रकार कृषि तथा जानवरों को पालने की नई तकनीके पूरी सृष्टि को पीड़ा पहुँचा रही है। यह परमेश्वर की योजना नहीं थी, मनुष्य के साथ-साथ जानवर भी आज के युग मे कष्ट भोग रहें है। वह अन्दर ही अन्दर कराह रहे हैं तथा उनके अन्दर मनुष्य व अन्य जीव के प्रति भय उत्पन्न हो गया है तथा वह भी परमेश्वर के पुर्नागमन की प्रतीक्षा कर रहे है कि कब सहस्त्राब्दि का आगमन होगा।
1 तब यिशे के ठूंठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकल कर फलवन्त होगी। 2 और यहोवा की आत्मा, बुद्वि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी। 3 ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध सा भाएगा। वह मुंह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा; 4 परन्तु वह कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का निर्णय खराई से करेगा; और वह पृथ्वी को अपने वचन के सोंटे से मारेगा, और अपने फूँक के झोंके सेु दुष्ट को मिटा डालेगा। 5 उसकी फीट का फेंटा धर्म और उसकी कमर का फेंटा सच्चाई होगी। 6 तब भेड़िया भेड़ के बच्चे के सगं रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साथ बैठा रहेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनों इकटठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा। 7 गाय और रीछनी मिलकर चरेंगी, और उनके बच्चे इकट्ठे बैठेंगे; और सिंह बैल की नाई भूसा खाया करेगा। 8 दूधपिउवा बच्चा करैत के बिल पर खेलेगा, और दूध छुड़ाया हुआ लड़का नाग के बिल में हाथ डालेगा। 9 मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दुःख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।। 10 उस समय यिशै की जड़ देश देश के लोगों के लिये एक झण्डा होगी; सब राज्यों के लोग उसे ढूढेंगें, और उसका विश्रामस्थान तेजोमय होगा।। (यशायाह ११:१-१०)
यशायाह नबी बताते हैं कि वह जन आ रहे हैं जो बदलाव लेकर आऐंगे। यह वह नही जब कलीसिया बुराई को पराजित करेगी, किन्तु यह वह कोपल है जो यिशै की डाली से निकलती है वह राजा दाऊद के पिता के बारे में बोलती है कि दाऊद के वँश में एक ऐसा राजा आऐगा जो पृथ्वी पर न्याय करेगा। यह प्रभु येशु मसीह है जो केवल देखी और सुनी हुई चीजों पर न्याय नही करेगा। वह तो कठिन परिस्थितियों का उत्तम न्याय करेगा क्योंकि वह न्यायी और सर्वज्ञानी हैं। वह न्यायसंगत राज्य करेगा। वह इस पृथ्वी पर आये और उन्होंने अमानवता और अन्याय को सहा तथा उस पर प्रभुत्व हासिल किया। उन के पास कुछ भी कहने और अपने शब्दों द्वारा कुछ भी सृजन करने की सामर्थ है वह अपने श्वास के द्वारा कुछ भी रच सकता है तथा बुराई का अन्त भी करेगा।“परन्तु उसके आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार की आग और धोबी के साबुन के समान है।” (मलाकी ३:२)
जब वह राजगद्दी पर विराजमान होंगे तब हम सब बहुत से बदलाव देखेंगे विपरीत प्रकृति के जंगली जानवर एक दूसरे के साथ भोजन करेंगे। भेड़िये और भेड़ साथ-साथ सोएंगे और साथ-साथ रहेंगे। शेर, जो इस पृथ्वी का माॅसाहारी जीव है, घास खायेगा, जैसे कि एक भैसा खाता है। फिर छोटे बच्चे साँप के बिल में हाथ डालेंगे और उनके साथ खेलेंगे। जब भविष्यवाणी ६०० वर्ष पूर्व की गई थी तब इसराइल में बहुत से जंगली जानवर थे, परन्तु यशायाह नबी ने भविष्यवाणी की थी कि एक समय ऐसा भी होगा जब बच्चे जंगली जानवरों के साथ खेलेंगे और पृथ्वी पर शाँन्ति होगी। यशायाह कहते हैं कि “गोयिम” वह राज्य जो गैर यहूदी है, भी विश्वास करेंगे, जब परमेश्वर का ज्ञान पूरी पृथ्वी पर फैल जायेगा। और उसका विश्राम महिमामय होगा। वह एक हजार साल विश्राम के दिन होगें और वह प्रार्थना, कि पृथ्वी पर शांति और सद्भावना बनी रहे, पूरी हो जायेगी। ईश्वर की उपस्थिति और उसका शासन पृथ्वी पर यह पूरा करेगा तथा उसकी पूरी सृष्टि शांन्तिपूर्वक रहेगी।
प्रश्न ३) यशायाह ११:१ बताता है कि “पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।। इस पद का क्या अर्थ है इस पर चर्चा करें। आप कैसे सोचते हैं कि परमेश्वर का ज्ञान पृथ्वी पर फैलेगा और उसका असर क्या होगा?
एक नई पृथ्वी और नया स्वर्ग
नबी यशायाह आगे उस समय के बारे में फिर कहते है (६५:१७-२५) जब पृथ्वी पर बडे़-बडे़ बदलाव आयेंगेः
17 क्योंकि देखो मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूँ और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सेाच विचार में भी न आंएगी। 18 इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूँ, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मै यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा। 19 मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हर्षित हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा। 20 उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिसने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरने वाला है वह सौ वर्ष का हो कर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का हो कर श्रपित ठहरेगा। 21 वे घर बनाकर उन में बसेंगें; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे। 22 ऐसा नहीं होगा कि वे बनांए और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। 23 उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिए उत्पन्न होगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बाल-बच्चे उन से अलग न होंगे। 24 उनके पुकारने से पहिले ही मैं उन को उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा। 25 भेड़िया और मेम्ना एक संग चरा करेंगें, और सिंह बैल की नाई भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।। (यशायाह ६५:१७-२५)
परमेश्वर कहता है कि तब एक नई पृथ्वी तथा नया स्वर्ग भी होगा। इन शब्दों का क्या अर्थ है? एक नजर में इसे देखकर यह कह सकते हैं कि शायद हम सब किसी दूसरे गृह पर भेजे जायेंगे, परन्तु इसका अर्थ यह नही है। रेन्डी एल्कार्न ने अपनी पुस्तक “स्वर्ग” में कहा है कि “स्वर्ग और पृथ्वी” की अभिव्यक्ति बाईबिल की एक उपाधी है, जो पूरे संसार को व्यक्त करती हैः वह कहते है
प्राकशित्वाक्य २१:१ में “एक नये स्वर्ग और एक नई पृथ्वी” के बारे में बताया गया है। तब यह पूरे संसार के रूपांतरण का एक संकेत है। युनानी शब्द “कायनौस” जिसका अर्थ है “नया” यह संकेत करता है कि परमेश्वर द्वारा रचित यह पृथ्वी अचानक ही नयी नही हो जायेगी, परन्तु उसमें कुछ नया और बेहतर बदलाव होगा। वालटर बेयोर के अनुसार कायनौस का अर्थ है (नया) कि जो पुराना है तथा अप्रचलित हो गया है उसको एक नये रूप में बदलना चाहियें। ऐसे में, नियम के अनुसार नया रूप पुराने से बेहतर और उत्कृष्ट होगा। इसका अर्थ है, कि “एक नए संसार” की रचना नही की जाएगी। परन्तु एक ऐसे संसार की सृष्टि होगी जो महिमा में नई की गयी है और जो पुराने से परिपूर्ण होकर नई होगी। “पौलूस ने भी कायनौस शब्द का प्रयोग किया है जब वह एक विश्वासी के ”एक नई रचना” बनने की बात करतें हैं २ कुरिन्थियों ४:१७)। नई पृथ्वी पुरानी पृथ्वी के समान ही होगी बिलकुल उसी प्रकार जैसे कि एक नया विश्वासी वही व्यक्ति रहता है, जब वह अविश्वासी था फ़रक पर फिर भी वही व्यक्ति।
जिस प्रकार पृथ्वी शताब्दियों के जैसी है उसमें कुछ न कुछ बदलाव आते रहते हैं। जिन्हें लोग याद रखते हैं तथा पुरानी चीज़ो को भूल जाते हैं। एक समय ऐसा होगा जब पूरा बदलाव और नवीनीकरण किया जायेगा। एक नये स्वर्ग का शायद यही अर्थ है कि शत्रु का विनाश होगा और उसके रहने के स्थान को, जहाँ उसने हमे नष्ट करने के लिए मोर्चा बाँधा था, ध्वसत किया जायेगा। इस समय तक हम शैतान को वायु की शक्ति का राजकुमार कहते है। (इफ़िसियों २:२) लूका जब प्रेरितों के कार्य लिख रहे थे, तब उन्होने कहा कि, (प्रेरितो के काम ३:२१) पृथ्वी फिर से अपनी प्राचीन सुन्दरता की चादर ओढ़ लेगी तथा अपनी सुन्दरता चारों ओर बिखेरेगी। वह लोग जो सहस्त्राब्दि में जीवित रहेंगे वह अपने कार्य के फल को भोगेंगे, जो चाहे बोएंगे वही काटेंगें। जो वह बनायेंगे वही उनका होगा तथा वह उसी में रहेंगे।
जब यीशु पुनः आगमन के समय आयेंगे और सब सन्त पुनजीर्वित हो जायेंगे तब पृथ्वी की जनसंख्या, जैसे कि मैं देखता हूँ, पूरी तरह से समाप्त नहीं होगी। संतो के जी उठने एंव पुनः आगमन के उपरान्त परमेश्वर का क्रोध बह निकलेगा, सारे स्वर्गदूत सभी प्रकार की बुराइयों को परमेश्वर के राज्य से उखाड़ फेंकेगें” (मत्ति १३:४१) मैं समझता हूँ कि, सहस्त्राब्दि के समय भी वह लोग इस पृथ्वी पर होंगे जो बचाए नहीं गए। जब हम यीशु के पुर्नागमन का इन्तजार करेंगे तब हमारे सामने तीन चुनौतिया होंगी, यह हैं पृथ्वी, हमारी पापमयी प्रवृति और शैतान।
उन विनाशी प्राणीयों को जो अभिशापित है और शैतान द्वारा दिए गए किसी भी प्रकार के लालच और लोभ का सामना नहीं कर सकते, यह समय, अन्तिम निर्णय से पहले सब कुछ पुर्नस्थापित करने का होगा। यह समय एक आशिषित समय होगा, बिलकुल उसी प्रकार जैसे कि हजा़रों वर्ष पूर्व उत्पत्ति की पुस्तक में लोगों के जीवन के बारें में बताया गया है। आदम १३० वर्ष तक जीवित रहा (उत्पत्ति ४:४) सेथ ११२ वर्ष तक (उत्पत्ति ४:८) और मैथ्यूसेलाहा १६१ वर्ष तक (उत्पत्ति ४:७) जीवित रहे। वह जो छुड़ाए नहीं गए हैं, उनको उस महान सफे़द न्याय की गद्दी का सामना करना होगा, जो सहस्त्राब्दि के अन्त में होगा। वह सन्त जो परमेश्वर के आत्मा के द्वारा पुर्नजीवित होंगे, वह कभी नही मरेंगे और हमेशा की जिन्दगी पांएगे। वह अविनाशी हैं। (१ कुरिन्थियों १४:४२)